मुजफ्फरपुर जेल में मुस्लिम कैदी समेत कुल 27 कैदी कर रहे चैती छठ, डूबते हुए भगवान सूर्य को दिया अर्घ्य

मुजफ्फरपुर जेल में मुस्लिम कैदी समेत कुल 27 कैदी कर रहे चैती छठ, डूबते हुए भगवान सूर्य को दिया अर्घ्य

MUZAFFARPUR : बिहार में लोक आस्था का महापर्व छठ कार्तिक और चैत महीने में मनाया जाता है। कार्तिक महीने में छठ करने वाले व्रतियों की संख्या चैत में छठ करने वालों से ज्यादा होती है। लेकिन इस बार चैती छठ में भी भारी भीड़ देखी जा रही है। चैती छठ का आज तीसरा दिन है। आज के दिन छठव्रतियों ने डूबते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया।


मुजफ्फरपुर स्थित केंद्रीय कारा में मुस्लिम कैदी समेत 27 बंदी इस बार चैती छठ कर रहे हैं। जिसमें 17 महिलाएं और 10 पुरुष व्रती शामिल हैं। मुस्लिम बंदी मोहम्मद सुलेमान चैती छठ कर रहे हैं। मुजफ्फरपुर जेल में बंद कैदियों ने आज अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। छठ महापर्व को लेकर जेल प्रशासन ने पूरी तैयारी कर रखी है, जिससे छठव्रतियों को किसी भी तरह की परेशानी न हो। 


वही, अरवल जिले के ऐतिहासिक मधुश्रवां छठ घाट पर छठव्रतियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान छठ घाटों पर पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल की तैनाती की गयी। हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए छठ घाट पर पहुंचे। छठव्रतियों ने डूबते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया गया। वही वैशाली में भी छठव्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और परिवार की सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। 


राजधानी पटना सहित पूरे बिहार में गंगा तट से लेकर विभिन्न जलाशयों के किनारे सैकड़ों श्रद्धालुओं ने डूबते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और पूजा-अर्चना की। चार दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान के अंतिम दिन सोमवार को व्रती सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे। जिला प्रशासन द्वारा हाजीपुर और सोनपुर नदियों के घाटों पर सुरक्षा के इंतजाम किया गया है। चैती छठ के तीसरे दिन पर्व को लेकर व्रती गंगा के घाट से लेकर विभिन्न नदियों के तटों, तालाब और जलाशयों पर पहुंचे और भगवान भास्कर की पूजा-अराधना की। 


गंगा तटों पर छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे। छठ पर्व को लेकर गंगा सहित सभी नदियों के घाटों पर सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई है। हाजीपुर , बिदुपुर, महुआ, महनार, पातेपुर पड़ोसी जिला सारण, सोनपुर, पटना सहित कई जिलों के गांव से लेकर शहर तक के विभिन्न जलाशयों में पहुंचकर श्रद्धालुओं ने भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया। इसके पहले व्रतियों ने शनिवार की शाम भगवान भास्कर की अराधना की और खरना किया था। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया था पर्व के चौथे और अंतिम दिन यानी सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धालुओं का व्रत संपन्न हो जाएगा। इसके बाद व्रती अन्न-जल ग्रहण कर पारण करेंगी। और हिंदू परंपरा के अनुसार, कार्तिक और चैत्र माह में छठ व्रत का आयोजन होता है।  इस दौरान व्रती भगवान भास्कर की अराधना करते हैं।