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10-Dec-2024 09:53 PM
MUZAFFARPUR (Tirhut Graduate Election): बिहार विधान परिषद की तिरहुत स्नातक एमएलसी सीट पर दिलचस्प चुनाव परिणाम आया है। नीतीश, तेजस्वी, प्रशांत किशोर जैसे नेताओं के प्रत्याशियों को हरा कर एक निर्दलीय शिक्षक नेता वंशीधर ब्रजवासी ने जीत ली है। वंशीधर ने जेडीयू से यह सीट छीन ली है जो देवेश चंद्र ठाकुर ने सांसद बनने के बाद खाली की थी। उप चुनाव में जेडीयू का हाल ये हुआ कि उसके उम्मीदवार अभिषेक झा चौथे नंबर पर चले गए। वंशीधर ब्रजवासी का सबसे नजदीकी मुकाबला प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के विनायक विजेता के साथ रहा जो दूसरे नंबर पर आए। अब बात वंशीधर ब्रजवासी की संपत्ति की करते हैं।
दरअसल बिहार विधान परिषद की तिरहुत स्नातक एमएलसी चुनाव के नामांकन के दौरान उन्होंने इस बात का जिक्र किया था कि उनके पास कुल संपत्ति 6 लाख 77 हजार है। वही उनकी पत्नी के नाम पर 10 लाख 85 हजार की प्रॉपर्टी है। जमीन और घर मिलाकर दोनों पति पत्नी के नाम पर 1.52 करोड़ की अचल संपत्ति है।
नॉमिनेशन में इस बात का भी जिक्र है कि वंशीधर ने 18 लाख का लोन लिया था। वो लोन की राशि अभी भी दे रहे हैं। अब सिर्फ डेढ़ लाख लोन बकाया है। उनके पास कुल नकद 1 लाख 55 हजार रुपये हैं जबकि उनकी पत्नी के पास 1.50 लाख कैश है। इसके अलावे 100 ग्राम सोना और आधा किलो चांदी उनके पास है जिसकी अनुमानित कीमत 7.85 लाख रुपये है।
वंशीधर के पास एक बाइक और स्कूटी है। उनके आय का स्त्रोत खेती है वही पत्नी सिलाई-कढ़ाई कर पैसे कमाती है। ब्रजवासी इंकलाबी दस्तक के नाम से अपना यू-ट्यूब चैनल भी चलाते हैं। मुजफ्फरपुर के रहने वाले बंशीधर ब्रजवासी सहनी समाज से आते हैं। उनके खिलाफ दो मुकदमे भी लंबित हैं जो सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का है।
तिरहुत स्नातक सीट पर जीत हासिल कर एमएलसी बनने वाले वंशीधर ब्रजवासी की कहानी बेहद दिलचस्प है. जीत हासिल करने के बाद वंशीधर ब्रजवासी ने मीडिया से बात करते हुए सबसे पहले नीतीश सरकार को धन्यवाद कहा. ब्रजवासी ने कहा कि वे सरकार को इसलिए धन्यवाद देना चाहेंगे क्योंकि अगर सरकार ने उन्हें नौकरी से बर्खास्त नहीं किया होता तो आज वे एमएलसी नहीं बनते. सरकार ने कार्रवाई की तभी शिक्षक गोलबंद हुए और उसका नतीजा सामने है.
अब वंशीधर ब्रजवासी का इतिहास जानिये. वे मुजफ्फरपुर जिले के मड़वन प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, रक्सा पूर्वी में प्रखंड शिक्षक के तौर पर कार्यरत थे. वे नियोजित शिक्षकों के संघ के अध्यक्ष थे और नियोजित शिक्षकों की मांगों के समर्थन में लगातार आंदोलन करते थे. मामला तब फंसा जब केके पाठक बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बन कर आये. केके पाठक ने शिक्षकों के किसी भी तरह आंदोलन पर रोक लगा दिया था और शिक्षकों के यूनियन को अवैध घोषित कर दिया था.
केके पाठक के निर्देश पर भी प्रखंड शिक्षक वंशीधर ब्रजवासी के खिलाफ कार्रवाई हुई थी. इसी साल 28 मार्च को मुजफ्फरपुर के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) ने मुजफ्फरपुर के मड़वन प्रखंड नियोजन इकाई को पत्र लिख कर वंशीधर ब्रजवासी के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था. इसके बाद प्रखंड नियोजन इकाई ने ब्रजवासी को निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई शुरू की थी.
हालांकि इसी दौरान केके पाठक बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पद से विदा हो गये थे लेकिन उनके कार्यकाल में वंशीधर ब्रजवासी के खिलाफ शुरू हुई विभागीय कार्रवाई जारी रही. आखिरकार वंशीधर ब्रजवासी को शिक्षक की नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था. मड़वन प्रखंड के बीडीओ ने 24 जुलाई को प्रखंड नियोजन इकाई की बैठक बुलाई और शिक्षक वंशीधर ब्रजवासी को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया था.
इसी बीच तिरहुत स्नातक क्षेत्र में विधान परिषद की सीट पर उप चुनाव का ऐलान हो गया. दरअसल इस सीट से जेडीयू के देवेश चंद्र ठाकुर एमएलसी हुआ करते थे. लेकिन लोकसभा चुनाव में वे सांसद चुन लिये गये. इसके बाद उन्होंने एमएलसी की सदस्यता से इस्तीफा दिया और ये सीट खाली हो गयी. शिक्षकों के समर्थन से वंशीधर ब्रजवासी चुनाव मैदान में उतरे औऱ सारी पार्टियों को धूल चटाकर जीत हासिल कर ली.