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1st Bihar Published by: Updated Tue, 08 Nov 2022 02:56:20 PM IST
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PATNA : देश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलने वाले 10 % आरक्षण पर बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा था कि देश में सवर्णों को मिलने वाला 10 % आरक्षण जारी रहेगा। जिसके बाद अब इस फैसले को लेकर सभी राजनीतिक दलों द्वारा प्रतिकिरिया आनी शुरू हो गई है। इसी कड़ी में अब इस फैसले को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार ने भी अपना विचार साझा किया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि 10 % का आरक्षण पहले से ही हो गया था,हमलोगों ने भी इसका समर्थन किया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इसको लेकर फैसला कर दिया है। लेकिन, अब जो बाकी है वह है जाति आधारित जनगणना ठीक से हो जाए और दूसरी बात है कि जो आरक्षण का लिमिटेड है 50 % उसमें पिछड़ा और अतिपिछड़ा को उसकी आबादी के हिसाब से आरक्षण मिलता है, लेकिन ओबीसी को आबादी के हिसाब से आरक्षण नहीं मिल पाता है तो इसलिए जब वो 10 % हो गया तो अब जो 50 % का लिमिटेशन है उसमें बढ़ोतरी होना चाहिए।
इसके आगे उन्होंने कहा कि हमने शुरू से ही आरक्षण को लेकर ही जाती आधारित जनगणना की मांग की है, लेकिन केंद्र सरकार ने पहल नहीं किया। नीतीश ने कहा कि इस मांग को लेकर कहा गया कि राज्य इसको अपने स्तर से देखें तो अब हमलोग इसको लेकर तैयारी शुरू कर दिए हैं। इससे एक - एक चीज़ ी जानकारी होगी ,इसके जरिए हर एक लोगों का आर्थिक स्तिथि की भी जानकारी मिल पाएगी। जिससे कोई भी जाती समाज से आने वाले लोगों का आर्थिक स्थिति को देखते हुए निर्णय लिया जा सकता है।
गौरतलब हो कि, फ़िलहाल देश में आरक्षण का सीमा 50 % तय है। इंदिरा साहनी जजमेंट में आरक्षण की अधिकतम सीमा तय कर दी गई थी। ओबीसी को 27 फीसदी, एससी को 15 फीसदी और एसटी को 7.5 फीसदी आरक्षण मिला है। इसी कारण ईडब्ल्यूएस को चुनौती देने वाली याचिकाओं में इसका तर्क भी दिया गया था कि इस कोटे से 50 फीसदी की सीमा का उल्लंघन हो रहा है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने कल यह निर्णय लिया कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण जारी रहेगा।