PATNA: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने लोकसभा के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा का स्वागत किया और कहा कि इससे ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने जितनी तेजी दिखाकर चुनावी बांड के आंकड़े सार्वजनिक कराये, वह न्यायिक सक्रियता चुनावों में कालेधन का प्रवाह रोकने की मंशा के अनकूल नहीं है। यह फैसला सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट को तकनीकी कारणों से बंद कर गंदे नाले को सीधे नदी में खोलने-जैसा है।
सुशील मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को बताना चाहिए कि चुनावी बांड और नकद चंदे के अलावा राजनीतिक दलों को किस प्रकार चंदा लेना चाहिए? माननीय सर्वोच्च न्यायालय बताये कि यदि लोग अपनी पसंद के दल का आर्थिक सहयोग कर चुनावी लोकतंत्र को मजबूत करना चाहें, तो सही तरीका क्या होना चाहिए?
उन्होंने कहा कि 20 हजार करोड़ के जो चुनावी बांड भुनाये गए उससे सर्वाधिक 303 सांसदों वाली पार्टी भाजपा को 6 हजार करोड़ रुपये मिले। शेष 14 हजार करोड़ रुपये तो 242 सांसदों वाले विपक्ष को मिले। यदि चुनावी बांड गलत हैं, तो बिहार में सबसे बड़ी पार्टी राजद ने सबसे ज्यादा 72 करोड़ 50 लाख के बांड क्यों भुना लिये? राजद चुनावी बांड भुनाने वाले टॉप टेन दलों में है। कांग्रेस ने 1400 करोड़, टीएमसी ने 1600 करोड़ और द्रमुक ने 639 करोड़ के चुनावी बांड भुनाये।
सुशील मोदी ने कहा कि देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक ने यह सुनिश्चित किया था कि कोई व्यक्ति या प्रतिष्ठान कालेधन से चुनावी बांड न खरीद सके। इसके बावजूद इस बांड पर सवाल उठाना दुर्भाग्यपूर्ण था। जिस दल की जितनी लोकप्रियता है या जिसके जितने सांसद-विधायक हैं, उसे यदि उसी अनुपात में अधिक चंदा मिला, तो इसमें घोटाला या स्कैम क्या है? सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ऐसा आभास होता है कि उसने कोई घोटाला उजागर कर दिया है। यदि चुनावी बांड के और आंकड़े सार्वजनिक हुए तो कांग्रेस और राजद मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।