PATNA : बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल दो जगह पर चुनावी जनसभा को संबोधित किया। इन दोनों जनसभा में एक चीज समान्य रूप से देखिए वह थी इस लोकसभा चुनाव में पहले चरण में बिहार के अंदर कम वोटिंग के बाद पीएम मोदी का वापस से पुराने एजेंडे पर आना। पीएम मोदी ने फिर यहां एक बार हिंदू ध्रुवीकरण का दांव चला है।
बीते कल जब पीएम मोदी अररिया और मुंगेर में चुनावी जनसभा कर रहे थे तो वो कांग्रेस और राजद को तो आड़े हाथ ले ही रहे थे। लेकिन, पीएम एक खास समाज को लेकर भी बड़ी बात कह रहे थे और पीएम इस समाज पर निशाना साध अपने मूल वोटरों को और अधीक मजबूत कर रहे थे। भले ही पीएम मोदी कांग्रेस के बड़े नेता मनमोहन सिंह की बातों का जिक्र कर रहे थे। लेकिन, पीएम उनकी बातों के जरिए ही अपना स्टैंड भी साफ़ कर रहे थे। पीएम इन दोनों सीटों से पीएम बिहार में एक नया ट्रेंड भी सेट कर रहे थे।
दरअसल, विपक्ष के नेता पीएम और भाजपा को लेकर लगातार यह कहते रहते हैं कि नरेंद्र मोदी संविधान को बदलने और आरक्षण को समाप्त करने के लिए 400 सीट की मांग कर रहे हैं। सरकार बनाने के लिए तो 273 सीट ही काफी है। ये चुनाव संविधान और देश बचाने का चुनाव है। इस बातों के जरिए विपक्ष के नेता अपना एक नया एजेंडा बनाकर चुनाव में प्रचार कर रहे हैं। लेकिन, अब नरेंद्र मोदी ने बिहार के सीमांचल से हिंदू ध्रुवीकरण का नया दांव खेलकर विपक्ष को उन्हीं के अंदाज में जवाब दिया है।
पीएम ने कहा की I.N.D.I.A गठबंधन के नेता खासकर राहुल गांधी बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर के संविधान के खिलाफ काम करना चाहते हैं। पीएम ने आरोप लगाया कि कांग्रेस धर्म के आधार पर देश में आरक्षण की व्यवस्था करना चाहती है, जिसका संविधान में कहीं कोई प्रावधान नहीं है। पीएम ने कहा की कांग्रेस इसकी शुरुआत कर्नाटक से कर चुकी है। अब सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस ने कर्नाटक में क्या किया है। तो इसका जवाब भी पीएम ने खुद दिया है।
पीएम मोदी अपनी चुनावी सभा में लगभग 10 मिनट तक कांग्रेस के कर्नाटक मॉडल को समझाते रहे। पीएम ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस ने मुसलमानों को रातों-रात ओबीसी का दर्जा दे दिया। चाहे वे किस भी तरह के मुस्लिम हो, सभी को ओबीसी बना दिया गया। इसके बाद ओबीसी के हिस्से का 27 प्रतिशत आरक्षण कांग्रेस की तरफ से मुस्लिमों को भी बांट दिया गया। पीएम ने कहा कि कांग्रेस और राजद मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं। इसके बाद अब भाजपा के कार्यकर्त्ता को यह टास्क दिया जाना तय है कि पीएम मोदी ने जिस कर्नाटक मॉडल को मंच से समझाया है, उसे भाजपा कार्यकर्ता घर-घर में पहुंचाए। साफ है पीएम राज्य की सभी सीटों पर ध्रुवीकरण का कार्ड खेलना चाहते हैं।
मालूम हो कि दो फेज में बिहार में फिलहाल 9 सीटों पर वोटिंग हुई है, 31 सीटों पर फिलहाल बाकी है। ऐसे में पीएम को ध्रुवीकरण के इस कार्ड का लाभ उन्हें बिहार की 31 लोकसभा सीटों पर मिल सकता है। ऐसे में पीएम का ये स्टेमेंट साफ तौर पर ध्रुवीकरण करने की कोशिश है। सीमांचल एक मुस्लिम बहुल इलाका है। अगर केवल सीमांचल की बात करें तो यहां के 4 जिलों में तकरीबन 47 फीसदी मुस्लिम आबादी है। किशनगंज में तो हिंदू अल्पसंख्यक हैं और 68 फीसदी मुस्लिम आबादी है।इसके बाद अररिया जहां पीएम ने सभा की, वहां लगभग 43 फीसदी मुस्लिम आबादी है। इसके अलावा कटिहार में 44.5 और पूर्णिया में 39 फीसदी मुस्लिम आबादी है। यही कारण है कि पीएम इसी इलाके से ध्रुवीकरण का कार्ड खेलते हैं।
आपको बताते चलें कि, पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 में पीएम ने ध्रुवीकरण का कार्ड खेल कर हिंदू वोटों को गोलबंद करने की कोशिश किया था। अब एक बार फिर इस बार इन्होंने हिंदू-मुस्लिम करके हिंदू वोटों को गोलबंद करने की कोशिश की। पिछली सभा में उन्होंने यहां यदुवंशी कार्ड चलकर यादव वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश की थी। पीएम मोदी ऐसा करने में सफल भी हुआ था और पार्टी ने मात्र एक सीट छोड़कर सभी सीटों पर जीत हासिल किया था।