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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 16 Apr 2025 04:20:21 PM IST
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Bihar Teacher News: बिहार के नालंदा जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक शिक्षक को पिछले 30 वर्षों से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। यह मामला नालंदा के नूरसराय प्रखंड स्थित चंद्रशेखर संस्कृत प्राथमिक सह मध्य विद्यालय, लोहड़ी से जुड़ा हुआ है। पीड़ित शिक्षक का नाम शिवाकांत पांडेय है, जो हाल ही में 31 मार्च 2025 को प्रधानाध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
शिवाकांत पांडेय की पत्नी अंजू देवी ने अब जिले के लोक शिकायत निवारण केंद्र में आवेदन देकर इंसाफ की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि उनके पति ने 1995 से लगातार कई बार विभागीय कार्यालयों के चक्कर लगाए, लेकिन आज तक वेतन नहीं मिला है। आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव के कारण अब उनकी हालत चिंताजनक हो गई है।
क्या है मामला?
मामले की जानकारी के अनुसार, शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक का वेतन तीन बार विद्यालय बंद पाए जाने के कारण रोका गया। बताया गया कि संस्कृत बोर्ड के निर्देश पर यह कदम उठाया गया था। विभाग का कहना है कि विभागीय जांच में अनियमितता सामने आने पर वेतन रोका गया और मामला जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) कार्यालय के अधीन भेजा गया। अब मामला लोक शिकायत निवारण केंद्र पहुंचने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप से शिक्षक को न्याय मिल सकेगा।
शिक्षा विभाग का पक्ष
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि वेतन भुगतान का निर्णय बोर्ड के निर्देश और जांच रिपोर्ट के आधार पर लिया गया था। उनका कहना है कि जब तक विभागीय आदेश नहीं आता, तब तक वेतन जारी नहीं किया जा सकता। हालांकि लोक शिकायत केंद्र में मामला जाने के बाद, DEO कार्यालय द्वारा जांच कर अंतिम निर्णय लिए जाने की संभावना है।
सवालों के घेरे में व्यवस्था
यह मामला शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करता है। अगर वाकई विद्यालय बंद था, तो तीन दशकों तक किसी वैकल्पिक कार्रवाई या सेवा समाप्ति का कोई ठोस निर्णय क्यों नहीं लिया गया? और अगर शिक्षक दोषी नहीं हैं, तो उन्हें इतने वर्षों तक वेतन से वंचित रखना न्यायोचित कैसे है?
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
शैक्षणिक मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कोई शिक्षक कार्य नहीं कर रहा था, तो उचित विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए थी। लेकिन वेतन रोके रखना और किसी स्पष्ट आदेश का अभाव शिक्षक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। बिहार के नालंदा जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां एक शिक्षक को 30 साल तक बटन नहीं मिला है।