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कुंभ संक्रांति कब; जानिए इसका महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

सनातन पंचांग के अनुसार, 12 फरवरी 2025 को कुंभ संक्रांति का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस दिन आत्मा के कारक सूर्य देव मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करेंगे।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 10 Feb 2025 06:15:43 AM IST

Kumbh Sankranti,

Kumbh Sankranti, - फ़ोटो Kumbh Sankranti,

Kumbh Sankranti: सनातन पंचांग के अनुसार, कुंभ संक्रांति 12 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। यह दिन सूर्य देव के राशि परिवर्तन का प्रतीक है, जब सूर्य मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं। संक्रांति तिथि का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन स्नान, दान, जप और पूजा-पाठ करने से साधक को शुभ फल प्राप्त होते हैं। गंगा स्नान और दान करने से पापों का नाश होता है और सूर्य देव की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


सूर्य देव की कृपा के लिए विशेष दिन

सूर्य देव आत्मा के कारक माने जाते हैं। कुंभ संक्रांति के दिन उनका पूजन करने से साधक को शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही, करियर और व्यवसाय में प्रगति, सफलता और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से साधक के सभी पाप धुल जाते हैं। गंगा स्नान की सुविधा न होने पर गंगाजल से स्नान करके भी पुण्य लाभ लिया जा सकता है।


कुंभ संक्रांति पर पूजा विधि

सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। गंगा स्नान का विशेष महत्व है।

स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।

पूजा के दौरान मां गंगा के 108 नामों का जप करें।

विधिपूर्वक दीप जलाएं और सूर्य देव को लाल पुष्प, जल और गुड़ अर्पित करें।

अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करें। तिल, गुड़, चावल, वस्त्र और अनाज का दान शुभ माना जाता है।


कुंभ संक्रांति का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, कुंभ संक्रांति का पुण्यकाल 12 फरवरी को सुबह 07:45 बजे से शुरू होकर दोपहर 12:30 बजे तक रहेगा। इस दौरान किए गए दान-पुण्य और पूजा का फल कई गुना अधिक मिलता है।


मां गंगा के 108 नामों का जप करें

कुंभ संक्रांति के अवसर पर मां गंगा के 108 नामों का जप करना विशेष फलदायी माना गया है। इनके जप से जीवन में शांति, सुख और सकारात्मक ऊर्जा आती है।


कुंभ संक्रांति पर क्या करें और क्या न करें

इस दिन क्रोध, अहंकार और नकारात्मक विचारों से बचें।

पशु-पक्षियों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।

तिल और गुड़ का दान करें।

कुंभ संक्रांति आत्मा को शुद्ध और मन को सकारात्मक ऊर्जा से भरने का पावन पर्व है। इस दिन स्नान, दान और पूजा के माध्यम से भगवान सूर्य देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है। यह दिन आत्मा को जागृत करने और पवित्रता की ओर बढ़ने का अवसर है।