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23-Aug-2021 02:02 PM
MUZAFFARPUR: मुजफ्फरपुर में औराई प्रखंड के कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं। वही लखनदेई और मनुषमारा नदी पूरे उफान पर हैं। नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। ऐसे में यहां की बच्चियों में पढ़ने का जुनून ऐसा कि खुद नाव चलाकर वह स्कूल जा रही है। पढ़ाई के लिए जान को जोखिम में डालकर नाव चलाती इन बच्चियों का वीडियो इन दिनों तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने बाढ़ प्रभावित इलाके के बच्चों को स्कूल आने पर रोक लगा दी है।
गांव में चारों ओर पानी ही पानी है स्कूल जाने का एकमात्र साधन नाव है जिस पर सवार होकर बच्चे स्कूल जाते दिखे। नाव की कमान गांव की बच्चियों ने संभाल रखी थी। कई बच्चों को नाव पर बिठाकर खुद छात्राएं जान जोखिम में डालकर नाव को चलाते हुए स्कूल जाती दिखी। इस बीच बच्चों के लिए इस तरह से स्कूल जाना खतरे से खाली नहीं है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
गौरतलब है कि सरकार ने पहली से आठवीं तक के स्कूलों को खोलने का आदेश जारी कर दिया है लेकिन औराई में बाढ़ आने से कई सड़कें पानी में डूबी हुई है। नदियों के उफान पर रहने के कारण पीपा पुल भी पानी में बह चुका है। ऐसे बच्चों को स्कूल तक जाना मुश्किल हो गया है। अब स्कूल तक पहुंचने के लिए एकमात्र साधन नाव ही रह गया है।
वायरल वीडियो पर यदि गौर करें तो नाव पर कई बच्चे सवार नजर आ रहे हैं और जान को खतरे में डालकर एक लड़की नाव चला रही है जो खुद स्कूल जा रही है। पढ़ाई के प्रति इन बच्चों का लगाव को देखकर यह कहा जा सकता है बच्चें अपनी पढ़ाई करना चाहते है। पढ़ाई करने की जिद के सामने उन्हें अपनी जान तक की फिक्र नहीं है।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में एक ही नाव है जिस पर लोग सवार होकर आवागमन करते हैं। समय पर नाव नहीं उपलब्ध रहने के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। जब कभी नाव रहती है तो उसे चलाने वाले नहीं दिखते जिसके कारण बच्चियां खुद नाव चलाकर बच्चों को स्कूल पहुंचाती है और खुद भी स्कूल के लिए रवाना होती है। नाव से स्कूल जाना बच्चों की मजबूरी है। वही पढ़ने का जज्बा ऐसा कि इन्हें पढ़ाई के सामने अपनी जान का खतरा तक नहीं दिखता है।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए बच्चे अपनी जान को भी जोखिम में डालते हैं। इस तरके के दृश्य यहां आए दिन देखने को मिलता है। इस गांव की आबादी करीब दो हजार के करीब है और दो हजार की आबादी पर एक नाव से लोगों को आवागमन करना पड़ता है। पर्याप्त नाव के नहीं रहने के कारण अधिकांश लोग अपने अपने घरों में कैद हो गये है। चाहकर भी लोग कही जा नहीं पाते। लॉकडाउन के कारण स्कूल कई दिनों से बंद थे और जब स्कूल खुले तब स्कूल जाने के लिए आवागमन का साधन तक नहीं है जिसके कारण बच्चें अपनी जान हथेली पर रखकर नाव को खुद चलाकर किसी तरह से स्कूल पढ़ने जाते हैं।
बच्चों को पढ़ाई के प्रति झुकाव को देखकर गांव के लोग भी खुश हैं लेकिन उन्हें भी बच्चों की जान की फिक्र है। ग्रामीण भी जानते है कि बच्चों को स्कूल भेजना खतरे से खाली नहीं है लेकिन बच्चों के पढ़ाई के प्रति लगाव को देखकर वे भी रोक नहीं पाते। वही बच्चे अपनी पढ़ाई को लेकर जान को जोखिम में डालकर खुद नाव चलाकर स्कूल जाते दिखते हैं।
सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस बात की जानकारी जब प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को हुई तो उन्होंने तत्काल इस पर रोक लगा दी। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाके के बच्चों को स्कूल आने पर रोक लगायी गयी है। सभी स्कूलों के प्राचार्य को यह निर्देश दिया गया है कि इससे बच्चों की जान पर खतरा बना रहता इसलिए किसी भी स्थिति में बच्चों को स्कूल ना बुलाए।