DELHI: बिहार में एक-एक करके आधा दर्जन यूनवर्सिटी में घोटाला सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने सूबे के गवर्नर फागू चौहान को दिल्ली तलब किया है. फागू चौहान आज केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिलने पहुंचे. सूत्रों के हवाले से जो खबर आ रही है उसके मुताबिक धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यपाल फागू चौहान के सामने बिहार के विश्वविद्यालयों में घोटालों की लंबी फेहरिश्त रख कर पूछा कि आखिरकार वहां हो क्या रहा है।
धर्मेंद्र प्रधान से राज्यपाल की मुलाकात
य़े पहला मौका है जब बिहार के राज्यपाल फागू चौहान केंद्रीय शिक्षा मंत्री से मिलने पहुंचे हैं. आज शाम दिल्ली में फागू चौहान धर्मेंद्र प्रधान के दफ्तर पहुंचे. सूत्र बता रहे हैं कि बिहार के विश्वविद्यालयों के भ्रष्टाचार के अड्डे में तब्दील हो जाने के बाद नीतीश सरकार ने करप्शन से संबंधित सारी जानकारी केंद्र सरकार को भेज दी थी. उसके बाद ही राज्यपाल को दिल्ली तलब किया गया।
केंद्रीय मंत्री ने पूछा-ये क्या हो रहा है
राज्यपाल फागू चौहान और धर्मेंद्र प्रधान के बीच मुलाकात में चर्चा क्या हुई इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गयी है लेकिन सूत्र अंदर की बात बता रहे हैं. खबर ये आ रही है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पास बिहार के विश्वविद्यालयों में करप्शन से संबंधित ढेर सारे कागजात पहले से ही मौजूद था. राजभवन की एक साथ चार-चार यूनिवर्सिटी के कुलपति की कुर्सी संभालने वाले सुरेंद्र प्रताप सिंह से लेकर मगध विश्वविद्यालय के वीसी राजेंद्र प्रसाद के काले कारनामों की पूरी सूची केंद्र सरकार के पास पहुंची है. सूत्रों के मुताबिक धर्मेंद्र प्रधान ने राज्यपाल से पूछा कि आखिरकार इतना भारी भ्रष्टाचार होने के बावजूद वे खामोश क्यों बैठे रहे. सूत्र तो ये भी बता रहे हैं कि भ्रष्टाचार के तार राजभवन से जुड़े होने के दस्तावेज भी केंद्र सरकार के पास पहुंचे हैं. फागू चौहान को वह सब भी दिखाया गया.
हम आपको बता दें कि बिहार के आधा दर्जन यूनिवर्सिटी में भारी भ्रष्टाचार के मामले सामने आ चुके हैं. इन यूनिवर्सिटी के कुलपति का जिम्मा राजभवन के खास माने जाने वाले लोगों को दिया गया. बिहार सरकार के निगरानी विभाग के छापों में ऐसे फर्जीवाड़े पकड़े गये हैं जिससे बिहार सरकार दंग है. लेकिन राज्यपाल पर उसका कोई असर नहीं दिखा.
भ्रष्टाचार की कहानियां सामने आने के बावजूद मंगलवार को बिहार के राजभवन में चांसलर अवार्ड समारोह में बेस्ट कुलपति के तौर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति सुरेंद्र प्रसाद सिंह को अवार्ड दिया गया. राजभवन ने ये कारनामा ठीक उसी दिन किया जिस दिन सुरेंद्र प्रसाद सिंह के कारनामों के उजागर होने के बाद बिहार का उच्च शिक्षा जगत हतप्रभ था. मीडिया में सुरेंद्र प्रसाद सिंह के कारमानों की चर्चा हो रही थी लेकिन राजभवन ने तमाम आरोपों को दरकिनार कर सुरेंद्र प्रसाद सिंह का अवार्ड दे दिया.
बिहार सरकार ने बहिष्कार किया था
राजभवन के चांसलर अवार्ड समारोह में बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी औऱ शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों को शामिल होना था. लेकिन राजभवन की करतूतों से सख्त नाराज बिहार सरकार ने इस समारोह का बहिष्कार कर दिया. अवार्ड समारोह में बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी या शिक्षा विभाग के पदाधिकारी शामिल नहीं हुए. लेकिन राजभवन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
बिहार के विश्वविद्यालयों में भारी भ्रष्टाचार की कहानिय़ां सामने आने औऱ उनका लिंक राजभवन से जुडने के बाद राज्यपाल की शिकायत दिल्ली दरबार में किये जाने की खबर है. हालांकि सरकारी स्तर पर इसकी पुष्टि नहीं हो रही है लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार को बिहार के राज्यपाल के कारनामों की खबर दी है. इसमें मगध विश्वविद्यालय के वीसी राजेंद्र प्रसाद के काले कारनामों से लेकर मिथिला यूनिवर्सिटी के वीसी सुरेंद्र प्रसाद सिंह की करतूत और राजभवन से उनके लिंक की जानकारी दी गयी है. इसके बाद राज्यपाल को दिल्ली तलब किया गया.
