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13-Apr-2025 05:18 PM
By First Bihar
Success Story: ठान लिया जाए तो कड़ी मेहनत और लगन से कुछ भी हाशिल किया जा सकता है। ऐसी ही उदहारण बनी है कृष्णा जोशी। इन्होंने पहले ही प्रयास में देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर नई मिसाल कायम कर दिया है। बता दें कि कृष्णा जोशी जोधपुर राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी जोधपुर से ताल्लुक रखती है। कृष्णा जोशी ने पहले ही प्रयास में UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास कर यह सिद्ध कर दिया कि अगर मेहनत सही दिशा में हो, तो कोई भी सपना बड़ा नहीं होता है।
हाल ही कृष्णा जोशी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में नियुक्ति पाकर अपने परिवार और पूरे जोधपुर का नाम रोशन किया है। वहीं, अब उन्हें बिहार के नालंदा जिले के बिहार शरीफ में सहायक समाहर्ता (Assistant Collector) और सहायक दंडाधिकारी (Assistant Magistrate) के रूप में नियुक्त किया गया है। कृष्णा जोशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित लेडी श्रीराम कॉलेज (LSR) से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक किया।
हालांकि, उन्होंने ग्रेजुएशन अंग्रेजी विषय से किया, परंतु उनकी रुचि प्रारंभ से ही राजनीति विज्ञान में थी। UPSC की तैयारी के लिए उन्होंने PSIR (Political Science & International Relations) को अपना वैकल्पिक विषय चुना। उनका मानना है कि यह विषय न केवल उनकी रुचि का था, बल्कि यह GS (General Studies) के कई हिस्सों से ओवरलैप करता है, जिससे समग्र तैयारी को मजबूती मिली।
रणनीति और सोच
कृष्णा ने UPSC की तैयारी में गहराई से विश्लेषणात्मक सोच, समसामयिक घटनाओं की समझ, और नैतिक मूल्यों पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने बताया कि डायरी लेखन उनकी आत्मचिंतन और रचनात्मकता को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम रहा, जिसने उन्हें अपनी सोच को स्पष्ट करने और निर्णय लेने में मदद की।
उनका दृष्टिकोण प्रशासन में व्यावहारिक और जमीनी हकीकतों से जुड़ा हुआ रहा है। उनका मानना है कि प्रशासनिक सेवाओं में रहते हुए तकनीक का उपयोग कर कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, उन्होंने परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए यह सुझाव दिया कि परीक्षा से एक घंटे पहले प्रश्नपत्र को केंद्रों पर ईमेल किया जाए, जिससे पेपर लीक जैसी घटनाओं से बचा जा सके।
महिला सशक्तिकरण पर दृष्टिकोण
UPSC इंटरव्यू के दौरान कृष्णा से महिला सशक्तिकरण पर सवाल किया गया। उन्होंने इसे केवल नारीवाद तक सीमित न रखकर, समाज के समग्र विकास का अभिन्न हिस्सा बताया। उनका मानना था कि यदि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में महिलाओं को समान अवसर दिए जाएं, तो सशक्त समाज का निर्माण संभव है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता, स्वास्थ्य जागरूकता अभियान, और स्व-रोजगार योजनाओं को बढ़ावा देकर महिलाओं की भागीदारी को सशक्त बनाया जा सकता है।
जोधपुर और समाज के प्रति उनकी सोच
कृष्णा का सपना न केवल खुद आगे बढ़ना था, बल्कि अपने शहर और समाज के लिए भी योगदान देना रहा है। उन्होंने कहा कि जोधपुर जैसे शहरों में शिक्षा की गुणवत्ता, स्वतंत्रता की समझ और महिला अधिकारों पर विशेष काम करने की आवश्यकता है। वह चाहती हैं कि युवाओं को करियर काउंसलिंग, डिजिटल एजुकेशन टूल्स, और लोक सेवाओं की समझ से जोड़ा जाए, जिससे भविष्य के नेतृत्वकर्ताओं को सही दिशा में तैयार किया जा सके।
प्रेरणा और संदेश
कृष्णा जोशी की यात्रा उन लाखों छात्रों के लिए एक प्रेरणा है, जो UPSC जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। उनकी सफलता इस बात का उदाहरण है कि साफ दृष्टिकोण, निरंतर अभ्यास, और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता – “अपने अंदर की आवाज़ को सुनिए, खुद पर विश्वास रखिए और ईमानदारी से मेहनत कीजिए – सफलता ज़रूर मिलेगी।”