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1st Bihar Published by: Updated Mon, 20 Jan 2020 11:13:47 AM IST
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DELHI: परीक्षाओं का सीजन आने वाला है, लिहाजा बच्चों के साथ-साथ उनके पैरेंट्स भी परीक्षा को लेकर टेंशन में है. इसी तनाव को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 'परीक्षा पर चर्चा' प्रोग्राम में भाग लिया. दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने परीक्षा के तनाव को कम करने के लिए छात्रों से बातचीत की. परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में पीएम मोदी एक दोस्त की तरह छात्रों से मुखातिब हुए. उन्होंने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि 'उनका यह दोस्त एक बार फिर उनके सामने है.' पीएम ने छात्रों को 2020 के दशक की अहमियत समझाई. उन्होंने कहा कि यह दशक हिंदुस्तान के लिए बहुत अहम है, इस दशक में देश जो भी करेगा, उसमें 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों का सबसे ज्यादा योगदान होगा.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 'आपके माता-पिता का बोझ भी मुझे हल्का करना चाहिए जो काम आपके माता-पिता करते हैं, मैं भी सामूहिक रूप से कर लूं. मैं भी तो आपके परिवार का सदस्य हूं.' इस दौरान पीएम ने बच्चों से पूछा क्या वह उनके लिए बोझ तो नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं आपके साथ #Withoutfilter के साथ चर्चा करता हूं. पीएम से एक छात्र ने सवाल किया कि क्या परीक्षा का अंक ही सबकुछ है, इस पर पीएम ने कहा, 'कोई परीक्षा पूरी जिंदगी नहीं है बल्कि एक पड़ाव है. हमें इसे पूरे जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव मानना चाहिए. मां-बाप से मैं प्रार्थना करना चाहता हूं कि ये नहीं तो कुछ नहीं का मूड नहीं बनाना चाहिए. कुछ न हुआ तो जैसे दुनिया लुट गई, ये सोच आज के युग में उपयुक्त नहीं है. जीवन के किसी भी क्षेत्र में जा सकते हैं.'
छात्रों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हर व्यक्ति को मोटिवेशन या डिमोटिवेशन से गुजरना पड़ता है. जब चंद्रयान जा रहा था तो हर कोई जाग रहा था, जब असफल हुआ तो पूरा देश डिमोटिवेट हो गया था. जब मैं चंद्रयान लॉन्च पर था तो लोगों ने मुझे कहा था कि वहां नहीं जाना चाहिए, क्योंकि पास होना पक्का नहीं है. तो मैंने कहा कि इसलिए मुझे जाना चाहिए. जब चंद्रयान फेल हुआ तो मैं चैन से बैठ नहीं पाया, सोने का मन नहीं कर रहा था. हमारी टीम कमरे में चली गई थी, लेकिन बाद में मैंने सभी को बुलाया. सुबह सभी वैज्ञानिकों को इकट्ठा किया, उनके सपनों की बातें की. उसके बाद पूरे देश का माहौल बदल गया, ये पूरे देश ने देखा है. हम विफलता में भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं.