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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 26 Jan 2024 08:02:30 AM IST
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DESK : वाराणसी की जिला अदालत ने जुलाई 2023 में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सौंपा था। उसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें यह निष्कर्ष निकाला है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले उस स्थान पर एक हिंदू मंदिर मौजूद था। हालांकि, हिंदू पक्ष लगातार दावा करता है कि मस्जिद 17वीं शताब्दी में मूल काशी विश्वनाथ मंदिर के विनाश के बाद उसके स्थान पर बनाई गई थी।
दरअसल, एएसआई को यह पता लगाने का काम सौंपा गया था कि क्या मस्जिद एक हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर बनाई गई थी। एएसआई ने पिछले महीने एक सीलबंद कवर में अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपी थी। इसकी प्रतियां गुरुवार को अदालत ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को सौंप दीं हैं। रिपोर्ट में कहा गया है- "वैज्ञानिक अध्ययन, वास्तुशिल्प अवशेषों, उजागर विशेषताओं और कलाकृतियों, शिलालेखों, कला और मूर्तियों के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले एक हिंदू मंदिर मौजूद था।"
रिपोर्ट में लिखा है, “एक कमरे के अंदर पाए गए अरबी-फारसी शिलालेख में उल्लेख है कि मस्जिद का निर्माण औरंगजेब के 20वें शासनकाल (1667-77) में किया गया था। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि पहले से मौजूद संरचना को 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासनकाल के दौरान नष्ट कर दिया गया था। इसके कुछ हिस्से को संशोधित किया गया था और मौजूदा संरचना में पुन: उपयोग किया गया था।”
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, “मौजूदा वास्तुशिल्प अवशेष, दीवारों पर सजाए गए सांचे, केंद्रीय कक्ष के कर्ण-रथ और प्रति-रथ, एक बड़ा सजाया हुआ प्रवेश द्वार, पश्चिमी कक्ष की पूर्वी दीवार पर तोरण, लालताबिम्बा, पक्षियों की विकृत छवि वाला एक छोटा प्रवेश द्वार और अंदर और बाहर सजावट के लिए उकेरे गए जानवरों से पता चलता है कि पश्चिमी दीवार एक हिंदू मंदिर का शेष हिस्सा है। पहले से मौजूद संरचना को एक हिंदू मंदिर के रूप में पहचाना जा सकता है।''
एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में आगे लिखा है, एएसआई के पास एक ढीले पत्थर पर उत्कीर्ण एक शिलालेख का रिकॉर्ड था, जिसमें हजरत आलमगीर यानी मुगल सम्राट औरंगजेब के 20वें शासनकाल में एएच 1087 (1676-77 सीई) के अनुरूप मस्जिद का निर्माण दर्ज किया गया था। शिलालेख में यह भी दर्ज है कि वर्ष एएच 1207 (1792-93 सीई) में, मस्जिद की मरम्मत की गई थी। इस पत्थर के शिलालेख की तस्वीर वर्ष 1965-66 में एएसआई रिकॉर्ड में दर्ज की गई थी।
रिपोर्ट में लिखा है, “हाल के सर्वेक्षण के दौरान शिलालेख वाला यह पत्थर मस्जिद के एक कमरे से बरामद किया गया था। हालांकि, मस्जिद के निर्माण और उसके विस्तार से संबंधित पंक्तियों को हटा दिया गया है।”