ब्रेकिंग न्यूज़

Road Accident: भीषण सड़क हादसे में 3 की मौत, जांच में जुटी पुलिस Bihar crime : राजधानी पटना से सटे बिक्रम में डबल मर्डर से सनसनी! बाइक और 12 खोखे के साथ मिले दो शव Bihar Vegetable Export: हर हफ्ते विदेश जाएंगी बिहारी सब्जियां, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बोलबाला Meghalaya Murder: सोनम और अन्य हत्यारों को लेकर फुलवारी शरीफ थाने पहुंची मेघालय पुलिस, यहां से आगे की क्या है योजना? जानिए.. Bihar vidhan parishad : बिहार विधान परिषद से गोपनीय डाटा चोरी मामले में सचिव समेत 9 पर केस दर्ज QRSAM: 30 हजार करोड़ का यह हथियार खरीदेगा भारत, ताकत बढ़ जाएगी कई गुना Bihar coaching guideline: अब कोचिंग में नहीं पढ़ा सकेंगे सरकारी टीचर! क्या है बिहार सरकार की नई गाइडलाइन? Tej Pratap Yadav: "अंधेरा जितना गहरा होगा, सुबह उतनी ही नजदीक होगी", लालू यादव की तस्वीर संग तेज प्रताप ने फिर साझा किया भावुक पोस्ट Bihar Heatwave: 32 जिलों में हीट वेव को लेकर चेतावनी, पारा 42° पार; इस दिन मानसून देगा दस्तक बिहार विधानसभा चुनाव 2025: HAM की 243 सीटों पर तैयारी, मंत्री संतोष सुमन बोले..NDA की होगी भारी जीत

Bihar Politics: गपशप...'नेताजी' की सत्ताधारी दल में इंट्री में हो रही देरी, कहीं जाति के नेता ने लंगड़ी तो नहीं लगा दी ?

Bihar Politics: गपशप...'नेताजी' की सत्ताधारी दल में इंट्री में हो रही देरी, कहीं जाति के नेता ने लंगड़ी तो नहीं लगा दी ?

15-Dec-2024 05:48 PM

By First Bihar

Bihar Politics: आज बात करेंगे एक नेताजी की. नेता जी पूर्व सांसद हैं, छोटे-बड़े कई दलों में परिक्रमा कर चुके हैं. कुछ समय पहले (लोस चुनाव) तक पड़ोसी राज्य में पकड़ रखने वाली पार्टी से जुड़े थे. अब वहां मन भर गया, लिहाजा सत्ताधारी जमात में वापसी करना चाहते हैं. सत्ताधारी दल में शामिल होने के लिए लगातार प्रयासरत्त हैं. हालांकि इंट्री कब मिलेगी, इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. वैसे बता दें, सत्ताधारी दल में इंट्री को लेकर कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है, फिर भी पेंच कहां फंसा है, इस पर कयासों का बाजार गर्म है. एक चर्चा यह भी है कि इनकी जाति के एक बड़े नेता ने ऐन वक्त पर लंगड़ी लगा दी, लिहाजा इंट्री में देरी हो रही है.  

पूर्व सांसद को लेकर तरह-तरह की चर्चा

पूर्व सांसद मगध क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं. सत्ताधारी दल को छोड़ने से पहले पार्टी के मुखिया को लेकर गंभीर बोल गए थे. पुरानी छोड़ने के बाद कई जगह परिक्रमा की. लेकिन ज्यादा दिनों तक कहीं टिक न सके. एक छोटी क्षेत्रीय पार्टी से जुड़े, कार्यकारी अध्यक्ष बने,लहर पर सवार होकर सांसद भी बन गए. तब उस दल से तीन सांसद जीत कर सदन पहुंचे थे. हालांकि कुछ समय बाद पार्टी सुप्रीमो से पंगा ले लिया. इसके पीछे की कई वजहें थी. लिहाजा, इन्हें छोटे क्षेत्रीय दल से अलग होना पड़ा. अलग होने के बाद पूर्व सांसद ने नई पार्टी बनाई. साथ में कुछ अन्य नेताओं को भी जोड़ा, लेकिन यहां भी स्थाई रूप से नहीं रह सके. बिहार विधानसभा 2020 के बाद इन्होंने अपनी पार्टी का विलय दूसरे क्षेत्रीय दल में कर लिया. तब वह दल संक्रमण काल से गुजर रहा था. पार्टी के कई नेता बगावत कर अलग हो गए थे. चाचा-भतीजे में विवाद इतना गहरा गया था कि, पार्टी के 6 में 5 सांसद अलग हो गए थे. 

किस फार्मूल के तहत पूर्व सांसद की सत्ताधारी दल में होगी इंट्री ?

पूर्व सांसद स्थिति को भांपते हुए संक्रमण काल से गुजर रही उस क्षेत्रीय दल में शामिल हो गए. पार्टी सुप्रीमो ने पूर्व सांसद को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया. कुछ समय तक तो सबकुछ ठीक रहा. उन्हें लग रहा था कि 2024 का लोस चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा. लेकिन जिस दल के आसरे थे, उसने गच्चा दे दिया. लिहाजा पूर्व सांसद ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. लोस चुनाव लड़ने को उतावले पूर्व सांसद ने सबसे पुरानी पार्टी से भी संपर्क किया, सारण के एक लोस क्षेत्र पर नजरें गड़ाई थी. लेकिन यहां भी असफलता ही हाथ लगी. अंत में अपनी परंपरागत सीट से चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया. पड़ोसी राज्य में पकड़ रखने वाली पार्टी का सिंबल लिया और लोकसभा चुनाव के रण में उतर गए। 

चर्चा...जंप की तैयारी धीमी कैसे हो गई ? 

पूर्व सांसद ने लोकसभा चुनाव लड़ा. खुद जीत तो नहीं सके, लेकिन सत्ताधारी दल के कैंडिडेट को जरूर हरा दिया. सत्ताधारी दल के कैंडिडेट को हराने में ही इन्होंने अपनी जीत समझी. हालांकि लोकसभा चुनाव के बाद से ही पूर्व सांसद के पुराने घर में वापसी की चर्चा तेज है. बताया जाता है कि पूर्व सांसद पुराने घर में आने को तैयार हैं, पार्टी भी अपनाने को तैयार है. खबर है कि पूर्व सांसद के भाई जो दूसरी पार्टी के माननीय हैं, उन्होंने भी पार्टी के मुखिया से बात की है. बातचीत लगभग फाइनल थी, फिर भी देर हो रही है. अब देर होने के पीछे की वास्तविक वजह क्या है, यह तो वही बता सकते हैं, लेकिन चर्चा जोरों पर है कि सत्ताधारी दल में जंप की तेज तैयारी आखिर धीमी कैसे हो गई ?