PATNA : विपक्षी दलों की बेंगलुरु में चल रही बैठक का जवाब देने के लिए भाजपा के तरफ से भी आज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के तरफ से यह दावा किया गया है कि इसमें हमारे 38 सहयोगी दल शामिल हो रहे हैं।
दरअसल, बेंगलुरु में सोमवार को शुरू हुई दो दिवसीय विपक्षी दलों की बैठक में 26 राजनीतिक दलों के इकट्ठा होने की खबर सामने आई है। ऐसे में भाजपा के तरफ से भी एनडीए की बैठक बुलाई गई। इस बैठक में भाजपा उन पुराने सहयोगी को वापस बुलाने में जुटी हुई है जो 2020 लोकसभा चुनाव के बाद या उसके कुछ महीने से पहले इनसे अलग हो गए थे और फिलहाल वो बिना किसी गठबंधन के अकेले मैदान अच्छी खासी वोट बैंक लेकर खड़े हैं।
जानकारी के अनुसार, 18 जुलाई को भाजपा के तरफ से जिन दलों को बुलाया गया है उसमें चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), उपेंद्र कुशवाहा की लोक समता पार्टी, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा, संजय निषाद की निर्बल इंडियन शोषित हमारा अपना दल (Nishad)- निषाद पार्टी,अनुप्रिया पटेल का अपना दल (सोनेलाल), जननायक जनता पार्टी (जेजेपी)- हरियाणा।
जनसेना- पवन कल्याण, आंध्र प्रदेश एआईएमडीएमके- तमिलनाडु, तमिल मनिला कांग्रेस, इंडिया मक्कल कलवी मुनेत्र कड़गम, झारखंड की आजसू, एनसीपी- कोनरॉड संगमा, नागालैंड की एनडीपीपी, सिक्किम की एसकेएफ, जोरमथंगा की मिजो नेशनल फ्रंट, असम गण परिषद, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी- ओमप्रकाश राजभर, शिवसेना (शिंदे ग्रुप) और एनसीपी (अजित पवार ग्रुप) को निमंत्रण भेजा गया है।
बताया जा रहा है कि,18 जुलाई को बीजेपी ने एनडीए सहयोगियों की बैठक इसलिए भी बुलाई ताकि 2024 लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए सहयोगी दलों की राय ली जा सके। पार्टी के एक बेहद करीबी सूत्र बताते हैं कि, इस बैठक के पीछे छिपा हुआ एजेंडा ये भी है कि एनडीए बंगलोर में पहले से तय विपक्षी दलों की बैठक का रंग फीका कर सके। इसके साथ ही ये मैसेज भी दिया जा सके कि बीजेपी अपने बूते तो मजबूत है ही, जातीय समीकरण के हिसाब से भी अपने सहयोगी दलों के साथ पहले से अधिक मजबूत हो गई है।
आपको बताते चलें कि, बीजेपी इस बैठक के जरिए शक्ति प्रदर्शन कर यह भी बताना चाह रही है कि अगर विपक्ष एकजुट हो रहा है तो हम भी एक हैं। बीजेपी ने जिन दलों को न्योता दिया है, वह सभी अपने-अपने राज्यों में अच्छा खासा वोटबैंक रखते हैं। इसके साथ ही इनमें से कई दलों के नेता अपने राज्यों की सरकार में भी शामिल रहे चुके हैं, इस लिहाजा इनके पास सरकारी कार्यों का भी अपना एक अनुभव है।