PATNA: जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से आज आखिरकार ललन सिंह की विदाई हो गयी. ललन सिंह क्यों पद से हटाये गये, इस पर तरह-तरह की चर्चायें हो रही है. लेकिन अब सबसे बड़ी इनसाइड स्टोरी सामने आ गयी है. जेडीयू विधायकों की एक गुप्त बैठक ने पार्टी में हुए सारे खेल की पटकथा रच दी थी. ये बैठक ऐसी थी कि अगर उसका मकसद पूरा हो जाता तो नीतीश कुमार को जिंदगी का सबसे बड़ा झटका लगना तय था.
ललन सिंह की प्लानिंग पहले ही फेल हो गयी
जेडीयू सूत्रों के हवाले से जो खबर आ रही है वह चौंकाने वाली है. खबर ये मिल रही है कि ललन सिंह ने बड़ी प्लानिंग कर ली थी. लालू और तेजस्वी की लाइन पर चल रहे ललन सिंह ने नीतीश को सबसे बड़ा झटका देने की तैयारी की थी. जेडीयू सूत्र बता रहे हैं कि ललन सिंह नीतीश कुमार को अपदस्थ कर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश में लगे थे. इसके लिए पूरी प्लानिंग की गयी थी. लेकिन समय रहते नीतीश कुमार तक बात पहुंची और फिर ललन सिंह की ही विदाई हो गयी.
जेडीयू के एक बड़े नेता ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने सूत्रों से यह पक्की सूचना मिली थी कि उनकी पार्टी के अध्यक्ष ललन सिंह जदयू के एक दर्जन से ज्यादा विधायकों को तोड़कर तेजस्वी की सरकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं. 37 सालों से नीतीश के साथ साये की तरह रहने वाले ललन सिंह उनका राजनीतिक करियर खत्म करने पर तुले थे.
विधायकों की गुप्त बैठक
जेडीयू सूत्र बता रहे हैं कि नीतीश कुमार को 20 दिसंबर की रात मिली खबर ने उनकी नींद उड़ा दी थी. नीतीश कुमार उस समय दिल्ली में थे. वे INDIA गठबंधन की बैठक में भाग लेने दिल्ली गये थे. 19 दिसंबर को बैठक हुई थी और उसके बाद नीतीश 20 दिसंबर को वहीं रूक गये थे. उसी रात नीतीश कुमार को ये जानकारी मिली कि बिहार सरकार के एक वरीय मंत्री के कार्यालय में एक दर्जन से ज्यादा विधायकों की बैठक हुई है. इस बैठक में ललन सिंह भी थे. वहां नीतीश से अलग होकर तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद पर बिठाने की रणनीति पर चर्चा हुई.
ललन सिंह ने दिया था आश्वासन
सूत्रों के मुताबिक बैठक में मौजूद विधायकों ने आशंका जतायी कि जेडीयू के 45 विधायक हैं. दलबदल कानून के तहत जदयू विधायक दल में विभाजन के लिए 31 विधायकों का एकसाथ आना जरूरी है. इससे कम तादाद में अलग होने पर सदस्यता जा सकती है. लेकिन ललन सिंह ने उन्हें आश्वासन दिया था. विधानसभा अध्यक्ष राजद के हैं, मैं जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं. अगर मैं शिकायत करूंगा तब ही कोई कार्रवाई होगी. मैं कोई शिकायत करूंगा ही नहीं.
विधायकों को ये कहा गया कि विधानसभा अध्यक्ष विधानसभा में जदयू विधायकों के अलग गुट की मान्यता देकर उनकी सदस्यता बचा लेंगे. बैठक में कहा गया कि जो विधायक तेजस्वी यादव का समर्थन करेंगे उन्हें मंत्री पद भी दिया जायेगा. ललन सिंह ने बार बार ये आश्वासन दिया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते वह अलग गुट के विधायकों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं होने देंगे.
ललन सिंह की योजना बड़ी थी लेकिन बैठक में मौजूद एक विधायक ने ही इसकी पोल खोल दी. उसने दिल्ली में मौजूद नीतीश कुमार को इस प्लानिंग की जानकारी दे दी. सकते में आये नीतीश तत्काल हरकत में आये और फिर ललन सिंह की प्लानिंग जमीन पर उतरने से पहले ही फेल हो गया. नीतीश ने उन सारे विधायकों से संपर्क किया जो बैठक में गये थे. उन्हें मना लिया गया. 20 दिसंबर को ये खबर मिलने के बाद ही नीतीश कुमार ने ये फैसला लिया कि 29 दिसंबर को जेडीयू के राष्ट्रीय पर्षद की बैठक होगी. इसका मतलब साफ था कि ललन सिंह की अध्यक्ष पद से विदाई होगी.
मंत्री भी माने
जेडीयू सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार ने उस मंत्री से भी संपर्क किया जिनके कार्यालय में विधायकों की बैठक हुई थी. सीएम ने उनसे पूछा-हमसे क्या परेशानी है. मंत्री जी ने कहा-हम तो 200 परसेंट आपके साथ है. तब नीतीश ने कहा कि 200 परसेंट साथ हैं और विधायकों की बैठक कराते हैं. इसके बाद मंत्री जी का चेहरा देखने लायक था. नीतीश ने मंत्री को याद दिलाया कि उनके साथ कितना पुराना और घनिष्ठ संबंध रहा है. सीएम ने मंत्री से पूछा-आप कबसे हमसे ज्यादा तेजस्वी यादव और ललन सिंह करीबी हो गए. वैसे मंत्री ने बैठक की बात से इंकार किया. लेकिन भरोसा दिलाया कि वे हमेशा नीतीश कुमार के साथ रहेंगे.
यही वो प्रकरण था, जिसके बाद ललन सिंह की विदाई की कहानी तैयार हुई. नीतीश को दूसरे माध्यमों से भी ललन सिंह की प्लानिंग की जानकारी मिल रही थी. ललन सिंह पहले लगातार अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर नीतीश कुमार की तारीफ करते थे. लेकिन, पिछले एक सप्ताह से ये सिलसिला बंद था. पांच दिन पहले ललन सिंह के फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड हुआ था, इसमें वे अपने क्षेत्र के लोगों को कह रहे हैं-आपसे मिली ताकत के कारण हम धरती पर किसी से नहीं डरते हैं. ललन सिंह ने मुख्यमंत्री के साथ अपना आखिरी फोटो भी 20 दिसंबर को जारी की थी. उसी दिन नई दिल्ली में जदयू के सांसदों से मुख्यमंत्री की भेट हुई थी. उसके बाद सिर्फ एक दिन ललन सिंह मुख्यमंत्री आवास गए थे. फिर मुख्यमंत्री उन्हें छोड़ने बुद्धा कालोनी स्थित आवास पर आए थे.