7 आतंकवादियों को पुलिस ने दबोचा, 2900 KG विस्फोटक-हथियार और गोला-बारूद बरामद Patna Crime News: हत्या या आत्महत्या? पटना के ANM ट्रेनिंग स्कूल में संदिग्ध हालत में मिला शिक्षिका का शव Patna Crime News: हत्या या आत्महत्या? पटना के ANM ट्रेनिंग स्कूल में संदिग्ध हालत में मिला शिक्षिका का शव Economic Offences Unit Bihar : म्यांमार के KK पार्क से साइबर गुलामी में फंसे 8 बिहारी मुक्त, आर्थिक अपराध इकाई ने शुरू की एजेंटों की जांच Patna News: नवजातों में इस वजह से बढ़ रहा बिमारियों का खतरा, PMCH में लगातार आ रहे मामले Patna hotel attack : पटना में ठंडा चावल और कम नमक वाली दाल परोसे जाने पर बवाल, ग्राहक ने होटल संचालक का सिर फोड़ा सुप्रीम कोर्ट ने सम्राट चौधरी के खिलाफ दायर PIL किया खारिज, बिहार BJP का ऐलान- "यतो धर्मस्ततो जयः"..."सत्यमेव जयते" CM योगी के मंत्री ओपी राजभर का दावा- बिहार में बनेगी लालू के बेटे तेजस्वी की सरकार, हार रही NDA Bihar Election 2025: दूसरे चरण के चुनाव से पहले बिहार में चार लाख सुरक्षाकर्मी तैनात, ऐसे होगी विशेष निगरानी Bihar Politics: बिहार में दूसरे चरण की वोटिंग से पहले आरजेडी को बड़ा झटका, इस नेता ने थामा बीजेपी का दामन
26-Aug-2021 03:52 PM
PATNA : पारस एचएमआरआई अस्पताल ने पटना में अपने गौरवशाली आठ वर्ष पूरे किये और इस दौरान कई मुकाम हासिल किये। अगस्त 2013 में 3 लाख स्कावयर फीट से भी अधिक के कैम्पस में इस अस्पताल ने सुचारू रूप से कार्य करना शुरू किया था। इस दौरान यह अस्पताल बिहार का लाइफ लाइन बन कर उभरा है। अत्याधुनिक मशीनों, वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम एवं उच्च स्तरीय स्वास्थ सेवाओं की वजह से इस अस्पताल ने बिहार में अपनी एक खास जगह बनाई एवं हृदय, हड्डी ,न्यूरो सर्जरी, किडनी, कैंसर एवं अन्य सभी प्रमुख रोगों का इलाज एक हीं छत के नीचे उपलब्ध कराने वाला राज्य का पहला अस्पताल बना।
पारस अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि अभी तक अस्पताल द्वारा लगभग 4 लाख मरीजों का इलाज हो चुका है। जिसमें 40000 से अधिक सर्जरी की गई और 50000 सें अधिक गंभीर मरीजों इमरजेंसी चिकित्सा प्रदान की गई।
वहीं पारस अस्पताल के अस्तित्व में आने से पहले बिहार-झारखंड में कैंसर के उपचार के लिए सुविधाएं काफी कम थीं। यहां एक हीं छत के नीचे कैंसर के इलाज के लिए लीनेक, पेट सिटी, गामा कैमरा जैसे अत्याधुनिक उपकरण लगाए गए ताकि मरीजों को व्यापक इलाज मिल सके। परिणामस्वरूप कैंसर के उपचार के लिए लोगों को राज्य से बाहर जाने की मजबूरी खत्म हो गई। बोन मेरो ट्रांसप्लांट और किडनी ट्रांसप्लांट पहली बार यहीं व्यवस्थित तरीके से शुरू हुआ। खासकर बोन मेरो ट्रांसप्लांट के लिए तो यह पहला सेंटर रहा।

इस दरम्यान कैंसर के इलाज के लिए पारस अस्पताल में 15000 से अधिक कीमोथेरेपी एवं 4000 से अधिक मरीजों का रेडिएशन द्वारा सफल इलाज किया गया। पारस अस्पताल में 100 से अधिक बेड का विष्वस्तरीय क्रीटीकल केयर यूनिट एवं 24X7 आपातकालीन सेवायें उपलब्ध है।
कोविड काल में इस अस्पताल ने अतुलनीय कार्य किए हैं। रातों-रात पारस अस्पताल ने अपने 50 प्रतिषत से अधिक बेड को कोविड क्रीटीकल बेड में तब्दील किया। पारस अस्पताल निजी क्षेत्र का एक मात्र अस्पताल है जिसके पास अपना ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक है। इसकी वजह से जब चारों ओर ऑक्सीजन की मारामारी थी तब यहां इलाज करा रहे कोविड मरीज निश्चिंत थे। यह सरकार, जिला प्रशासन, सरकारी और निजी क्षेत्र के अस्पतालों के संयुक्त प्रयास के बिना संभव नहीं था।
सरकार ने न केवल सरकारी अस्पतालों के लिए जीवन रेखा के रूप में काम किया, बल्कि पारस पर एक निजी संस्था के रूप में भरोसा किया। कोरोना के टीकाकरण में भी अस्पताल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और मुफ्त कोविड का टीका देने वाला राज्य का पहला निजी अस्पताल बना। 15 हजार से अधिक लोगों का यहां अब तक टीकाकरण हो चुका है। समय-समय पर समाज के विभिन्न तबकों के लिए मुफ्त में कोरोना वैक्सीन देने की मुहीम भी अस्पताल द्वारा चलाई गई।

अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि हमारे लिए मरीज पहली प्राथमिकता है। एक जिम्मेदार स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने वाले संस्थान के रूप में हमलोग अपने मरीजों को उच्चस्तरीय स्वास्थ्य सेवा मुहैया करा रहे हैं जिसमें पटना के अलावा 60 से 70 प्रतिषत मरीज अन्य जिलों एवं राज्यों से भी होते हैं। पारस हेल्थकेयर के उत्तर एवं पूर्वी भारत में कुल 8 अस्पताल हैं।