पार्टी बदल कर कहीं के नहीं रहे कीर्ति आजाद, दिल्ली चुनाव में पत्नी पूनम आजाद बुरी तरह हारीं, 3 हजार वोट भी नहीं ला पायीं पूनम

पार्टी बदल कर कहीं के नहीं रहे कीर्ति आजाद, दिल्ली चुनाव में पत्नी पूनम आजाद बुरी तरह हारीं, 3 हजार वोट भी नहीं ला पायीं पूनम

PATNA: पिछले लोकसभा चुनाव से पहले BJP से पाला बदल कर कांग्रेस का दामन थामने वाले कीर्ति आजाद न घर के रहे न घाट के. दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी पूनम आजाद बुरी तरह हारीं. इससे पहले खुद कीर्ति आजाद लोकसभा चुनाव हार चुके हैं. उनकी अगुआई में दिल्ली में चुनाव अभियान चलाने वाली कांग्रेस ने अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन किया.

कीर्ति की पत्नी की करारी हार

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कीर्ति आजाद की पत्नी पूनम आजाद को कांग्रेस ने संगम विहार विधानसभा सीट से टिकट दिया था. उनका हाल ये रहा कि ढ़ाई फीसदी वोट भी नहीं ला पायीं. पूनम आजाद को सिर्फ 2603 वोट आये. ये कुल वोटों का सिर्फ 2.23 प्रतिशत वोट है. संगम विहार सीट पर आम आदमी पार्टी के दिनेश मोहनिया ने जीत हासिल की, जिन्हें 75 हजार 345 वोट मिले. इस सीट पर जेडीयू भी चुनाव लड़ रही थी जिसके उम्मीदवार शिवचरण लाल गुप्ता को 32 हजार 823 वोट मिले. 

वैसे पूनम आजाद ने 2016 में ही आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था. उससे पहले वे दिल्ली बीजेपी की प्रवक्ता थीं. लेकिन आम आदमी पार्टी ने उन्हें तवज्जों नहीं दिया. दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूनम आजाद अपने पति के जरिये कांग्रेस में शामिल हुई थीं. कांग्रेस ने उन्हें संगम विहार से टिकट भी दिया था.

कीर्ति आजाद के नेतृत्व में कांग्रेस की हवा निकली

कांग्रेस ने कीर्ति आजाद को दिल्ली में अपने चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया था. उनके जिम्मे चुनावी अभियान चलाने की जिम्मेवारी थी. लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस को सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस एक भी सीट जीत नहीं पायी. जीत तो दूर किसी भी सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार की जमानत तक नहीं बची. कांग्रेस को दिल्ली में सिर्फ 4.36 फीसदी वोट आये. इस करारी शिकस्त की जिम्मेवारी भी कीर्ति आजाद पर दी जा रही है.

गौरतलब है कि कीर्ति आजाद बीजेपी के सांसद हुआ करते थे. बीजेपी के टिकट पर वे बिहार के दरभंगा से तीन दफे सांसद चुने गये थे. लेकिन 2014 में चुनाव जीतने के बाद उन्होंने पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर दिखाना शुरू कर दिया था. 2019 के चुनाव से ठीक पहले उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. लेकिन कांग्रेस उन्हें दरभंगा से चुनाव लड़वाने में विफल रही. कीर्ति आजाद को झारखंड के धनबाद सीट से चुनाव लड़ने भेज दिया गया, जहां उनकी जमानत तक नहीं बची.