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Bihar Cabinet: नंबर गेम में JDU पर भारी पड़ी BJP, लेकिन असली ताकत अब भी नीतीश के भरोसेमंदों के पास; जानिए...किस विभाग का कितना है बजट?

Bihar Cabinet: बिहार में नवगठित नीतीश कुमार कैबिनेट में भाजपा के सर्वाधिक दो डिप्टी सीएम समेत 14 मंत्री शामिल हैं। हालांकि, बजट के मामलों में भाजपा जदयू से काफी पीछे है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 22 Nov 2025 10:42:37 AM IST

Bihar Cabinet 2025

नीतीश कैबिनेट - फ़ोटो GOOGLE

Bihar Cabinet: बिहार में नवगठित नीतीश कुमार कैबिनेट में भाजपा के सबसे ज्यादा मंत्री शामिल हैं, लेकिन बजट और मलाईदार विभागों के मामले में जदयू ने स्पष्ट बढ़त हासिल की है। राज्य सरकार के कुल 3,16,895.02 करोड़ रुपये के वार्षिक बजट में जदयू के पास लगभग 65.73 फीसदी का हिस्सा है, जबकि भाजपा के 14 मंत्रियों के पास केवल 29.22 फीसदी बजट वाले विभाग हैं। उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री सम्राट चौधरी के पास 17,831.21 करोड़ रुपये का गृह विभाग है, जबकि भाजपा के स्वास्थ्य एवं विधि मंत्री मंगल पांडेय को 20,035.80 करोड़ रुपये का स्वास्थ्य विभाग मिला। जदयू के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार को सबसे बड़ा बजट वाला विभाग शिक्षा (60,964.87 करोड़ रुपये) मिला है, जो कैबिनेट में सबसे बड़ी राशि है।


छोटे सहयोगी दलों जैसे रालोमो, हम और लोजपा को भी सीमित बजट वाले विभाग मिले हैं। यह वितरण राज्य में जदयू की शक्ति और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नियंत्रण को दर्शाता है। भाजपा के पास मंत्री संख्या ज्यादा होने के बावजूद प्रमुख विकास और वित्तीय फैसलों में उनका प्रभाव सीमित रहेगा। बजट का यह बंटवारा राजनीतिक संतुलन, प्रशासनिक नियंत्रण और आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।


वहीं,  छोटे सहयोगी दलों की बात करें तो चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) के दो मंत्री को कुल बजट का 0.91 प्रतिशत, जीतनराम मांझी की हम पार्टी के एक मंत्री को 0.58 प्रतिशत, और उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो के एक मंत्री को 3.56 प्रतिशत बजट वाले विभाग मिले हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू के अन्य मंत्रियों के पास कुल बजट का बड़ा हिस्सा है।


जदयू कोटे से शिक्षा मंत्री सुनील कुमार को सबसे ज्यादा बजट वाला विभाग मिला है। शिक्षा विभाग का वार्षिक बजट 60,964.87 करोड़ रुपये है, जो कैबिनेट में सबसे बड़ा है। इसके अलावा, जदयू के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के पास 16,093.46 करोड़ रुपये वाला विभाग है। ऊर्जा सहित पांच विभागों के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव के पास उर्जा विभाग का बजट 13,484.35 करोड़ है। इसके अलावा उनके पास योजना एवं विकास, मद्य निषेध, वित्त, वाणिज्य-कर जैसे अन्य विभाग भी हैं। जदयू के मंत्री विजय कुमार चौधरी के पास जल संसाधन सहित चार विभाग हैं, जिनमें जल संसाधन विभाग का बजट 7,451.15 करोड़ रुपये है।


अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री लखेंद्र कुमार रौशन के पास 12,935.65 करोड़ रुपये का बजट है। रालोमो के पंचायतीराज मंत्री दीपक प्रकाश को भी 11,302.52 करोड़ रुपये का बजट मिला है। भाजपा के मंत्री मंगल पांडेय के पास स्वास्थ्य विभाग (20,035.80 करोड़ रुपये) और विधि विभाग (1,681.72 करोड़ रुपये) हैं। उप मुख्यमंत्री सह गृह मंत्री सम्राट चौधरी के पास 17,831.21 करोड़ रुपये का गृह विभाग है।


