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1st Bihar Published by: KHUSHBOO GUPTA Updated Tue, 04 Mar 2025 11:37:00 AM IST
Strawberry Farming: सीतामढ़ी में स्ट्रॉबेरी की खेती से किसानों की आय बढ़ रही है। बाजार में हाई डिमांड के कारण स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों के चेहरे खिल गये हैं। स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए किसानों को विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन उन्हें कुछ बातों का ध्यान रखना होता है।
जिले के बथनाहा प्रखंड का मझौरा गांव स्ट्रॉबेरी की खेती का हब बनने की ओर अग्रसर है। यहां के लोग पूरे दिल से स्ट्राबेरी की खेती कर रहे है और उन्हें लाभ भी मिल रहा है। किसानों के जीवन में ठंडे प्रदेश में उपजने वाली स्ट्राबेरी खड़ा-मीठा स्वाद घोलने लगी है। ट्रायल के तौर पर गांव के दर्जन भर किसान स्ट्रॉबेरी की पहली बार खेती शुरू किए। इसकी अच्छी उपज से किसान अन्य फसलों की तुलना में दुगुना आमदनी कर रहे है। इस खेती में कृषि विभाग एवं आत्मा परियोजना का पूरा सहयोग मिल रहा है।
स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों की आय में वृद्धि हो रही है, क्योंकि स्ट्रॉबेरी की मांग बाजार में बहुत अधिक है। यह फसल कई महीने तक मुनाफा देती है। स्ट्रॉबेरी की खेती नवंबर से मार्च तक होती है। स्ट्रॉबेरी 400 से 500 रुपये प्रति किलो तक बिकता है। इसकी मांग इतनी है कि व्यापारी खेतों पर ही पहुंचकर स्ट्रॉबेरी खरीद कर ले जाते हैं। बताया गया है की स्ट्रॉबेरी के पौधों को मध्यम तापमान की जरूरत होती है। इसकी बुआई सितम्बर से अक्टूबर के बीच होती है।
स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए सबसे पहले मिट्टी तैयार करनी होती है, मिट्टी को अच्छी तरह से जोतना होता है और फिर उसमें 10-15 सेंटीमीटर की गहराई तक कम्पोस्ट या गोबर की खाद मिलानी होती है। खाद मिलाने के बाद इसके बीजों को 1-2 सेंटीमीटर की गहराई पर और 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर बोना होता है। पौधों को 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर और 10-15 सेंटीमीटर की गहराई पर लगाना होता है। पौधों को नियमित रूप से पानी देना होता है, लेकिन मिट्टी को अधिक गीला नहीं करना होता है। पौधों के आसपास की मिट्टी को नियमित रूप से जोतना होता है और खरपतवार निकालना होता है।