बिहार में किसानों को फिर से ट्रैक्टर खरीद पर मिलेगा अनुदान, जानिए.. केंद्र सरकार के फैसले का किसे मिलेगा फायदा

बिहार में किसानों को फिर से ट्रैक्टर खरीद पर मिलेगा अनुदान, जानिए.. केंद्र सरकार के फैसले का किसे मिलेगा फायदा

PATNA : बिहार में किसानों के लिए एक अच्छी खबर है. केंद्र सरकार एक बार फिर से ट्रैक्टर की खरीद पर किसानों को अनुदान देने जा रही है. राज्य में यह व्यवस्था एक बार फिर से लागू हो गई है. हालांकि इस बार इस योजना का लाभ चुनिंदा किसानों को ही मिल पाएगा. सरकार ने ट्रैक्टर की खरीद पर 80 फ़ीसदी तक अनुदान देने का फैसला किया है. 


बता दें कि राज्य के 13 आकांक्षी जिलों में कृषि यंत्र बैंक बनाने वाले किसान समूहों को ही इसका लाभ मिलेगा. दूसरे किसान वहां से अपने इस्तेमाल के लिए सस्ती दर पर किराये पर ट्रैक्टर ले सकते हैं. केन्द्र सरकार ने राज्य के 13 जिलों को आकांक्षी जिला घोषित किया है. ये जिले- औरंगाबाद, गया, नवादा, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, शेखपुरा, जमुई, बांका, कटिहार, अररिया, खगड़िया, सीतामढ़ी और पूर्णिया हैं. इन्हीं आकांक्षी जिलों में केंद्र ने ट्रैक्टर पर अनुदान देने की यह नई योजना बनाई है. योजना पर अमल शुरू कर दिया गया है. 


इस योजना में ट्रैक्टर को मिलने वाले 80 फीसदी अनुदान की अधिकतम सीमा 8 लाख रुपये रखी गई है. चूंकि, अलग-अलग ट्रैक्टरों की अलग कीमत है लिहाजा, अधिकतम सीमा भी तय कर दी गई है. 


गौरतलब है कि राज्य में ट्रैक्टर के बढ़ते व्यवसायिक प्रयोग के कारण सरकार ने इस पर अनुदान देना लगभग चार साल पहले ही बंद कर दिया है. लेकिन, केन्द्र सरकार की योजना चलेगी. ऐसे ट्रैक्टर सामान्य यांत्रिकीकरण योजना में ट्रैक्टर अब भी शामिल नहीं हैं. लेकिन, केन्द्र सरकार ने यंत्र बैंक के लिए योजना शुरू की है. सरकार का मानना है कि बैंक से केवल कृषि कार्य के लिए यंत्र दिये जाते हैं. इसका अलग व्यवसायिक उपयोग नहीं हो सकता है. लिहाजा व्यवस्था केवल यंत्र बैंकों के लिए ही की गई है. 


जानकारी हो कि राज्य सरकार यांत्रिकीकरण योजना में लगातार बदलाव करते रही है. पहले अनुदानित यंत्रों की संख्या मात्र 14 ही थी. बाद में बढ़कर इनकी संख्या 71 हो गई. लेकिन, सरकार जरूरत के अनुसार उसमें यंत्रों को जोड़ती घटाती रही है. सरकार की प्राथमिकता पराली प्रबंधन पर हुई तो इससे जुड़े यंत्रों पर अनुदान बढ़ा दिया. इसी तरह बीच में जंगली जानवरों को रोकने के लिए जरूरी यंत्रों पर भी अनुदान की व्यवस्था की गई थी. बाद में यंत्रों की ताकत के आधार पर अनुदान मिलने लगा. लेकिन, आज के समय में अगर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ तो राज्य में केवल केन्द्र की ही योजना चलेगी.