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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 11 Apr 2025 07:50:47 PM IST
- फ़ोटो reporter
Purnea: फणीश्वरनाथ रेणु की स्मृति में आयोजित दो दिवसीय "रेणु-स्मृति-पर्व 2025" का प्रथम दिवस जो मंचीय कार्यक्रमों के लिए था का समापन साहित्य, संस्कृति और जनचेतना के भावनात्मक संगम के साथ हुआ।
यह आयोजन बिहार विधान परिषद के उपसभापति प्रो. (डॉ.) रामबचन राय की प्रेरणा से संभव हो पाया, जिन्होंने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि "रेणु केवल लेखक नहीं, जनपदीय चेतना के प्रतीक और स्वतंत्रता संग्राम के सशक्त साक्षी थे।"
साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. माधव कौशिक एवं सचिव डॉ. के. एस. राव ने उद्घाटन सत्र में भाग लिया और रेणु के साहित्य को भारत की जनभाषा और जनभावना का दस्तावेज़ बताया। उन्होंने कहा कि रेणु का लेखन आम जन के संघर्ष, संवेदना और स्वाभिमान की अभिव्यक्ति है।
कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की पूर्णिया व कोसी-सीमांचल क्षेत्र के अग्रणी साहित्यकारों और वक्ताओं ने, जिनमें प्रमुख रूप से –राम नरेश भक्त, नीरद जनवेणु, रामदेव सिंह, कला रॉय, संजय कुमार सिंह, शम्भु लाल वर्मा, सुरेन्द्र यादव, निरुपमा रॉय, मो. कमाल, गिरीन्द्र नाथ झा आदि शामिल रहे। इन वक्ताओं ने रेणु के साहित्य, स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, तथा जनपद चेतना पर अपने उद्गारों से श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा कला भवन, पूर्णिया के नाट्य विभाग द्वारा प्रस्तुत नाटक "पंचलेट", जिसका निर्देशन विश्वजीत कुमार सिंह ने किया। यह नाट्य प्रस्तुति रेणु की प्रसिद्ध कहानी पर आधारित थी, जिसमें झारखंड से आए वरिष्ठ रंगकर्मी दिनकर शर्मा सहित अन्य कलाकारों ने अत्यंत प्रभावशाली अभिनय किया। इस आयोजन का संयुक्त आयोजन पूर्णिया विश्वविद्यालय एवं विद्या विहार आवासीय विद्यालय ने किया।
प्रो. ज्ञानदीप गौतम को विश्वविद्यालय समन्वयक के रूप में नामित किया गया, जबकि आयोजन समिति की ओर से प्रो. (डॉ.) रत्नेश्वर मिश्रा ने पत्रकार वार्ता में कार्यक्रम की रूपरेखा साझा की। 12 अप्रैल को सभी आमंत्रित अतिथि रेणु जी के पैतृक गांव "औराही हिंगना" की यात्रा करेगी और वहाँ उनकी स्मृति से जुड़े स्थलों का अवलोकन कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करेगी।
कार्यक्रम स्थल पर एक विशेष वाचनालय स्थापित किया गया, जिसमें रेणु जी की रचनाओं के साथ-साथ स्थानीय साहित्यकारों की कृतियाँ भी प्रदर्शित की गईं। इसका उद्देश्य था जनपदीय साहित्य को नए पाठकों से जोड़ना और क्षेत्रीय लेखन को सम्मान देना। कार्यक्रम में विद्या विहार एवं पूर्णिया विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं, साथ ही पूर्णिया व आसपास के अनेक साहित्य प्रेमियों ने भी उत्साहपूर्वक सहभागिता की, और रेणु की साहित्यिक विरासत को निकट से अनुभव किया।
साहित्य प्रेमियों में प्रो० सी के मिश्र, प्रो० उषा शरण, प्रो० बंदना भारती, वैदिक पाठक, संजीव सिंह, राजेश शर्मा, पूजा मिश्र, स्वरूप दास, रमेश मिश्र, उमेश मिश्र थे। युवाओं के लिए यह आयोजन साहित्य से जुड़ने और समाज को समझने का सशक्त माध्यम बना। "रेणु-स्मृति-पर्व 2025" जनपद चेतना, साहित्यिक परंपरा और सांस्कृतिक संवाद का एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ बन गया है, जिसकी प्रतिध्वनि आने वाले वर्षों तक बनी रहेगी।