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RCD की कछुआ चाल ! करोड़ों की निकासी और सिर्फ सस्पेंशन ? इंजीनियरों के निलंबन से घोटाले के दाग खत्म नहीं होंगे...

पथ निर्माण विभाग के करोड़ों के सड़क घोटाले में शामिल दो इंजीनियरों को निलंबित कर दिया गया, लेकिन अवैध रूप से निकाली गई सरकारी राशि की वसूली पर विभाग चुप है। 1st Bihar/Jharkhand ने 25 दिसंबर 2024 को इस घोटाले का खुलासा किया था.

1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Wed, 16 Jul 2025 02:25:14 PM IST

बिहार पथ निर्माण विभाग, गया सड़क घोटाला, इंजीनियर सस्पेंड, आरसीडी भ्रष्टाचार, विजय सिन्हा जांच, करोड़ों की निकासी, भ्रष्टाचार बिहार, सरकारी घोटाला

- फ़ोटो Google

Bihar News: पथ निर्माण विभाग ने काफी फजीहत के बाद दो इंजीनियरों को निलंबित किया. निर्माण कंपनी को एक्स्ट्रा कैरेज भुगतान के आरोप में संदिग्ध/ शामिल अधीक्षण-कार्यपालक अभियंताओं को सस्पेंड कर विभाग चुप बैठ गया. आरसीडी ने 16 मई 2025 को ही खेल में शामिल दो इंजीनियरों को सस्पेंड किया था. हालांकि दोषी इंजीनियरों के निलंबन के तीन माह बीतने के बाद भी विभाग खास सक्रियता नहीं दिखा रहा है.बता दें, 1st Bihar/Jharkhand ने 25 दिसंबर 2024 को पथ निर्माण विभाग के पथ प्रमंडल-1 गया में करोड़ों के घोटाले का खुलासा किया था. 

सरकारी राशि की कब होगी वसूली...विभाग बताने को तैयार नहीं 

पथ निर्माण विभाग के इंजीनियरों की मिलीभगत से सरकारी खजाने से हुई करोड़ों की अवैध निकासी के बाद विभाग क्या कर रहा है ? काफी समय बीतने के बाद भी यह बताने वाला कोई नहीं. इस संबंध में हमने पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख से बात करने की कोशिश की. हमने उन्हें फोन किया, उनके सरकारी मोबाईल पर इस संबंध में सवाल भेजे. लेकिन अभियंता प्रमुख सुनील कुमार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया. लिहाजा पथ निर्माण विभाग का पक्ष नहीं रखा जा सका. 

1st Bihar/Jharkhand ने 25 दिसंबर 2024 को किया था बड़ा खुलासा 

खुलासे के बाद डिप्टी सीएम सह पथ निर्माण विभाग के तत्कालीन मंत्री विजय सिन्हा ने जांच के आदेश दिए थे. प्राथमिक जांच में आरोप सही पाये गए थे. शुरूआती दौर में खबर को ही असत्य करार देने की कोशिश की गई थी, पर सच तो सच होता है. 1st Bihar/Jharkhand ने पूरे तथ्य के साथ पोल खोली तो तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया था कि पथ प्रमंडल सं-1 गया में बड़ा खेल हुआ है. मामला काफी हाई प्रोफाइल हो गया था, लिहाजा खुलासे के पांच माह बीतने के बाद  पथ निर्माण विभाग ने तत्कालीन और वर्तमान कार्यपालक अभियंता को निलंबित किया था. 

16 मई को निलंबित हुए थे अधीक्षण-कार्यपालक अभियंता 

पथ निर्माण विभाग ने 16 मई को दोषी इंजीनियरों के निलंबन की अधिसूचना जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि पथ प्रमंडल संख्या- एक गया के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता सुशील कुमार वर्तमान में अधीक्षण अभियंता बजट मुख्य अभियंता कार्यालय पथ निर्माण विभाग में पदस्थापित हैं. गया में पदस्थापन अवधि में इन पर गंभीर अनियमितता के आरोप हैं. इनके द्वारा पथ प्रमंडल संख्या-एक गया के अंतर्गत तीन सड़क भिंडस से चमंडी, वजीरगंज से तपोवन एवं सेवतर से जमुआवां पथ के निर्माण कार्य में प्रयुक्त खनिज सामग्री के संबंध में  कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा द्वितीय दावा राशि के भुगतान की मांग पर बिना जांच पड़ताल किए ही स्वीकृति दी गई।  

पथ निर्माण विभाग ने स्वीकार किया-एक्स्ट्रा कैरेज के नाम पर करोड़ों की हुई निकासी 

पथ निर्माण विभाग की अधिसूचना में कहा गया था कि भिंडस से चमंडी पथ कार्य में प्रयुक्त खनिज सामग्री के संबंध में कंपनी के द्वारा एक्स्ट्रा कैरेज का 2 करोड़ 50 लाख 37000 रू का दावा किया गया. जिसे कार्यपालक अभियंता द्वारा स्वीकृत किया गया . वजीरगंज से तपोवन पथ निर्माण कार्य में प्रयुक्त सामग्री के एक्स्ट्रा कैरेज का दावा 6 करोड़ 48 लाख 825 हजार रुपए का किया गया. जिसकी स्वीकृति दी गई . सेवतर से जमुआवां पथ निर्माण कार्य में संवेदक द्वारा एक्स्ट्रा कैरेज के रूप में 5 करोड़ 69 लाख 98 हजार रुपए का दावा किया गया. जिसे स्वीकृति प्रदान की गई .

