Rishabh Pant: "ऋषभ पंत की तुलना विराट से करो, धोनी से नहीं", अश्विन ने आखिर क्यों दिया ऐसा बयान? Bihar Teacher: छुट्टियों को लेकर शिक्षा विभाग का बड़ा ऐलान, शिक्षकों में ख़ुशी की लहर; क्या है नया नियम? Success Story: बच्चे को गोद में लेकर लिखा UPSC मेन्स एग्जाम, जानिए...मालविका नायर की सफलता की कहानी Bihar News: प्लाई फैक्ट्री में लगी भीषण आग, लाखों का सामान हुआ जलकर राख Bihar News: दुरंतो एक्सप्रेस में भीषण चोरी, कई कोचों से यात्रियों के कीमती सामान ले उड़े चोर Bihar News: फाइनेंस कर्मी से लूट का 24 घंटे में खुलासा, 2 धराए; तीसरे की तलाश जारी Bihar News: "उसे मुख्यमंत्री बनने दो, हम किंगमेकर ही रहेंगे", तेजप्रताप यादव ने निकाली दिल की भड़ास; खुद को बताया दूसरा लालू Bihar Crime News: प्रेम में पागल पत्नी ने कराया पति का मर्डर, गिरफ्तार EC: चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, सूची से हटाए जाएंगे 345 राजनीतिक दल Bihar News: महिला SI से छेड़छाड़ के बाद ASI सस्पेंड, जान से मारने तक की दे दी धमकी
1st Bihar Published by: Updated Tue, 01 Oct 2019 06:06:18 PM IST
- फ़ोटो
PATNA : क्या पिछले चार दिनों में पटना में जो कुछ हुआ उसे पूरा सरकारी अमला चीख चीख कर प्राकृतिक आपदा करार देने में जुटा है. लेकिन जो सरकारी सिस्टम की पड़ताल के बाद जो हकीकत सामने आ रही है वो हैरान कर देने वाली है. जब पटना डूब रहा था तो पूरा सिस्टम फेल था. सड़े हुए सरकारी सिस्टम ने राजधानी को तबाह कर दिया. देखिये हमारी खास पड़ताल
बारिश के पहले दो दिन बंद थे पटना के दो दर्जन संप हाउस
19 सितंबर को मौसम विभाग ने पहली खबर दी थी. पटना में 27 सितंबर से भारी बारिश हो सकती है. लेकिन शुक्रवार को जब भारी बारिश शुरू हुई तो जल निकासी के लिए बने दो दर्जन संप हाउस बंद पड़े थे. राजधानी में कुल 39 संप हाउस हैं. इनमें से सिर्फ 10 नगर निगम के जिम्मे है बाकी 29 को चलाने की जिम्मेवारी BUDCO की है, शुक्रवार को जब पटना डूब रहा था तो BUDCO के लगभग सारे संप हाउस बंद थे. कहीं डीजल नहीं था तो कहीं मशीन खराब था. बाकी जगहों पर ऑपरेटर पूरी रात संप मशीन को बंद कर सो रहे थे. लिहाजा पहले दिन से पूरे पटना में पानी भर गया और उसे निकालने का कोई इंतजाम नहीं थे. BUDCO के ज्यादातर संप हाउस शुक्रवार ही नहीं बल्कि शनिवार को भी बंद पड़े थे.
डीवाटरिंग मशीन के लिए पाइप नहीं था
नगर निगम ने कुछ महीने पहले 6 डीवाटरिंग मशीन खरीदा था. ये वो मशीन होता है जो काफी तेज गति से पानी निकालता है. लेकिन डीवाटरिंग मशीन तक पानी पहुंचाने और फिर उसे निकाल कर दूर फेंकने के लिए पाइप ही नहीं था. सोमवार की सुबह दो डिवाटरिंग मशीनों ने काम करना शुरू किया. सोमवार की शाम में पाइप आया तो बाकी 4 फंक्शनल हुए.
शहर के ज्यादातर नालों में भारी कचरा जमा था
नगर निगम ने चार-पांच महीने पहले नालों की सफाई करायी थी. इसके बाद तकरीबन सभी प्रमुख नालों में कचरा भर चुका था. 7 दिन पहले जब मौसम विभाग ने भारी बारिश की आशंका जतायी भी तो नालों को साफ करने की कोई कोशिश नहीं की गयी. लिहाजा नाले पानी पानी निकालने में विफल हो गये.
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट ने नालों का कबाड़ा कर दिया
खास लोगों के लिए दुधारू गाय साबित हो रहा अरबों रूपये का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट ने पटना के कई हिस्सों में नालों को क्षतिग्रस्त कर दिया है. जिन एजेंसियों को सड़क या नाला बनाने का काम मिला उन्होंने पहले से बने नालों को क्षतिग्रस्त कर दिया. लिहाजा उन इलाकों से पानी निकालने की कोई व्यवस्था ही नहीं बच गयी थी.
19 सितंबर को हुई भविष्यवाणी फिर भी क्यों सोयी रही सरकार
पटना का मौसम विज्ञान केंद्र उन कागजातों को जारी कर चुका है जो उसने राज्य सरकार को भेजा था. 19 सितंबर को ही मौसम विभाग ने सरकार के साथ ही जिलाधिकारी तक को सूचित कर दिया था कि बारिश तबाही मचाने वाला है. उसके बाद मौसम विभाग ने लगातार अलर्ट जारी किया. लेकिन पूरा सरकारी अमला सोया रहा. शुक्रवार को जब पटना डूब गया तो मुख्यमंत्री से लेकर नीचे के अधिकारियों को होश आया. नतीजा क्या हुआ ये सबके सामने है.