PATNA : उत्तर प्रदेश में विधानसभा के लिए कल यानी 10 फरवरी को पहले चरण का मतदान होगा. यूपी की 58 सीटों पर गुरुवार को मतदान होगा और इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. पोलिंग पार्टियों को ईवीएम देने का सिलसिला जारी है और आज तमाम पोलिंग पार्टी अपने अपने बूथ स्टेशन के लिए रवाना हो जाएंगी. यूपी में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराए जाएं इसके लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है. चुनाव आयोग ने इसके लिए बेहद सख्त इंतजाम किए हैं. साथ ही साथ कोरोनावायरस को देखते हुए मतदान के दौरान खास एहतियात भी बढरते जाएंगे.
उत्तर प्रदेश के विधानसभा के चुनावी रण में जिन राजनेताओं में अब तक दमखम दिखाया है उनके लिए कल पहला लिटमस टेस्ट है. हालांकि जिन 58 विधानसभा सीटों पर पहले चरण की वोटिंग होनी है उनमें से ज्यादातर सीटों पर मुस्लिम वोटरों की तादाद सबसे ज्यादा है. अलग-अलग पॉलिटिकल पार्टियों की तरफ से पहले चरण में कुल 50 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं लेकिन बीजेपी ने अपनी तरफ से किसी मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा है.
पहले चरण में वोटरों का मिजाज देखने के बाद राजनीतिक दल और उनके नेताओं को यह मालूम पड़ जाएगा कि यूपी में मुस्लिम वोटरों का मिजाज कैसा है. साथ ही साथ यह भी मालूम पड़ेगा कि मुस्लिम के साथ जाट का गठजोड़ हो पाता है या नहीं. अगर यह गठजोड़ हुआ तो समाजवादी पार्टी के लिए थोड़ी राहत की खबर होगी. अगर मुस्लिम और दलित वोटर एक साथ जुड़े तो मायावती खुश हो सकती हैं. लेकिन अगर मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की तस्वीर देखने को मिली तो जाहिर तौर पर बीजेपी के लिए यह फायदे का सौदा होगा. भारतीय जनता पार्टी ने शुरू से ही उत्तर प्रदेश में हिंदू वोटर को जातीय गोलबंदी से ऊपर उठा कर अपने पक्ष में लामबंद करने का प्रयास किया है. बीजेपी की चुनावी रणनीति अब तक इसी पर केंद्रित रही है.
एक तरफ जहां बीजेपी के विरोधी दलों ने मुस्लिम उम्मीदवारों को ऊपर दांव लगाया है तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी मुस्लिम वोटरों से अलग खुद को कट्टर हिंदूवादी एजेंडे के साथ आगे बढ़ा रही है. पहले चरण की 58 सीटों में से जिन 50 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट मिला है उसमें सपा और राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन के 13 मुस्लिम कैंडिडेट, बीएसपी के 17 मुस्लिम उम्मीदवार, कांग्रेस के 111 और ओवैसी की पार्टी के 9 मुस्लिम उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं.
आपको बता दें कि बीजेपी इससे अलग अपने चुनावी एजेंडे पर आगे बढ़ रही है. बीजेपी ने साल 2017 में भी इस इलाके में मुसलमानों को टिकट नहीं दिया था. 2017 में इन सीटों में केवल 2 मुस्लिम विधायक ही जीत कर आए. बीजेपी 2017 के फॉर्मूले के मुताबिक एक बार प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद लगाए बैठी है.