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Makar Sankranti: भारत में पर्व और त्योहारों का अत्यधिक महत्व है, और इन पर्वों के दौरान नदियों में स्नान करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है। नदियाँ न केवल जीवन का आधार हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति में इनका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। गंगा, यमुनाजी, नर्मदा और सरस्वती जैसी नदियाँ भारतीय समाज में पवित्रता और आस्था का प्रतीक मानी जाती हैं।
मकर संक्रांति का पर्व विशेष रूप से गंगा स्नान के साथ जुड़ा हुआ है। शास्त्रों के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन गंगाजी ने राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके साठ हजार पितरों को मोक्ष प्रदान किया था। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का अत्यधिक महत्व होता है। मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा स्नान करने से न केवल शारीरिक शुद्धि होती है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धि भी होती है।
गंगा को चैतन्यमयी और ब्रह्म स्वरूप माना जाता है। जो लोग गंगा के आसपास रहते हैं, वे स्वाभाविक रूप से गंगा में स्नान करते हैं, लेकिन जहाँ गंगा नहीं है, वहां भी इसे प्रतीकात्मक रूप से अपने घर में महसूस किया जाता है। गंगा स्नान के दौरान मन की सभी अशुद्धियाँ धोने का विश्वास होता है। मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा स्नान से शरीर और मन को ताजगी का अहसास होता है और मन के सभी नकारात्मक विचारों को धोकर एक नई ऊर्जा मिलती है।
दक्षिण भारत में भी दीपावली के समय गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है और इस दौरान लोग एक-दूसरे से यह पूछते हैं, "क्या आपने गंगा स्नान किया?" इस प्रकार, गंगा स्नान को हर पर्व में पवित्रता और शुद्धता की ओर बढ़ने के रूप में देखा जाता है।
इसके साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि गंगा का पानी शुद्ध रखा जाए, क्योंकि यदि गंगा प्रदूषित हो जाती हैं तो इसका लाभ भी सीमित हो जाता है। हमें यह समझना चाहिए कि गंगा में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं, लेकिन केवल शारीरिक स्नान से ही सबकुछ नहीं सुधर सकता। इसके लिए प्राणायाम और ध्यान की आवश्यकता होती है ताकि हमारे आंतरिक शुद्धता की प्राप्ति हो सके।
मकर संक्रांति हमें प्रकृति और प्राकृतिक लय से जुड़ने का संदेश देती है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी प्राकृतिक धरोहरों का संरक्षण करना चाहिए और उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव रखना चाहिए। भारतीय सभ्यता और प्राचीन सभ्यताओं ने हमेशा नदियों, सूर्य, चंद्रमा, पेड़-पौधों और पहाड़ों को पवित्र माना है। हमारे त्योहारों और उत्सवों का उद्देश्य प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना और उन्हें सुरक्षित रखना है।
हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति होनी चाहिए कि हम अपने पर्यावरण को प्रदूषित न करें और इसके लिए शोषण से बचें। मकर संक्रांति पर हमें न केवल अपनी शुद्धि के लिए गंगा स्नान करना चाहिए, बल्कि नदियों के संरक्षण के लिए भी संकल्प लेना चाहिए। इस पर्व के माध्यम से हमें अपनी प्रकृति से जुड़ने और उसे संरक्षित करने की प्रेरणा मिलती है, जिससे हम एक स्वस्थ और समृद्ध जीवन की ओर बढ़ सकते हैं।