ज्यूडिशियल ऑफिसर शादी में नहीं ले सकते दहेज, 10 हजार से महंगा गिफ्ट लेने पर देनी होगी हाईकोर्ट को जानकारी

ज्यूडिशियल ऑफिसर शादी में नहीं ले सकते दहेज, 10 हजार से महंगा गिफ्ट लेने पर देनी होगी हाईकोर्ट को जानकारी

PATNA: बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट से कंसल्टेशन कर निचली अदालतों के ज्यूडिशियलअधिकारी के आचरण को निर्धारित करने वाली नियमावली को जारी कर दिया है. शादी में कोई दहेज नहीं ले सकते हैं. यही नहीं 10 हजार रुपए से अधिक का गिफ्ट लेने पर हाईकोर्ट को जानकारी देनी होगी. 


शराब पीने पर रोक

सामान्य प्रशासन विभाग ने गुरुवार को इस बाबत एक अधिसूचना जारी किया है. इस नए नियमावली से  2017 की पुराने नियमों को और बड़ा व बृहद बनाया गया है. मसलन शराब पीने संबंधित आचरण को सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है. कार्यस्थल के अलावे किसी भी पब्लिक प्लेस पर शराब या प्रतिबंधित मादक द्रव्यों का सेवन पे मनाही है. यहां तक कि किसी भी न्यायिक ऑफ़सर को नशे की हालत में पब्लिक के सामने आना भी मना है. 


प्रेस से दूरी

दूसरा सबसे बड़ा बदलाव प्रेस व रेडियो से जुड़ने पर मनाही करने वाले नियम में हैं. 2017 के  कानून   में ज्यूडिशियल ऑफ़सर या उसके फैमिली मेम्बर को प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर कोई प्रकाशक बनने या कोई किताब / आर्टिकल , खबर वगैर लिखने से पहले हाईकोर्ट की मंजूरी ज़रूरी थी. अब यही अनिवार्यता को आगे बढ़ाते हुए ऑनलाइन बुक /आर्टिकल या न्यूज के प्रकाशन के मामले भी कर दिया गया है. 


राजनीतिक दल से दूरी

अन्य सभी आचरण पर मसलन कोई भी संगठन , राजनैतिक पार्टी वगैर से रिश्ता नहीं रखना , किसी भी व्यक्ति से कोई तोहफा वगैर नही लेना ,  नजदीकी रिश्तेदार व मित्र से सालाना 5 हज़ार रुपये से अधिक के गिफ्ट या सुविधा लेने पर हाईकोर्ट को सूचित करना. किसी भी स्वागत या समान देने के समारोह में नहीं जाना (जजों की विदाई समारोह को छोड़कर ) , कोई शेयर ट्रेडिंग , या इन्वेस्टमेंट का व्यवसाय नहीं करने  और हर साल फरवरी माह खत्म होने के पहले , हाईकोर्ट को अपने  चल व अंचल संपत्ति का वार्षिक ब्यौरा देना व अन्य आचरण पिछले नियमावली की तरह कायम हैं.  यह नियमावली गजट प्रकाशन की तारीख से लागू होगी. 


गाइडलाइन की प्रमुख बातें

ज्यूडिशियल अफसरों के आचरण सम्बन्धित  कुछ प्रमुख नियम हैं जो इस प्रकार से है. 

1. हर जजों को कर्तव्य व संस्था के प्रति नैष्ठिक (डिवोटेड ) रहना  और अपनी   सत्यनिष्ठा  ( इंटिग्रिटी ) कायम रखना. 

2. कार्य स्थल पर किसी भी महिला (चाहे ऑफ़सर हो या कर्मी ) का  यौन उत्पीड़न   (सेक्सुअल हरासमेंट ) होने से बचा कर रखना. 

3. ड्यूटी पर , या पब्लिक में कभी भी नशे की हालत में या शराब व अन्य प्रतिबंधित मादक द्रव्य का सेवन नही करना. यहां तक कि आदतन भी नशा का सेवन नही करना. 

4. कोई भी न्यायिक ऑफ़सर अपने  फैमिली मेम्बर को किसी प्राइवेट या सरकारी संस्थान में रोजगार दिलाने में अपने पद के प्रभाव का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. खासकर उन कम्पनी या संस्थान में तो फैमिली मेम्बर को रोजगार बिल्कुल नहीं जिसका काम का सरोकार  (जैसे ठेकेदारी वगैर ) हाईकोर्ट या कोई निचली अदालत से है. 

5. किसी राजनैतिक पार्टी , संगठन से नहीं रिश्ता रखना , परिवार में यदि कोई संगठन या पार्टी से जुड़ा है तो उसकी सूचना फौरन हाईकोर्ट को देना. 

7 . कोई गिफ्ट , या मुफ्त सेवा , सुविधा किसी से नहीं लेना सिवाए अपने निकट सम्बन्धी या दोस्त से और उनसे भी अगर  कोई गिफ्ट 5 हज़ार से ऊपर का है तो हाईकोर्ट से मंजूरी लेनी होगी.  

8 .शादी में कोई दहेज नहीं लेना एवम किसी शादीशुदा से विवाह नहीं करना. विवाह में यदि कोई गिफ्ट 10 हज़ार से ऊपर हैं तो हाईकोर्ट को लिखित जानकारी देनी होगी. 

11. किसी भी ज्यूडिशियल ऑफिसर को कोई भी तरह का अन्य व्यवसाय मनाही है और किसी समान समारोह , खुद से उद्घाटन करने या पब्लिक सेमिनार में स्पीच देने से पहले हाईकोर्ट से संस्तुति जरूरी है.

12. कभी भी किसी सरकार के पक्ष या विपक्ष में सार्वजनिक , बयान , निंदा वगैर से परहेज और ऊनी गाड़ी में किसी भी पार्टी या संगठन का चिन्ह , स्लोगन वगैर वर्जित.