भाजपा के अन्य मंत्रियों में नितिन नवीन के पास पथ निर्माण (6,806.53 करोड़ रुपये) और नगर विकास (11,982.26 करोड़ रुपये) हैं, जो मिलाकर कुल 18,788.79 करोड़ रुपये का बजट बनता है। यह भाजपा के सबसे बड़े विभागीय बजट में शामिल है।


डॉ. दिलीप जायसवाल को उद्योग विभाग (1,966.26 करोड़ रुपये), रामकृपाल यादव को कृषि विभाग (3,528.22 करोड़ रुपये), और संजय सिंह टाइगर को श्रम विभाग (1,231.28 करोड़ रुपये) दिया गया है।


अरुण शंकर प्रसाद के पास पर्यटन (1,103.91 करोड़ रुपये) और कला-संस्कृति (277.19 करोड़ रुपये) विभाग हैं। पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री सुरेंद्र मेहता के पास 1,781.48 करोड़ रुपये, आपदा प्रबंधन मंत्री नारायण प्रसाद के पास 4,967.35 करोड़ रुपये, और पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री रमा निषाद के पास 1,787.98 करोड़ रुपये का विभाग है।


अन्य विभागों में श्रेयसी सिंह को सूचना प्राविधिकी (289.03 करोड़ रुपये) और खेल (248.39 करोड़ रुपये), डॉ. प्रमोद कुमार को सहकारिता (1,231.92 करोड़ रुपये) और पर्यावरण एवं वन (906.89 करोड़ रुपये), संजय पासवान को गन्ना उद्योग (192.26 करोड़ रुपये), संजय कुमार सिंह को लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण (2,702.63 करोड़ रुपये) और संतोष कुमार सुमन को लघु जल संसाधन (1,839.11 करोड़ रुपये) शामिल हैं। भले ही भाजपा के पास ज्यादा मंत्री हों, लेकिन कुल बजट में उनका हिस्सा केवल एक चौथाई ही है। इसके विपरीत जदयू के पास दो तिहाई बजट के साथ सभी बड़े और मलाईदार विभाग हैं। इससे यह साफ़ होता है कि नीतीश कुमार की सत्ता और वित्तीय नियंत्रण जदयू के हाथ में मजबूत बना हुआ है।


यह बजट वितरण केवल मंत्रियों की संख्या पर निर्भर नहीं करता, बल्कि इसमें राजनीतिक शक्ति, पार्टी का वर्चस्व और महत्वपूर्ण विभागों का नियंत्रण भी अहम भूमिका निभाता है। भाजपा को हालांकि कुछ महत्वपूर्ण विभाग मिले हैं, जैसे स्वास्थ्य और नगर विकास, लेकिन कुल बजट के हिसाब से उनका प्रभाव जदयू की तुलना में कम है। छोटे दलों के लिए भी बजट में हिस्सा सीमित है। रालोमो, हम और लोजपा-रामविलास को भी कुछ विभाग मिले हैं, लेकिन उनकी कुल बजट हिस्सेदारी 5 फीसदी से कम है।


जदयू के पास प्रमुख विभाग और दो तिहाई बजट होने के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकारी नीतियों और विकास परियोजनाओं पर पूर्ण नियंत्रण बनाए रख सकते हैं। भाजपा के पास महत्वपूर्ण मंत्री होने के बावजूद कम बजट वाली जिम्मेदारी उन्हें सीधे वित्तीय निर्णयों में प्रभावशाली नहीं बनाती। बिहार में आगामी वर्षों में विकास कार्य, योजना और निवेश में जदयू का दबदबा बना रहेगा, जबकि भाजपा का जोर प्रमुख विभागों के प्रशासन और जनसम्पर्क पर रहेगा। छोटे दलों के लिए यह अवसर अपने राजनीतिक प्रभाव को बनाए रखने का है, लेकिन बजट और संसाधनों के मामले में उनका नियंत्रण सीमित है।


बिहार कैबिनेट में मंत्री संख्या और विभागीय बजट का अंतर साफ़ दर्शाता है कि नीतीश कुमार जदयू की सत्ता और संसाधनों पर पूरी तरह नियंत्रण बनाए रखेंगे, जबकि भाजपा और सहयोगी दलों को सीमित वित्तीय अधिकार और जिम्मेदारियां मिली हैं। इस बजट वितरण से यह भी स्पष्ट होता है कि भाजपा के पास शक्ति तो है, लेकिन जदयू की तुलना में वित्तीय संसाधनों पर उनका नियंत्रण कम है, जो राज्य की प्रशासनिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण संकेत देता है।