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Ramadan 2025: रमजान इस्लाम धर्म में सबसे पाक महीना माना जाता है। यह इस्लामी चंद्र कैलेंडर का नौवां महीना होता है, जिसे इबादत, रोजा और अल्लाह की रहमत हासिल करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में दुनियाभर के मुसलमान रोजा रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं।
रमजान 2025 की संभावित तारीखें
रमजान की शुरुआत चांद देखने पर निर्भर करती है। इस साल रमजान का चांद 28 फरवरी या 1 मार्च 2025 को नजर आने की उम्मीद है। यदि 28 फरवरी को चांद दिखता है, तो पहला रोजा 1 मार्च को रखा जाएगा। वहीं, अगर 1 मार्च को चांद नजर आता है, तो 2 मार्च को पहला रोजा होगा।
सेहरी और इफ्तार का समय
यदि 1 मार्च 2025 से रमजान शुरू होता है:
सेहरी: सुबह 05:25 AM
इफ्तार: शाम 06:23 PM
यदि 2 मार्च 2025 से रमजान शुरू होता है:
सेहरी: सुबह 05:24 AM
इफ्तार: शाम 06:24 PM
यदि 3 मार्च 2025 से रमजान शुरू होता है:
सेहरी: सुबह 05:23 AM
इफ्तार: शाम 06:25 PM
रमजान के दौरान क्या करें?
नमाज अदा करें – इस पाक महीने में पांचों वक्त की नमाज पढ़ने के साथ-साथ तरावीह और तहज्जुद की नमाज भी अदा करें।
जकात और सदका दें – गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें। रमजान के महीने में दान करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है।
कुरान शरीफ की तिलावत करें – इस महीने में कुरान पढ़ना और उस पर अमल करना बेहद जरूरी होता है।
सब्र और संयम रखें – रोजे का असली मकसद सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं, बल्कि अपने अंदर धैर्य और संयम बनाए रखना भी है।
बुरे कामों से बचें – झूठ बोलना, गुस्सा करना, गप्पें लड़ाना और किसी का दिल दुखाना रोजे को बेअसर कर सकता है।
अल्लाह से माफी मांगें – रमजान आत्मशुद्धि का महीना होता है, इसलिए इस दौरान अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी जरूर मांगें।
रमजान के दौरान क्या न करें?
रोजा तोड़ना – बिना किसी गंभीर कारण के रोजा तोड़ना इस्लाम में सही नहीं माना जाता।
गाली-गलौज और झगड़ा – यह महीना इबादत और शांति का है, इसलिए क्रोध और झगड़े से बचना चाहिए।
बुरी नजर रखना या किसी को नुकसान पहुंचाना – रमजान में अच्छे कर्मों का महत्व अधिक होता है, इसलिए किसी भी तरह की बुरी आदतों से बचें।
भूख-प्यास की शिकायत करना – रोजे के दौरान संयम बनाए रखें और धैर्य के साथ इसे पूरा करें।
रमजान का महत्व
रमजान का महीना आत्मसंयम, आत्मअनुशासन और भक्ति का महीना है। इस महीने में अल्लाह की इबादत करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में शांति और समृद्धि आती है। इस दौरान तरावीह, तहज्जुद और अन्य इबादतें विशेष महत्व रखती हैं।