Bihar News: बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज पहुंचीं गयाजी, विष्णुपद मंदिर में मां सुषमा स्वराज का किया पिंडदान Bihar News: बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज पहुंचीं गयाजी, विष्णुपद मंदिर में मां सुषमा स्वराज का किया पिंडदान Bihar Police Modernization: आधुनिक हथियारों से लैस होगी बिहार पुलिस, केंद्र सरकार ने जारी किए इतने करोड़; अपराधियों की अब खैर नहीं Bihar Police Modernization: आधुनिक हथियारों से लैस होगी बिहार पुलिस, केंद्र सरकार ने जारी किए इतने करोड़; अपराधियों की अब खैर नहीं बिहार में बकरी के लिए चली गोली, युवक की मौत, सौतेले भाई ने दिया घटना को अंजाम हम नहीं सुधरेंगे, राहुल-तेजस्वी ने खाई कसम, एक बार फिर प्रधानमंत्री और उनके माता जी का किया अपमान: नित्यानंद Maha Yagya: श्री विद्या दस कोटि कुमकुमार्चन महायज्ञ का पहला दिन संपन्न, विजयवाड़ा में भव्य आयोजन Maha Yagya: श्री विद्या दस कोटि कुमकुमार्चन महायज्ञ का पहला दिन संपन्न, विजयवाड़ा में भव्य आयोजन नरपतगंज से अमृतसर जनसाधारण एक्सप्रेस ट्रेन का शुभारंभ, सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने दिखाई हरी झंडी BPSC : BPSC 71वीं PT परीक्षा कल, भूल कर भी न करें यह काम; जान लीजिए आयोग का नया रूल
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 22 Jul 2024 01:22:53 PM IST
- फ़ोटो
DESK : राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT)ने कक्षा-6 की टेक्सटबुक में कई परिवर्तन किए हैं। पाठ्यपुस्तक में बताया गया है कि ग्रीनविच मध्य रखा से पहले भी एक 'मध्य रेखा' थी जो कि उज्जैन से होकर गुजरती थी। इसके अलावा पाठ्युपुस्तक में जाति आधारित भेदभाव का उल्लेख नहीं किया गया है। वहीं अब तक पढ़ाई जाने वाली हड़प्पा सभ्यता को 'सिंधु-सरस्वती' सभ्यता बताया गया है।
एनसीईआरटी ने क्लास 6 की टेस्टबुक में बड़ा बदलाव किया है। अब एनसीईआरटी की बुक में बताया गया है कि ग्रीनविच मध्यरेखा से काफी पहले भारत में अपनी एक रेखा थी। इस बात की जानकारी सोशल साइंस की बुक में दी गई है। सोशल साइंस की नई बुक में यह कहा गया है कि ग्रीनविच मध्यरेखा से काफी पहले भारत की अपनी प्रधान मध्यरेखा थी जिसे ‘मध्यरेखा’ कहा जाता था और जो मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से गुजरती थी।
इस बुक के अनुसार, ‘ग्रीनविच भूमध्य रेखा पहली प्रधान मध्यरेखा नहीं है। अतीत में अन्य भी थीं। वास्तव में, यूरोप से कई शताब्दियों पहले, भारत की अपनी एक प्रधान मध्यरेखा थी। इसे मध्य रेखा कहा जाता था और यह उज्जयिनी (आज का उज्जैन) शहर से होकर गुजरती थी, जो कई शताब्दियों तक खगोल विज्ञान का एक प्रतिष्ठित केंद्र था।’
वहीं, नए पाठ्यक्रम के अनुसार विकसित पाठ्यपुस्तक में जो बदलाव किए गए हैं उनमें जाति-आधारित भेदभाव का कोई उल्लेख नहीं किया गया है, भेदभाव के बारे में बी आर आंबेडकर के अनुभव के संदर्भ में बदलाव किया गया है। इसमें वेदों का विवरण दिया गया है और कहा गया है कि महिलाओं और शूद्रों को इन ग्रंथों का अध्ययन करने का अधिकार नहीं था।
उधर, नई बुकमें हड़प्पा सभ्यता को ‘सिंधु-सरस्वती’ सभ्यता के रूप में संदर्भित किया गया है। पाठ्यपुस्तक में अतीत से हटकर, ‘भारतीय सभ्यता का प्रारंभ’ अध्याय में ‘सरस्वती’ नदी का कई बार उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि ‘सरस्वती’ नदीघाटी में सभ्यता के प्रमुख शहरों-राखीगढ़ी और गणवेरीवाला के साथ-साथ छोटे शहर और कस्बे भी शामिल थे। इसके अनुसार, आज उक्त नदी को भारत में ‘घग्गर’ के नाम से और पाकिस्तान में ‘हाकरा’ के नाम से जाना जाता है तथा अब यह मौसमी नदी है।