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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 24 Feb 2025 07:01:33 AM IST
Mahakumbh 2025 - फ़ोटो Mahakumbh 2025
महाकुंभ मेले में अमृत स्नान का विशेष महत्व है, जो भारत के प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर हर 12 साल में आयोजित किया जाता है। इस पवित्र अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम तट पर एकत्र होकर पवित्र डुबकी लगाते हैं, जिससे वे भगवान की कृपा प्राप्त कर अपने पापों से मुक्ति पाते हैं। आइए जानते हैं इस महत्वपूर्ण दिन से जुड़ी प्रमुख जानकारियां,
महाकुंभ 2025: अंतिम अमृत स्नान की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, महाकुंभ का अंतिम अमृत स्नान 26 फरवरी 2025 को होगा।
चतुर्दशी तिथि की शुरुआत: 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे
चतुर्दशी तिथि का समापन: 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर आयोजित यह स्नान महाकुंभ मेले का अंतिम और सबसे शुभ स्नान होगा, जिससे इस आयोजन का समापन भी होगा।
महाकुंभ अमृत स्नान का महत्व
अमृत स्नान का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व बताया गया है। प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने से न केवल शरीर बल्कि आत्मा की भी शुद्धि होती है।
1. आध्यात्मिक शुद्धि और पापों से मुक्ति
शास्त्रों के अनुसार, त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान करने से जीवनभर के पाप समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
2. महाशिवरात्रि का शुभ संयोग
इस वर्ष महाकुंभ के अंतिम स्नान का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर यह स्नान संपन्न होगा।
महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक मानी जाती है।
यह पवित्र संयोग महाकुंभ के अमृत स्नान की ऊर्जा को और अधिक शक्तिशाली बना देता है।
श्रद्धालुओं का मानना है कि इस दिन संगम में स्नान करने से जन्मों जन्मांतर के पापों का नाश हो जाता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
महाकुंभ के अमृत स्नान के लाभ
आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उत्थान।
नकारात्मक ऊर्जा और पापों से मुक्ति।
पुण्य अर्जन और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का संचार।
महाकुंभ 2025 का अंतिम अमृत स्नान 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर संपन्न होगा। इस दिन संगम में स्नान करने से आध्यात्मिक शुद्धि, पापों से मुक्ति और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में, जो भी श्रद्धालु इस पवित्र अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं, उन्हें इस दिन संगम में स्नान अवश्य करना चाहिए।