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18-Sep-2025 03:20 PM
By RANJAN
KAIMUR: बिहार में आए दिन घूसखोर विजिलेंस के हत्थे चढ़ रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद घूसखोर अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसा लगता है कि इन्होंने घूस लेने की कसम खा ली है। रिश्वत के पैसे के आगे ये लोग जरा भी नहीं सोचते हैं कि उनके पकड़े जाने पर समाज में कितनी बदनामी होती है। बीवी-बच्चे और पूरा परिवार किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं बचते। पढ़े लिखे होने के बावजूद लोग घूसखोरी जैसे कृत को करते हैं और एक ना एक दिन पीड़ित की शिकायत पर निगरानी विभाग की टीम के हत्थे चढ़ जाते हैं। इस बार कैमूर के पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्रिंसिपल को विजिलेंस ने 60 हजार रुपये घूस लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया है।
कैमूर जिले से बड़ी खबर सामने आई है। मोहनिया थाना क्षेत्र स्थित पॉलिटेक्निक कॉलेज लहुराबारी के प्रिंसिपल डॉ. अजय कुमार को निगरानी विभाग ने 60 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया है।गुरुवार को हुई इस कार्रवाई में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पटना की 10 सदस्यीय टीम शामिल रही, जिसका नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक विप्लव कुमार कर रहे थे। प्रिंसिपल पर आरोप है कि उन्होंने मार्च से अगस्त महीने तक के वेतन भुगतान के लिए अपने ही कॉलेज में कार्यरत सहायक कंप्यूटर शिक्षक गौरव कुमार वर्मा से 1 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी।
मिली जानकारी के मुताबिक, गौरव कुमार वर्मा की मासिक सैलरी 45 हजार रुपए है, जो कटौती के बाद 40 हजार मिलती है। मार्च से अगस्त तक का वेतन लगभग दो लाख रुपए बनता है। जब वेतन भुगतान की मांग की गई तो प्रिंसिपल ने एक लाख रुपए रिश्वत मांगा। लंबे प्रयासों के बाद मामला 60 हजार रुपए पर तय हुआ। पीड़ित शिक्षक ने एक सितंबर को निगरानी विभाग में इसकी लिखित शिकायत की थी। सत्यापन के बाद निगरानी विभाग ने जाल बिछाया और गुरुवार को प्रिंसिपल डॉ. अजय कुमार को उनके ही कार्यालय कक्ष से 60 हजार रुपए लेते दबोच लिया। गिरफ्तारी के बाद उनके कार्यालय और मोबाइल की तलाशी ली जा रही है।
शिकायतकर्ता गौरव कुमार वर्मा ने बताया कि करीब एक महीने से वेतन भुगतान के नाम पर प्रधानाचार्य रुपए की मांग कर रहे थे। मजबूर होकर उन्होंने इसकी शिकायत निगरानी विभाग से की थी। वहीं निगरानी विभाग के डीएसपी विप्लव कुमार ने कहा कि शिकायत की पुष्टि के बाद कार्रवाई की गई और आरोपी को रंगे हाथ पकड़ा गया है। फिलहाल निगरानी विभाग की कार्रवाई जारी है और आरोपी प्रिंसिपल को आगे की कानूनी प्रक्रिया के तहत न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा।