PATNA : बिहार में टीचरों की नियुक्ति के लिए चल रही प्रक्रिया में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा आयोजित प्रथम चरण की नियुक्ति के योगदान की जांच में तीन फर्जी नवनियुक्त अध्यापक पकड़े गये हैं। पकड़े गये फर्जी टीचरों की तरफ से दूसरे अभ्यर्थियों के आवेदन पर योगदान देने का प्रयास किया गया था। अब इन तीनों शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया है।
दरअसल, शिक्षा विभाग ने वैसे सभी नवनियुक्त शिक्षकों को मुख्यालय बुलाया था, जिनका कंप्युटर द्वारा योगदान स्वीकार नहीं किया गया था। जहां सभी शिक्षकों का कंप्युटर से फोटो मिलान किया गया। तभी इन नवनियुक्त शिक्षकों का फोटो मैच नहीं हुआ। जिससे यह फर्जीवाड़ा पकड़ में आया। वहीं, पूरे मामले का खुलासा होने के बाद इस संदर्भ में माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव की तरफ से वैशाली एवं सहरसा के जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पकड़े गये फर्जी अध्यापकों पर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिये गये हैं।
बताया जाता है कि, इनमें एक फर्जी अध्यापक ने वैशाली जिले में पहली से 5 वीं कक्षा के अध्यापक पद पर फर्जी तरीके से योगदान की कोशिश की गयी है।लेकिन, कम्प्यूटर ने उनका योगदान स्वीकार नहीं किया। रोल नम्बर 121621 के आधार पर फर्जी तरीके से योगदान देने वाले मुन्ना पासवान राजनन्दन पासवान के पुत्र हैं।
उधर, आधिकारिक जानकारी के मुताबिक माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव की तरफ से दिये गये निर्देश के मुताबिक दूसरे चरण में नियुक्त होने वाले अध्यापकों के विद्यालयों में योगदान के बाद प्रधानाध्यापक उन्हें सशरीर लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में हाजिर होंगे, जहां कम्प्यूटर पर योगदान स्वीकृत करने के पहले उनकी बायोमेट्रिक जांच होगी। वहीं ऐसे अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग दूसरे चरण में नहीं हॉग जिनके पास आधार नंबर या आधार नंबर लिंक मोबाइल नहीं है।