DESK: 3 साल पुराने मामले को लेकर एक बार फिर मगध विश्वविद्यालय चर्चा में आ गया है। मगध यूनिवर्सिटी के नाम पर 17 लोगों ने पहले फर्जी डिग्रियां हासिल की और फिर इसके सहारे हिमाचल प्रदेश में नौकरी भी ले ली। 17 लोगों में 15 सरकारी स्कूलों के शिक्षक हैं। वही एक प्रिंसिपल और एक अन्य कर्मी भी शामिल हैं। इन सभी ने फर्जी सर्टिफिकेट की मदद से नौकरी हासिल कर ली। स्कूल के प्रिंसिपल की यदि बात की जाए तो नौकरी के वक्त जो सर्टिफिकेट उन्होंने जमा किए उनमें BSC, MSC और B.Ed. की डिग्रियां थी। ये सभी सर्टिफिकेट फर्जी पाए गये। ऐसे में अब विजिलेंस इन पर बड़ी कार्रवाई में जुटी है।
हिमाचल प्रदेश से बिहार पहुंची विजिलेंस की टीम ने मगध यूनिवर्सिटी में जाकर इन 17 डिग्रियों की जांच की। जांच में पता चला कि ये सभी डिग्रियां फर्जी हैं। खुद इसकी जानकारी मगध यूनिवर्सिटी के कुलपति ने दी। ऐसे में अब फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर हिमाचल प्रदेश में नौकरी हासिल करने वालों पर गाज गिरेगी। ऐसे कर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी उसके बाद उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया जाएगा।
गौरतलब है कि 2004-05 में हिमाचल प्रदेश में हुए शिक्षकों की भर्ती मामले की जांच को लेकर 2018 में भी हमीरपुर से विजिलेंस की टीम बिहार गयी थी। जहां मगध विश्वविधालय में जाकर फर्जी डिग्रियों की जांच की थी। लेकिन उस वक्त भी एमयू डिग्री प्राप्त लोगों का रिकॉर्ड नहीं मिला था। उस वक्त प्राथमिकी भी दर्ज की गयी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सका। दोषी शिक्षकों पर कार्रवाई का इंतजार शिक्षा विभाग लंबे समय से कर रहा था। इस मामले में प्राथमिकी के बाद कोर्ट में चालान पेश होना था लेकिन अब फिर से इसकी जांच शुरू कर दी गयी है। ऐसे में फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी करने वालों पर अब शिकंजा कसा जाएगा। उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।