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09-Jan-2025 08:00 AM
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र और राज्य सरकारों से पूछा है कि सूचना आयोगों में नियुक्तियां नहीं होने के बावजूद इन संस्थानों के अस्तित्व का क्या औचित्य है। इस सवाल ने सूचना आयोगों की भूमिका और कामकाज को लेकर चर्चा छेड़ दी है। आइए जानते हैं सूचना आयोगों की नियुक्ति प्रक्रिया, पात्रता, और इनसे जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में।
केंद्रीय और राज्य सूचना आयोग का गठन
सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) 2005 के तहत दो प्रकार के सूचना आयोग बनाए गए हैं:
केंद्रीय सूचना आयोग (CIC):
केंद्रीय सूचना आयोग में केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) और सूचना आयुक्त (IC) होते हैं।
इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक चयन समिति इसकी सिफारिश करती है। इस समिति में लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं।
आयोग में अधिकतम 10 सूचना आयुक्त नियुक्त किए जा सकते हैं।
राज्य सूचना आयोग (SIC):
राज्य सूचना आयोग का गठन राज्यपाल द्वारा किया जाता है।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में चयन समिति इस पर सिफारिश करती है।
राज्य सूचना आयोग में भी अधिकतम 10 आयुक्त नियुक्त किए जा सकते हैं।
कौन बन सकता है सूचना आयुक्त?
सूचना आयुक्त बनने के लिए उम्मीदवारों को निम्नलिखित योग्यताएं और अनुभव होना चाहिए:
विधि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, समाजसेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जनमाध्यम या प्रशासन में विशेषज्ञता।
संबंधित क्षेत्र में व्यापक अनुभव।
आयु 65 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
वेतन और सुविधाएं
सूचना आयुक्तों को आकर्षक वेतन और सुविधाएं दी जाती हैं:
मुख्य सूचना आयुक्त का वेतन: ₹2,50,000 प्रतिमाह।
सूचना आयुक्त का वेतन: ₹2,25,000 प्रतिमाह।
आवास, वाहन, और अन्य भत्ते भी दिए जाते हैं।
राज्य स्तर पर नियुक्त सूचना आयुक्तों को भी समान वेतनमान और सुविधाएं मिलती हैं।
सरकार की जवाबदेही पर सवाल
सूचना आयोगों में नियुक्तियों में देरी और लंबित पदों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद, सरकारों पर आयोग की प्रभावी कार्यप्रणाली सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ गया है। सूचना आयोग जैसे संस्थान RTI अधिनियम के तहत पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
सूचना आयोग न केवल सूचना का अधिकार सुनिश्चित करते हैं, बल्कि नागरिकों के सशक्तिकरण में भी योगदान देते हैं। लेकिन आयोग में नियुक्तियों में देरी और पदों के खाली रहने से उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद इन मुद्दों का समाधान जल्द किया जाएगा।