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Labour Day 2025: जानिए क्यों मनाया जाता है 1 मई को मजदूर दिवस, क्या है इसका इतिहास और महत्व?

Labour Day 2025: हर साल की तरह 1 मई 2025 यानि आज गुरुवार को भारत समेत दुनिया के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जा रहा है, लेकिन क्या आपको पता है कि क्यों मनाते है यह डे ! जानें...

Labour Day 2025

01-May-2025 10:52 AM

By First Bihar

Labour Day 2025: हर साल की तरह 1 मई 2025 यानि आज गुरुवार को भारत समेत दुनिया के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस (International Labour Day / May Day 2025) मनाया जा रहा है। यह दिन दुनिया भर के मजदूरों और श्रमिक वर्ग के सम्मान, अधिकारों और उनके अमूल्य योगदान को याद करने के लिए समर्पित होता है। भारत में इसे श्रमिक दिवस, लेबर डे, मई दिवस, कामगार दिवस, इंटरनेशनल वर्कर डे के नाम से भी जाना जाता है।


मजदूर दिवस केवल एक अवकाश नहीं, बल्कि श्रमिकों के संघर्ष, उनके हक और सामाजिक समानता के लिए उनके आंदोलन का प्रतीक है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है कि श्रमिकों की उपलब्धियों का सम्मान करना, उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना, आपसी एकता और संगठन को प्रोत्साहित करना, श्रमिकों की समस्याओं पर संवाद और समाधान खोजना इस दिन कई श्रमिक संगठन रैलियां, सम्मेलन और सार्वजनिक सभाएं करते हैं। टीवी, रेडियो और समाचार माध्यमों के जरिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।


बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन (ILO) श्रमिकों के हित में ग्लोबल कॉन्फ्रेंस आयोजित करता है। कई देशों में श्रमिकों के लिए नई योजनाओं की घोषणाएं होती हैं। भारत के कई राज्यों में राज्य सरकारें छुट्टी घोषित करती हैं। श्रमिकों को संगठित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम, कविता पाठ, सांस्कृतिक आयोजन, और रैलियां भी कराई जाती है।


1 मई 1886, अमेरिका के शिकागो शहर में 8 घंटे काम के अधिकार को लेकर एक ऐतिहासिक श्रमिक आंदोलन हुआ। उस समय मजदूरों से दिन में 12-15 घंटे काम लिया जाता था। 1 मई को अमेरिका और कनाडा में लाखों मजदूरों ने हड़ताल की। शिकागो में हैमार्केट स्क्वायर पर प्रदर्शन हुआ, जिसमें पुलिस फायरिंग में कई मजदूरों की मौत और सैकड़ों घायल हुए। 


इस संघर्ष के बाद, 1889 में पेरिस में इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस ने 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में घोषित किया इस आंदोलन की देन है कि आज दुनियाभर में काम के 8 घंटे और साप्ताहिक अवकाश एक सामान्य श्रम नियम बन चुका है। ऐसा माना जाता है कि मजदूर दिवस या मई दिवस को मनाने की परंपरा 137 साल से चली आ रही है।


वहीं भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1923 को चेन्नई (तब का मद्रास) में हुई। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने पहली बार इस दिन को मजदूरों के हक में मनाया। साथ ही यहीं पहली बार लाल झंडा मजदूर आंदोलन का प्रतीक बना। भारत में यह दिन वामपंथी और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित रहा है। आज भी भारत में यह दिन मजदूर संगठनों द्वारा रैलियों, सभाओं और मांगों की प्रस्तुतियों के रूप में मनाया जाता है।


ऐसा माना जाता है कि मजदूर दिवस या मई दिवस को मनाने की परंपरा 137 साल से चली आ रही है। यह 80 से अधिक देशों में आधिकारिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है। इस दिन अंतरराष्ट्रीय मजदूर संस्था (ILO), ट्रेड यूनियन, श्रमिक संगठन बड़े पैमाने पर आयोजन करते हैं


भारत में श्रमिक वर्ग की स्थिति में सुधार के लिए कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जैसे – ई-श्रम पोर्टल, असंगठित श्रमिक कार्ड, पीएम श्रम योगी मान-धन योजना आदि मजदूरों के उत्थान के लिए है। 1 मई 2025 का दिन न केवल एक प्रतीकात्मक उत्सव है, बल्कि मजदूरों की मेहनत, संघर्ष और सामाजिक अधिकारों को याद करने और उन्हें सशक्त करने का दिन है। एक ऐसे समय में जब तकनीकी विकास के साथ श्रमिकों के स्वरूप बदल रहे हैं, यह दिन हमें श्रमिक हितों की रक्षा और सम्मानजनक कार्य संस्कृति की ओर लौटने की प्रेरणा देता है।