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31-Aug-2021 07:04 AM
PATNA : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार यह कहते रहे हैं कि अपराधिक मामलों के पीछे जमीन विवाद एक बड़ी वजह रहा है। राज्य सरकार ने इसी दिशा में काम करते हुए जमीन विवाद के मामलों को कम करने के मकसद से कई बड़े फैसले किए हैं। अब नीतीश सरकार एक और नई व्यवस्था लागू करने जा रही है। बिहार में जमीन से जुड़े हर मुकदमे का अब एक अलग यूनिक कोड लागू करने का सिस्टम होगा। यह कोड विवाद की गंभीरता को इंगित करेगा। इसी के साथ सभी विवादों को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने 11 श्रेणियों में बांटने का फैसला किया है। किसी भी स्तर के कोर्ट के फैसले को तुरंत लागू किया जाएगा। इसकी मॉनिटरिंग के लिये गृह विभाग एक सॉफ्टवेयर विकसित करेगा।
प्रदेश में जमीन से जुड़े विवादों के निपटारे और उन्हें हमेशा के लिये खत्म करने के मकसद से सरकार यह सिस्टम विकसित कर रही है। नई व्यवस्था होने पर स्थानीय अधिकारी उच्च अधिकारियों को गुमराह नहीं कर सकेंगे । भूमि विवाद से जुड़े हर केस के यूनिक कोड रखने का फैसला राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, गृह विभाग तथा बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन ने संयुक्त बैठक कर लिया है। भूमि विवादों को लेकर थाना से लेकर मुख्यालय स्तर पर बैठक कर कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं । विवादों को जो कोड दिये जाएंगे मामला अपराध बढ़ाने को लेकर कितना संवेदनशील है। साथ ही इसका प्रभाव क्षेत्र क्या है। वह उनके स्थल, संवेदनशीलता, पूर्व का इतिहास आदि ब्योरा पर आधारित होगा। कोई अधिकारी कोड देखकर पता कर लेगा कि यह विवाद अपराध बढ़ाने को लेकर कितना गंभीर है।
सरकार ने भूमि विवाद को 11 अलग-अलग कैटेगरी में बांटने की तैयारी की है। सरकार जमीन विवाद को इन श्रेणियों में बांटेगी।
निजी रास्ता का विवाद
सरकारी भूमि का अतिक्रमण
सरकारी भूमि पर कब्जा का विवाद
बन्दोबस्त भूमि से बेदखली का मामला
सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट में विचाराधीन मामले वाली भूमि को लेकर विवाद एवं कोर्ट के आदेश अनुपालन के समय उत्पन्न विवाद
राजस्व कोर्ट में विचाराधीन मामलों वाली भूमि को लेकर विवाद एवं कोर्ट के आदेश अनुपालन के समय विवाद
सिविल कोर्ट में लंबित मामलों में भूमि को लेकर विवाद एवं कोर्ट के आदेश अनुपालन के समय उत्पन्न विवाद
भूमि की मापी-सीमांकन के समय उत्पन्न भू-विवाद
लोक शिकायत निवारण प्राधिकार के आदेश के अनुपालन में उत्पन्न विवाद
पारिवारिक भूमि बंटवारा से विवाद
अन्य तरह के जमीन विवाद