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11-Jan-2020 06:34 PM
By PRIYARANJAN SINGH
SUPAUL: सुपौल में बिहार पुलिस की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिस महिला के हत्या के आरोप में पुलिस ने पति समेत पूरा परिवार को जेल भेज दिया था वह महिला जिंदा मिली है. पुलिस जांच में बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिसके बाद कोर्ट ने बिहार पुलिस के लिए काला धब्बा बताया है.
केस जांच करने वाले पर लगा 6 लाख रुपए का जुर्माना
सुपौल कोर्ट ने इस केस में पुलिस के जांच पर सवाल उठाया है. कोर्ट ने इस केस के अनुसंधानकर्ता पर 6 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. यह जुर्माना का पैसा पीड़ित परिवार को आईओ को अपने सैलरी से देने का आदेश दिया है. इसके साथ ही सुपौल पुलिस को फटकार लगाई है.
पति समेत पूरा परिवार गया था जेल
जिंदा पत्नी की हत्या में जेल गए रंजीत पासवान और उसके परिवार के मामले में सुपौल कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय आया है. इस निर्णय ने पूरे बिहार पुलिस महकमें की जांच के तौर तरीके के पोल खोल कर रख दी है.
वैज्ञानिक अनुसंधान की जांच की बात कर रही थी पुलिस
पुलिस ने वैज्ञानिक अनुसंधान का दावा कर कई बड़ी घटनाओं को सुलझाने वाली बिहार पुलिस के जांच पर ही कोर्ट ने सवाल खङा कर दिया है. जहां कोर्ट ने बिहार पुलिस के अनुसंधान को टेबल रिपोर्ट करार दिया है और इस घटना को बिहार पुलिस के लिए काला धब्बा बताया है. कोर्ट ने पीङित परिवार को इस फर्जी हत्या से बरी कर दिया है. अपनी जिंदा पत्नी की हत्या में रंजीत औऱ उसके परिवार वालों द्वारा जेल में बीताये 5 माह से अधिक अवधि को अवैध मानते हुए कोर्ट ने कहा है कि सुपौल पुलिस ने एक दुसरे हत्या को दबाने के लिए अनुसंधान कर्ता के अक्षमता और अयोगय्ता के कारण एक हत्या के केस बिना प्राथमिकी और बिना अनुसंधान के स्वत: समाप्त हो गया. जो बिहार पुलिस के लिए शर्मनाक विषय है. अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश तृतीय रवि रंजन मिश्र ने सुपौल थाना कांड संख्या 310/2018 में निर्णय सुनाते हुए कांड के तीन अभियुक्त रंजीत पासवान ,विशुन देव पासवान एवं गीता देवी को हत्या के आरोप से दोष मुक्त कर दिया है.
दूसरे का शव देख पूरा परिवार को भेज दिया जेल
अचानक महिला लापता हो गई थी. जिसके बाद मायके वालों ने हत्या का आरोप लगाया था. पुलिस ने बिना जांच किए हुए ही दूसरे का शव देखकर महिला का बताया दिया था और आरोप में सभी को जेल भेज दिया था. लेकिन वह महिला 6 माह के बाद वापस लौट आई. इस केस में कोर्ट ने कहा है कि पुलिस ने टेबुल जांच कर ही इस मामले को रफा दफा कर दिया. जिसके कारण निर्दोषों को जेल जाना पड़ा.