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माघ पूर्णिमा, जो हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और विशेष दिन माना जाता है, इस साल 12 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है और सूर्य तथा चंद्रमा सम सप्तक स्थिति में होते हैं। लेकिन इस बार माघ पूर्णिमा पर एक दुर्लभ खगोलीय घटना देखने को मिलेगी, जिसे ‘स्नो मून’ कहा जाता है। यह वैज्ञानिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण घटना है और रात के आकाश में एक अद्भुत नजारा प्रस्तुत करेगी।
क्या है स्नो मून?
‘स्नो मून’ फरवरी महीने की पूर्णिमा के चंद्रमा को कहा जाता है। इसका नाम अमेरिकी और यूरोपीय परंपराओं से लिया गया है। फरवरी के महीने में इन क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होती है, जिससे यह नाम पड़ा। इस समय ठंड और तूफानी मौसम के कारण शिकार में बाधा उत्पन्न होती थी, इसलिए इसे हंगर मून (Hunger Moon) भी कहा जाता है।
स्नो मून का खगोलीय महत्व
माघ पूर्णिमा के इस विशेष दिन, 12 फरवरी 2025, को स्नो मून का नजारा अद्वितीय होगा। चंद्रमा की दूधिया रोशनी पूरे आकाश को सफेद और चमकीला बना देगी। यह दृश्य रात को और भी मनमोहक बना देगा।
स्नो मून कब दिखाई देगा?
स्नो मून उदय का समय:
12 फरवरी 2025, सुबह 8:53 बजे
यह सूर्यास्त के बाद देर रात तक अपने चरम पर रहेगा, और इसकी दूधिया चमक से रात का आकाश अद्भुत रूप में दिखाई देगा।
यह घटना विशेष इसलिए भी है, क्योंकि अगला स्नो मून 2 फरवरी 2026 को दिखाई देगा।
स्नो मून का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
धार्मिक दृष्टि: माघ पूर्णिमा पर चंद्रमा और सूर्य की स्थिति विशेष पुण्यकारी मानी जाती है। इस दिन चंद्रमा की रोशनी से आत्मा और मन शुद्ध होते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टि: स्नो मून, पूर्णिमा की रात चंद्रमा की चमक और आकार में मामूली बदलाव के साथ एक खगोलीय आकर्षण प्रस्तुत करता है।
क्यों देखें स्नो मून?
स्नो मून न केवल एक खगोलीय घटना है, बल्कि यह प्रकृति की अनोखी सुंदरता को भी उजागर करता है। इस साल माघ पूर्णिमा पर यह दुर्लभ नजारा सभी खगोल प्रेमियों और प्रकृति के प्रेमियों के लिए खास होगा। अगर आसमान साफ हो, तो आप इस अद्भुत दृश्य का आनंद जरूर लें।
इस माघ पूर्णिमा पर स्नो मून का आनंद लेते हुए पूजा-अर्चना और स्नान-दान का महत्व भी जरूर समझें, क्योंकि इस दिन का धार्मिक और खगोलीय संगम आपकी आत्मा को शांत और प्रेरित कर सकता है।