चापाकल खराब रहने से 60 स्कूलों में मिड डे मील बंद, पेयजल की समस्या से बच्चे भी परेशान

चापाकल खराब रहने से 60 स्कूलों में मिड डे मील बंद, पेयजल की समस्या से बच्चे भी परेशान

KAIMUR: कैमूर जिले में चापाकल खराब होने से 60 विद्यालयों में मध्यान भोजन योजना बंद हो गया है। चापाकल खराब होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। जिससे स्कूल में पढ़ने आने वाले बच्चों को मिड डे मील नहीं मिल पा रहा है। वही इस भीषण गर्मी में पेयजल की भी समस्या से शिक्षक और बच्चे दोनों परेशान हैं। 


बता दें कि जिला प्रशासन ने गर्मी की शुरुआत होते ही चापाकल दुरुस्त करने वाले रथ को हरी झंडी दिखाया गया था। जिसमें एक चापाकल मिस्त्री, एक हेल्पर और चापाकल बनाने वाले सामान को रवाना किया था। जहां प्रत्येक धावा दल प्रत्येक प्रखंड में खराब हुए चापाकल को दुरुस्त करेगा। यह टीम गर्मी के मौसम में प्रत्येक प्रखंड में मौजूद रहेगा और चापाकल बिगड़ने पर उसे दुरुस्त करेगा। लेकिन पीएचइडी विभाग की तरफ से भेजे गए धावा दल सिर्फ कोरम पूरा करने में लगा है। कई लोगों को तो पता तक नहीं है कि चापाकल बनाने के लिए टीम उनके प्रखंड में आई है या नहीं। अगर आई है तो कहां है लोग जानते तक नहीं। 


गांव में लगे सरकारी चापाकल की बात तो दूर ,सरकारी विद्यालयों में लगे चापाकल खराब होने की सूची जिला शिक्षा विभाग के कार्यालय से लगातार पीएचईडी कार्यालय को भेजा जा रहा लेकिन इसके बावजूद चापाकल मरम्मत समय पर नहीं हो पाया है जिससे बच्चों को मिलने वाले मध्यान भोजन योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह योजना पूरी तरह से ठप हो गया है। इस भीषण गर्मी में कैमूर जिले में तापमान 44 डिग्री जा पहुंचा है वैसी स्थिति में पीने के लिए पानी लाने भी बच्चों को दूर गांव में जाना पड़ता है।


 शिक्षकों का कहना है कि कोरोना काल के बाद जब विद्यालय खुला तब से चापाकल खराब होने की सूचना शिक्षा विभाग और पीएचइडी विभाग को दी जा चुकी है। लेकिन अब तक इस पर कोई पहल नहीं की गयी है। चापाकल खराब होने के कारण बच्चों को पानी पीने के लिए स्कूल से गांव में जाना पड़ता है। ऊपर से मिड डे मील बंद होने से खाना भी नहीं मिलता है। 


ग्रामीण यह भी कहते है कि चापाकल बंद होने से बच्चों को काफी परेशानी होती है। विद्यालय का निरीक्षण करने के लिए अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक समय-समय पर आते हैं लेकिन चापाकल बनवाने की दिशा में काम नहीं करते हैं। ग्रामीणों ने इसकी  शिकायत पहले भी की थी लेकिन इस समस्या को नजरअंदाज किया गया है। 


जिसके बाद थक हार कर ग्रामीण बैठ गये हैं। विद्यालय के बच्चों का कहना है कि पीने तक का पानी वे घर से लाते हैं और जब पानी खत्म हो जाता है तो लंच होने पर गांव में किसी भी व्यक्ति के घर से जाकर पानी ले आते हैं। पानी के अभाव में मध्याह्न भोजन भी बंद हो गया है। वही पीएचइडी विभाग के कार्यपालक पदाधिकारी इंजीनियर अमित कुमार ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा 68 खराब चापाकलों की सूची दी गयी है। जिसे ठीक करा दिया गया है। 


चापाकल की मरम्मत के लिए टीम प्रत्येक प्रखंड में भेजा गया है। प्रत्येक प्रखंड में एक वाहन के साथ एक चापाकल मिस्त्री, हेल्पर और चापाकल बनाने से संबंधित सारे उपकरण भेजा गया है। इसे लेकर एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है । जैसे ही चापाकल के खराब होने की शिकायत मिलती है वैसे इसे ठीक कराया जाता है। जितने विद्यालय में चापाकल खराब होने की  सूची मिली थी वह सब दुरुस्त करा दिया गया है। जैसे-जैसे चापाकल व नल के खराब होने की सूची आ रहा है वैसे-वैसे इसे दुरुस्त भी कराया जा रहा है।