हद देखिये कि मंगलवार को जब मिथिला यूनिवर्सिटी के वीसी सुरेंद्र प्रसाद सिंह को राज्यपाल ने बेस्ट कुलपति का अवार्ड दिया उससे पहले सुरेंद्र प्रसाद सिंह के कारनामे जगजाहिर हो चुके थे. मामला पटना के मौलाना मजहरुल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय केVC प्रोफेसर कुद्दुस के पत्र से सामने आया. मो. कुद्दुस ने कुछ दिनों पहले तक उस यूनिवर्सिटी के प्रभारी वीसी रहे सुरेंद्र प्रसाद सिंह के कारनामों की पोल खोलते हुए CM नीतीश कुमार को पत्र लिख दिया है. सुरेंद्र प्रसाद सिंह फिलहाल ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी के VC हैं लेकिन कुछ महीने पहले तक वे अरबी फारसी वि.वि. के भी प्रभारी कुलपति थे.
अरबी फारसी यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफेसर कुद्दुस ने अपने पत्र में कहा है कि उन्हें 19 अगस्त 2021 को यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर के तौर पर पदभार ग्रहण करना था. वे जॉइन करने पहुंचे लेकिन यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार मो हबीबुर रहमान ने उन्हें चार दिनों तक जॉइन करने से रोक दिया. इस बीच प्रभारी कुलपति सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने लाखों रूपये की हेराफेरी वाले कई फैसले किये. सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने लखनऊ की एक एजेंसी कोदोगुने दामों में आंसर शीट छापने के टेंडर दे दिया. पटना की एक खास एजेंसी के जरिए आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति में भी भारी घोटाला किया गया. यूनिवर्सिटी के दूसरे काम में लूट का खुला खेल चला. प्रो. कुद्दुस के पत्र के मुताबिक पहले उत्तर पुस्तिका की छपाई 7 रूपये प्रति कॉपी होती थी. सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने 16 रूपये प्रति कॉपी की दर से 1 लाख 60 हजार कॉपी छापने का आर्डर दे दिया. बाद में कॉपी छापने वाली एजेंसी ने 28 रूपये प्रति कॉपी की दर से बिल भेजा.
राजभवन से जुड़ा भ्रष्टाचार का लिंक
अरबी फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति मो. कुद्दुस ने अपने पत्र में लिखा है कि उन पर राजभवन के नाम पर इस भारी लूटपाट वाले बिल के भुगतान का दवाब बनाया जा रहा है. इस खेल में उनके साथ अतुल श्रीवास्तव नाम का एक व्यक्ति भी शामिल है. कुलपति ने उसके दो मोबाइल नंबरों का जिक्र करते हुए पत्र में लिखा है कि अतुल श्रीवास्तव राजभवन के नाम पर बिल का पेमेंट करने के लिए लगातार दबाव बना रहा है.
उससे पहले बिहार के जिस कुलपति के ठिकानों पर छापेमारी में 30 करोड़ की जालसाजी का खुलासा हुआ था उस पर राजभवन ने मेहरबानी दिखायी थी. बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों के आऱोपी और स्पेशल विजलेंस यूनिट की छापेमारी में बेनकाब हो चुके वीसी राजेंद्र प्रसाद को एक महीने का मेडिकल लीव दे दिया. हार की स्पेशल विजलेंस यूनिट ने 17 नवंबर को मगध विश्वविद्यालय के कुलपति रांजेद्र कुमार के ठिकानों पर छापेमारी की थी. गया, बोधगया से लेकर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में राजेंद्र कुमार के घर औऱ कार्यालय में छापा पड़ा था. वीसी के घर औऱ दफ्तर से करीब 2 करोड़ कैश के साथ साथ 1 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति के दस्तावेज बरामद हुए थे.उसके बाद राजेंद्र प्रसाद को आकस्मिक अवकाश दे दिया