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शबरी जयंती भक्ति, प्रेम और त्याग की शक्ति का प्रतीक मानी जाती है। माता शबरी का जीवन इस विचार का प्रमाण है कि सच्ची भक्ति किसी भी बाधा से परे होती है, चाहे वह सामाजिक, सांस्कृतिक या भौतिक हो। भगवान राम के प्रति उनकी अटूट आस्था दुनिया भर के भक्तों को पवित्रता, ईमानदारी और भक्ति के साथ जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष शबरी जयंती 20 फरवरी, 2025 को मनाई जा रही है। इस पावन अवसर पर माता शबरी की कथा और उनकी भक्ति से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं को समझना अत्यंत लाभकारी होता है।
शबरी जयंती का महत्व
माता शबरी रामायण की एक महान भक्त थीं, जिन्होंने अपने संपूर्ण जीवन को भगवान श्रीराम की प्रतीक्षा में अर्पित कर दिया। उनकी कथा हमें यह सिखाती है कि ईश्वर केवल भक्त की सच्ची श्रद्धा और प्रेम को देखते हैं, न कि उसकी जाति, धन या सामाजिक स्थिति को। भगवान श्रीराम जब वनवास के दौरान माता शबरी के आश्रम में पहुंचे, तो उन्होंने श्रद्धा और प्रेम से झूठे बेर राम को अर्पित किए। श्रीराम ने उन बेरों को सहर्ष स्वीकार किया और उनके प्रेम को अपनाया। यह घटना भक्ति मार्ग में समर्पण और निस्वार्थ प्रेम का सर्वोत्तम उदाहरण मानी जाती है।
शबरी जयंती की पूजा विधि
शबरी जयंती के दिन भक्त माता शबरी की आराधना करते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेकर भक्ति और प्रेम का मार्ग अपनाने का संकल्प लेते हैं। इस दिन की पूजा विधि इस प्रकार है:
स्नान और संकल्प: प्रातः काल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और माता शबरी की पूजा का संकल्प लें।
पूजा स्थल की स्थापना: घर के मंदिर में माता शबरी और भगवान राम का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
आराधना और भजन: माता शबरी के भजनों का पाठ करें और भगवान श्रीराम का ध्यान करें।
प्रसाद अर्पण: श्रद्धा भाव से फल, मिठाई और बेर का प्रसाद अर्पित करें।
दान और सेवा: इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराना और सेवा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
मां सीता के 108 नामों का जाप
इस पावन अवसर पर मां सीता के 108 नामों का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है, जिससे राम दरबार की कृपा प्राप्त होती है।
मां सीता के 10 प्रमुख नाम:
ॐ सीतायै नमः
ॐ जानक्यै नमः
ॐ देव्यै नमः
ॐ वैदेह्यै नमः
ॐ राघवप्रियायै नमः
ॐ रमायै नमः
ॐ अवनिसुतायै नमः
ॐ रामायै नमः
ॐ राक्षसान्तप्रकारिण्यै नमः
ॐ रत्नगुप्तायै नमः
(बाकी 98 नामों का विस्तृत पाठ भी किया जा सकता है।)
शबरी जयंती हमें यह संदेश देती है कि सच्ची भक्ति और प्रेम के आगे कोई भी बाधा नहीं टिक सकती। माता शबरी की भक्ति हमें सिखाती है कि भगवान केवल निष्कलंक प्रेम और सच्चे समर्पण को स्वीकार करते हैं। इस शुभ दिन पर भगवान राम और माता शबरी की आराधना करके हम भी अपने जीवन को प्रेम, श्रद्धा और त्याग से परिपूर्ण बना सकते हैं।