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09-Jun-2021 09:04 PM
PATNA : बिहार सरकार की लाखों एकड़ जमीन लापता हो गयी है. सरकार अपनी जमीन की तलाश में लगी है. बिहार सरकार को जब अपनी योजनाओं को अमल में लाने के लिए जमीन के छोटे टुकडे की भी किल्लत होने लगी तो जांच शुरू की गयी. शुरूआती पड़ताल में 90 हजार से ज्यादा लापता सरकारी प्लॉट का पता चला है, लेकिन लाखों के अभी गायब ही रहने की संभावना है. लिहाजा सरकार ने अपने बंदोबस्त पदाधिकारियों को नोटिस जारी किया है, तीन दिनों के भीतर सरकारी जमीन का हिसाब भेजें वर्ना सरकार उनका हिसाब कर देगी.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जारी किया पत्र
बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने 20 जिलों के बंदोबस्त पदाधिकरियों को पत्र जारी किया है. उनसे कहा गया है कि तीन दिनों के भीतर वे अपने जिले में सरकारी जमीन का पूरा रिकार्ड विभाग को उपलब्ध कराएं. सारे पदाधिकारियों को कहा गया है कि वे बकायदा शपथ पत्र देकर गारंटी दें कि जितनी जमीन का हिसाब-किताब उन्होंने सौंपा है उसके अलावा कोई सरकारी जमीन उनके जिले में नहीं है।
नीतीश मांग रहे हैं हिसाब
विभागीय सूत्रों के मुताबिक राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बाद ये कवायद शुरू की है. विभाग की ओऱ से जारी पत्र में लिखा भी गया है कि रिकार्ड की की मांग उच्च स्तर से की जा रही है. विभाग की ओऱ से जारी पत्र में बकायदा सारी जानकारी देने को कहा गया है. सरकारी जमीन का अंचल, राजस्व ग्राम, थाना, खाता और खेसरा संख्या, रकबा के अलावा यह भी बताना है कि वह जमीन सरकार के पास कैसे आय़ी. किसी ने दान दिया, सरकार ने भू अर्जन किया या फिर कोई दूसरे तरीके से आयी है. बंदोबस्त पदाधिकारी को इसका भी जिक्र करना है कि जिस सरकारी जमीन का वे ब्योरा दे रहे हैं उस पर किसका दखल है. सरकार की जमीन सुरक्षित है या फिर कब्जा हो रखा है.
90 हजार प्लॉट का पता चला
दरअसल सरकारी जमीन अलग अलग विभागों के हैं. जांच में अब तक 90 हजार सरकारी प्लॉट का पता चला है. इसमें सबसे ज्यादा प्लॉट राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का है. इस विभाग के साढ़े 44 हजार से ज्यादा प्लॉट की जानकारी मिली है. वहीं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के लगभग 13 हजार प्लॉट की जानकारी मिली है. वहीं शिक्षा विभाग के 10 हजार से ज्यादा प्लॉट की खबर मिली है. कृषि, पशुपालन-मत्स्य संसाधन, पिछड़ा एवं अत्यंत पिछड़ा कल्याण, भूदान, भवन निर्माण, कैबिनेट सचिवालय, कॉमर्शियल टैक्स, सहकारिता, उदयोग, कानून, राजस्व, विज्ञान एवं प्रावैधिकी, आपदा प्रबंधन, ऊर्जा, पर्यावरण और वन, वित, सामान्य प्रशासन, श्रम, सूचना एवं जनसपर्क विभागों की जमीन का भी पता लगाया जा रहा है.
राज्य सरकार ने सूबे के जिन 20 जिलों को पत्र भेजा है उनमें मुंगेर, नालंदा, पूर्णिया, लखीसराय, कटिहार, बेगूसराय, खगडिय़ा, जहानाबाद, अरवल शिवहर, अररिया, सीतामढ़ी, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पश्चिम चंपारण,बांका, जमुई, शेखपुरा शामिल हैं.
परेशानी के बाद चेती सरकार
सरकारी जमीन की खोज खबर का ये अभियान सरकारी योजनाओं के लिए जमीन की कमी होने के बाद शुरू की गयी है. सरकार को अपनी कई योजनाओं के लिए जमीन नहीं मिल रही है. लिहाजा काफी पैसा खर्च कर जमीन खरीदा जा रहा है. राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि गरीबों को घर के लिए जमीन देने के लिए बड़े पैमाने पर जमीन की जरूरत है. हर पंचायत में सरकार सामुदायिक भवन बनाने का फैसला कर चुकी है. उसके लिए भी जमीन की जरूरत है. सार्वजनिक उपयोग के लिए सरकार की कई औऱ योजनाओं के लिए भी जमीन नहीं मिल रही है.
सरकारी तंत्र तब हरकत में आया जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले में दिलचस्पी ली. उन्होंने कुछ दिनों पहले ही राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के कामकाज की समीक्षा की थी. इस विभाग के पास जमीन का लेखा जोखा रखने का काम है. नीतीश कुमार ने सरकारी जमीन की खोज खबर लेने का निर्देश दिया था.