जिला खनन पदाधिकारी पाकुड ने खेल का किया था खुलासा  

पथ निर्माण विभाग ने अपने पत्र में आगे कहा था कि एक्स्ट्रा कैरेज का चालान प्रारंभ में ही संदिग्ध था. जिला खनन पदाधिकारी पाकुड़ ने 8 अगस्त 2024 को उन चालानों का सत्यापन रिपोर्ट दिया, जिसमें बताया गया की 2015 में निर्गत वो सभी चालान उनके कार्यालय से निर्गत नहीं हैं. ऐसे में मामला संदिग्ध होने के बावजूद तत्कालीन कार्यपालक अभियंता सुशील कुमार ने बिना जांच किए ही दावा राशि की भुगतान संबंधी कार्रवाई की, जो उनके संवेदक के साथ मिली भगत कर सरकारी राशि की दुरुपयोग की मंशा परिलक्षित होती है. ऐसे में इनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जाती है. निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय अभियंता प्रमुख का कार्यालय होगा .

जांच कराकर लाभ लेने के चक्कर में ततत्कालीन कार्यपालक अभियंता भी हुए थे सस्पेंड 

तब के कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल-गया रितेश चंद्र सिन्हा को भी 16 मई 2025 को ही निलंबित किया गया .  इन पर भी इन्हीं तीनों सड़क में एक्स्ट्रा कैरेज भुगतान संबंधी मामले को दबाने का आरोप है. पथ निर्माण विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि एक्स्ट्रा कैरेज चालान के सत्यापन से संबंधित 2014-15 में निर्गत पत्रों के संबंध में जिला खनन पदाधिकारी पाकुड़ द्वारा 8 अगस्त 2024 के द्वारा सूचित किया गया था. बताया गया था कि वह पत्र उनके कार्यालय से निर्गत नहीं है. स्पष्ट है कि इस कार्य में संवेदक को किए गए दावा राशि का भुगतान संबंधी कार्रवाई संदिग्ध है. इनके द्वारा भुगतान की गई राशि के संबंध में किसी तरह की कानूनी या राशि वसूली की कार्रवाई नहीं की गई. इतना ही नहीं एक माह बाद अधीक्षण अभियंता गया अंचल से परामर्श मांगा गया. इसके अतिरिक्त सोशल मीडिया पर गलत सूचना आने पर जब उप मुख्य मंत्री द्वारा जानकारी प्राप्त की गई , तब कार्यपालक अभियंता रीतेश सिन्हा के द्वारा जिन तथ्यों की जानकारी दी गई वह प्रथम दृश्य गलत भुगतान को दबाने का प्रयास प्रतीत होता है.

जानें पूरा मामला.......

बता दें, पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता रीतेश सिन्हा ने 6 अगस्त 2024 को पत्र सं.1257 के माध्यम से पाकुड़ (झारखंड) के खनन अफसर को पत्र लिखा था. जिसमें इनके कार्यालय (खनन कार्यालय पाकुड) से जारी कुल 6 पत्रों को सत्यापित करने को कहा था. पत्र सं-312/M,06.04.2015, 370/M 24.04.2015, 408/M 14.05.15, 379/M 02.05.2015, 398/M 13.05.2015 एवं 13.05.2015 DATE 13.05.2015 (सभी पत्र 2015 के हैं) को सत्यापित करने को कहा. पाकुड के खनन कार्यालय से सत्यापित करने को कहा गया कि यह चिट्ठी आपके कार्यालय से जारी हुआ है या नहीं ? पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंता ने बजाप्ता अपने एक सहायक अभियंता निशांत राज को इस काम के लिए प्राधिकृत किया था.  

 पाकुड के खनन अधिकारी ने 8 अगस्त 2024 को ही दिया था जवाब

पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता के पत्र संख्या 1257 के आलोक में जिला खनन पदाधिकारी पाकुड़ (झारखंड) ने 8 अगस्त 2024 को जवाब भेजा। जिसमें जानकारी दी गई थी कि उपरोक्त सभी पत्र कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल -1 गया को निर्गत नहीं है। पाकुड के खनन पदाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया था कि जिस 6 पत्रों के बारे में उल्लेख किया गया है, वह उनके कार्यालय से जारी नहीं है, यानि उपरोक्त सभी पत्र फर्जी हैं। झारखंड से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद भी गया पथ प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता मामले को दबाये रखे, इतना ही नहीं, जब 1st Bihar/Jharkhand ने पूरे मामले का खुलासा किया तो बड़े घोटाले को छुपाने के लिए मंत्री को भी गलत जानकारी दी थी. 

Extra कैरेज कॉस्ट के रूप में करोड़ों का हुआ भुगतान 

आरोप है कि फर्जी पत्र लगवाकर पथ प्रमंडल-1 गया ने एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को करोड़ों रु (extra कैरेज कॉस्ट) का भुगतान किया है। E.E. गया और पाकुड़ के खनन अफसर के बीच हुए पत्राचार का दोनों पत्र हमारे पास है। पूरा मामला  Extra कैरेज कॉस्ट का भुगतान का है. झारखंड के पाकुड खनन कार्यालय का फर्जी पत्र लगाकर 2015-16 में करोड़ों का भुगतान लेने की बात है. सड़क निर्माण में लगने वाले पत्थर को झारखंड से लाने का फर्जी पत्र स्वीकार कर पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंताओं ने निर्माण कंपनी को Extra कैरेज कॉस्ट का भुगतान किया.