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1st Bihar Published by: 4 Updated Wed, 03 Jul 2019 03:28:34 PM IST
DELHI: मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से मरने वाले सैकड़ों बच्चों को बीमारी ने नहीं सरकार ने मारा. सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के हलफनामे से बच्चों की मौत की असली कहानी सामने आ गयी है. कोर्ट में बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं के पूरी तरह फेल होने की कहानी उजागर हो गयी है. बदइंतजामी से से सैकड़ों बच्चों की मौत के बाद बिहार सरकार ने कोर्ट में मौत पर अफसोस जताया है. बिहार में सरकारी सिस्टम फेल सुप्रीम कोर्ट में चमकी बुखार पर सुनवाई के दौरान बिहार सरकार के हलफनामे से चौंकाने वाली बातें सामने आयी. सूबे में सरकारी हेल्थ सर्विस ढहने कगार पर है. सरकारी हलफनामे के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में 50 फीसदी पद खाली पडे हैं सरकारी नर्सों के 71 प्रतिशत पदों पर बहाली नहीं हुई है. डॉक्टरों के 47 फीसदी पद पर खाली है. गरीब बच्चों को नहीं मिला सही इलाज चमकी बुखार से मरने वाले सभी बच्चे गरीब परिवार के थे जिनकी पहुंच प्राइवेट अस्पतालों तक नहीं थी. सरकार के हलफनामे से साफ है कि सरकारी अस्पतालों में उनका कैसे इलाज हुआ होगा. सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने चमकी बुखार से मुजफ्फरपुर में हुई 150 से ज्यादा बच्चों की मौत के मामले में पिछले सोमवार को ही सुनवाई करते हुए केन्द्र और बिहार सरकार को सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. न्यायामूर्ति संजीव खन्ना और न्यायामूर्ति बीआर गवई की पीठ ने बिहार सरकार को चिकित्सा सुविधाओं, पोषण एवं स्वच्छता और राज्य में स्वच्छता की स्थिति की पर्याप्तता पर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश भी दिया था. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई थी कि कोर्ट की तरफ से बिहार सरकार को मेडिकल सुविधा बढ़ाने के आदेश दिए जाएं। कोर्ट में ये याचिका मनोहर प्रताप और सनप्रीत सिंह अजमानी की ओर से दाखिल की गयी थी. याचिका में दावा किया गया है कि सरकारी सिस्टम इस बुखार का सामना करने में पूरी तरह से फेल रहा है।