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01-Feb-2025 06:30 AM
India Union Budget: भारत के केंद्रीय बजट का प्रस्तुत होना न केवल एक वित्तीय प्रक्रिया है, बल्कि यह भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में भी एक अहम घटना मानी जाती है। हर साल वित्त मंत्री देश के बजट को पेश करते हैं, जो सरकार की आर्थिक नीतियों, योजनाओं और दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है। इस साल निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को अपना आठवां बजट पेश करने जा रही हैं। हालांकि, भारत के इतिहास में कुछ ऐसे मंत्री रहे हैं जिन्होंने बजट पेश करने का अवसर नहीं पाया। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह और साथ ही केंद्रीय बजट से जुड़े कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य।
एचएन बहुगुणा और केसी नेओगी: जिनसे नहीं हो सका बजट पेश
भारत में आमतौर पर केंद्रीय वित्त मंत्री ही बजट पेश करते हैं, लेकिन दो ऐसे मंत्री रहे हैं जिन्होंने यह ऐतिहासिक अवसर नहीं पाया। वे थे:
एचएन बहुगुणा (1979-80): एचएन बहुगुणा ने केवल साढ़े पांच महीने के लिए वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला। उनके कार्यकाल की छोटी अवधि के कारण उन्हें बजट पेश करने का अवसर नहीं मिल पाया।
केसी नेओगी (1950): केसी नेओगी, जो भारतीय गणराज्य के पहले वित्त मंत्री थे, ने महज 35 दिनों के लिए वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला। उनका कार्यकाल इतना छोटा था कि वे बजट पेश नहीं कर पाए।
बजट लीक होने की घटना: जॉन मथाई का इस्तीफा
भारत के वित्त मंत्री जॉन मथाई के साथ एक और महत्वपूर्ण घटना जुड़ी है। 1950 में, संसद में बजट पेश होने से पहले ही बजट लीक हो गया था, जिसके बाद जॉन मथाई ने वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। यह घटना भारतीय राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ मानी जाती है, और इसके बाद से वित्त मंत्रालय द्वारा बजट की गोपनीयता पर अधिक ध्यान दिया गया।
बजट भाषण की लंबाई: मनमोहन सिंह और अरुण जेटली का रिकॉर्ड
भारत के केंद्रीय बजट में बजट भाषण की लंबाई को लेकर भी कुछ दिलचस्प रिकॉर्ड्स बने हैं। डॉ. मनमोहन सिंह का 1991 में प्रस्तुत किया गया बजट भाषण 18,604 शब्दों का था, जो अब तक का सबसे लंबा बजट भाषण माना जाता है। इसके अलावा, अरुण जेटली का भाषण भी काफी लंबा था, जिसमें लगभग उतने ही शब्द थे। इन भाषणों ने भारतीय बजट प्रस्तुतियों को एक नए दृष्टिकोण से देखा और बजट के महत्व को और अधिक समझने का अवसर प्रदान किया।
भारत का पहला वार्षिक बजट
आजादी के बाद 28 फरवरी 1948 को भारत का पहला वार्षिक बजट पेश किया गया था। यह बजट तत्कालीन वित्त मंत्री आर के शानमुखम चेट्टी ने प्रस्तुत किया था। यह भारतीय वित्तीय इतिहास की पहली ठोस शुरुआत थी और इससे भारत की वित्तीय योजनाओं का मार्ग प्रशस्त हुआ।
बजट समय में बदलाव: यशवंत सिन्हा की पहल
भारत के बजट का समय भी समय-समय पर बदला है। 1999 तक, भारत का बजट फरवरी के आखिरी कार्य दिवस पर शाम 5 बजे पेश किया जाता था। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार ने इस समय को बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया। इसका मुख्य उद्देश्य था कि बजट के प्रभाव को व्यापार जगत पर जल्दी महसूस किया जा सके, ताकि नए वित्तीय वर्ष के लिए योजनाएं और निवेश जल्दी से लागू किए जा सकें।
भारत का केंद्रीय बजट केवल एक वित्तीय दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक घटना है, जो सरकार की नीतियों, योजनाओं और दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है। इससे जुड़ी हर घटना, चाहे वह एचएन बहुगुणा और केसी नेओगी के कार्यकाल की अवधि हो या बजट लीक होने की घटना हो, भारतीय राजनीति और वित्तीय इतिहास का हिस्सा बन चुकी है। इस वर्ष जब निर्मला सीतारमण अपना आठवां बजट पेश करेंगी, तो यह न केवल एक महत्वपूर्ण वित्तीय दस्तावेज होगा, बल्कि भारत के बजट इतिहास में एक और नया अध्याय जोड़ेगा।