ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Election 2025: बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच बड़ा एक्शन, वाहन जांच के दौरान करीब 12 लाख कैश जब्त Bihar Election 2025: बिहार में चुनावी तैयारियों के बीच बड़ा एक्शन, वाहन जांच के दौरान करीब 12 लाख कैश जब्त Bihar Election 2025: चुनावी सभा में गरजे सीएम नीतीश कुमार, लालू फैमिली और महागठबंधन पर खूब बोले Bihar Election 2025: चुनावी सभा में गरजे सीएम नीतीश कुमार, लालू फैमिली और महागठबंधन पर खूब बोले BIHAR ELECTION : अमित शाह के बिहार आने से पहले BJP के बागियों ने चुनाव से वापस लिया अपना नाम, कांग्रेस-राजद और VIP में भी गतिरोध खत्म करने की शुरुआत Bihar Assembly Election 2025 : भाजपा के आरोप से घबराए तेजस्वी ! इमेज कीलिंग या डेमेज कंट्रोल,आखिर क्यों करनी पड़ी भरी सभा में इस तरह का एलान; जानिए क्या है पूरा प्लान Bihar Election 2025: बिहार पहुंचीं यूपी की MLA केतकी सिंह ने मंच से फेंका ‘पाग’, मिथिला के गौरव के अपमान पर गरमाई सियासत Bihar Election 2025: बिहार पहुंचीं यूपी की MLA केतकी सिंह ने मंच से फेंका ‘पाग’, मिथिला के गौरव के अपमान पर गरमाई सियासत BIHAR NEWS : जीविका दीदियों का क्लाउड किचन बना महिला सशक्तिकरण की मिसाल, CM नीतीश कुमार ने कहा - 3 करोड़ रुपए का हो रहा सलाना टर्नओवर PM Modi Bihar Visit: पीएम मोदी का बिहार दौरा कल, कर्पूरीग्राम से करेंगे चुनाव अभियान का आगाज; तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे NDA के बड़े नेता

Bihar News: टूरिज्म का हब बनेगा बिहार का यह शहर, देश-विदेश से पहुंचेंगे पर्यटक; जानिए.. पूरा प्लान

Bihar News: बिहार का किउल-हरुहर और गंगा नदी के संगम पर स्थित ऐतिहासिक शहर लखीसराय धार्मिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से एक अमूल्य धरोहर समेटे हुए है. अब उसे सहेजने का काम शुरू. जानें..

Bihar News

05-May-2025 01:35 PM

By First Bihar

Bihar News: बिहार का किउल-हरुहर और गंगा नदी के संगम पर स्थित ऐतिहासिक शहर लखीसराय धार्मिक, सांस्कृतिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से एक अमूल्य धरोहर समेटे हुए है। यह जिला बौद्ध, हिंदू और रामायण कालीन परंपराओं का संगम स्थल है, जिसकी जड़ें प्राचीन इतिहास में गहराई से जुड़ी हैं। जिले की भूगर्भीय संरचना और पहाड़ी क्षेत्रों में फैले पुरास्थल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि पुरातत्व शोध के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यहां पाए जाने वाले अवशेष, स्तूप, मठ, मूर्तियाँ और ईंट निर्माण की शैली मौर्य, कुषाण, गुप्त और पाल वंश के कालखंडों से जुड़ी हुई प्रतीत होती हैं।


जिले की धार्मिक पहचान को वैश्विक मंच पर उभारने के लिए जिला प्रशासन द्वारा पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं। जिलाधिकारी मिथिलेश मिश्र के नेतृत्व में लखीसराय की विरासत को पर्यटन सर्किट से जोड़ने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। प्रशासन की मंशा है कि जिले को बुद्ध, शिव और रामायण सर्किट से जोड़कर देवघर, राजगीर, नालंदा एवं बोधगया जैसी पहचान दिलाई जाए।


बौद्ध कालीन यह स्थल 'श्रीमद् धम्म विहार' के रूप में जाना जाता था। यहां से महिला बौद्ध भिक्षुणियों के साधना केंद्र के प्रमाण मिले हैं। राज्य सरकार ने यहां की खुदाई एवं संरक्षण हेतु करीब ₹3 करोड़, और पर्यटन विकास हेतु ₹29 करोड़ की राशि आवंटित की है। यह स्थल बौद्ध मठ, मनौती स्तूप, भगवान विष्णु, वैष्णवी और महिषासुर मर्दिनी की मूर्तियों के अवशेषों से समृद्ध है। मौर्यकालीन ईंटें भी यहां से प्राप्त हुई हैं। यह पहाड़ी अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध है। यह भी बौद्ध परंपरा से जुड़ा स्थल है, जहां ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व के अनेक प्रमाण मिलते हैं।


यह स्थल कुषाण काल (दूसरी शताब्दी) से जुड़ा बताया गया है। यहां से प्राप्त लाल बलुआ पत्थर की मूर्ति लखीसराय संग्रहालय में रखी गई है। खुदाई की स्वीकृति भी मिल चुकी है। इसे किष्किंधा पर्वत कहा जाता है, जो रामायण काल से जुड़ा हुआ माना जाता है। यहां भगवान विष्णु की चतुर्भुज मूर्ति स्थापित है। सरकार ने इसके संरक्षण हेतु ₹6.83 करोड़ की राशि स्वीकृत की है।


राज्य सरकार ने इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया है। यह स्थल भी बौद्ध साधना से जुड़ा हुआ माना जाता है। बौद्ध शिक्षा और साधना का यह स्थल अब तक संरक्षित नहीं किया गया है, लेकिन यहां खुदाई से कई ऐतिहासिक अवशेष मिलने की संभावना है। यह स्थल आठवीं-नवमी शताब्दी का माना गया है। यहां से भगवान बुद्ध की मूर्ति प्राप्त हुई है, जो अब संग्रहालय में रखी गई है। 


मुख्यमंत्री द्वारा निरीक्षण के बाद इसके संरक्षण की घोषणा की गई है। केंद्र और राज्य सरकार में जिले के जनप्रतिनिधियों की मजबूत भागीदारी से यह उम्मीद बढ़ी है कि लखीसराय को राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों की सूची में शामिल किया जाएगा। प्रशासनिक स्तर पर पंचायत से लेकर जिला स्तर तक पुरास्थलों के संरक्षण की दिशा में योजनाएं बनाई जा रही हैं।


यदि इन स्थलों को बुद्ध, रामायण और शिव सर्किट से जोड़ा जाता है तो लखीसराय न केवल आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र बन सकता है, बल्कि इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आर्थिक विकास की नई राहें भी खुलेंगी। यह क्षेत्र बिहार के अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों के समकक्ष स्थापित हो सकता है। लखीसराय की पौराणिक और ऐतिहासिक विरासत, अब उपेक्षा की परतों से निकलकर वैश्विक पहचान की ओर अग्रसर है। बौद्ध धर्म, रामायण परंपरा और हिन्दू तीर्थ संस्कृति से जुड़े स्थलों का यह अद्भुत संगम आने वाले वर्षों में इसे बिहार के प्रमुख आध्यात्मिक-पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित कर सकता है।