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20-Aug-2020 03:09 PM
DESK : कोरोना का संक्रमण देश और दुनिया में इतनी तेजी से फैला की लोग संभल भी नहीं पाए. इस संक्रमण से बचने के लिए लॉक डाउन भी लगाया गया. लॉक डाउन की वजह से संक्रमण की रफ़्तार तो कम हुई लेकिन इस पर पूरी तरह रोक नहीं लग पाया. हालात अब ऐसे हो गए हैं कि देश में रोजाना पचास हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं. गनीमत ये है कि इसी तादात में मरीज स्वस्थ भी हो रहे हैं.
लेकिन कोरोना का खौफ अभी भी कम नहीं हुआ है. अब इसकी वजह से लोगों के लाइफस्टाइल में आये बदलाव के कारण कई अन्य तरह की बीमारियां घेर रही हैं. ऐसी ही एक बीमारी है एंग्जायटी डिसऑर्डर. इस बीमारी का डर लोगों को इस कदर हो चुका है कि, हर वक्त अपने साथ बुरा होने के बारे में ही सोचते रहते हैं. इंसान के शरीर में होने वाली छोटी-मोटी परेशानियों को भी ऐसे लोग सबसे पहले कोरोना के लक्षण से जोड़ कर देखते हैं.
लोगों को हमेशा ये डर सताता है कि यदि उन्हें कोरोना हुआ तो, वे वेंटिलेटर तक पहुंच जाएंगे. जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है. कोरोना के डर ने लोगों के दिल में ऐसे घर कर लिया है कि अब लोगों को हमेश एंग्जायटी (घबराहट ) रहती है. बिगड़े हालत पर परेशान होना वाजिब है लेकिन हमेशा चिंता या डर में जीने की आदत आगे चलकर एंग्जायटी डिसॉर्डर जैसी गंभीर समस्या में बदल जाती है. एंग्जायटी डिसॉर्डर से पीड़ित इंसान हमेशा अपने साथ बुरा होने के डर से भयभीत रहता है. उनके दिल में हमेशा बुरे ख्याल आते हैं. आप भी अपने साथ इस तरह का अनुभव कर रहे हैं तो इन चीजों का ख्याल रखें.
कोरोनाकाल में इस बीमारी से बचना है तो आप सुबह-शाम 40 मिनट की सैर जरुर करें, कहीं बाहर नहीं जा सकते तो अपने घर की छत पर ही टहलें. समय की कमी न हो तो प्राणायाम जरूर करें. समय पर सोएं और समय पर जागने की आदत डालें. सावधानी रखें और अपने अन्दर से कोरोना के डर को खत्म करने की कोशिश करें.
एंग्जायटी डिसॉर्डर का सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो इसके काफी नुकसान हैं. इस बीमारी से पीड़ित इंसान का शरीर धीरे-धीरे कमजोर पड़ जाता है. याददाश्त में लगातार गिरावट आने लगती है और एकाग्रता में कमी भी देखी गई है. घबराहट, डर और बेचैनी की वजह से नींद की कमी हो जाती है. दिल की धड़कन का तेज होना और मांसपेशियों में तनाव होना भी एक तरह का लक्षण है.