Bihar News: बिहार में RJD और BJP समर्थकों के बीच मारपीट, 5 घायल Success Story: “मेरा सपना तो IAS बनना है”, टैक्स डिपार्टमेंट की नौकरी के साथ की पढ़ाई, UPSC पास कर बन गई अधिकारी Bihar News: बिहार में यहां लग्जरी कार और ट्रक की टक्कर में 3 की मौत; कई घायल Anant Singh Arrested : जानिए जेल में कैसे कटी अनंत सिंह की रात, बेउर क्या कुछ खाया और अब क्या है पुलिस की तैयारी Bihar News: दिल्ली में बिहार के 28 वर्षीय युवक की मौत, यह गलती पड़ गई भारी Dularchand Yadav murder Case: रिमांड पर जाएंगे अनंत सिंह? पुलिस जांच में कई सवाल है अनसुलझे, घटना में प्रयुक्त हथियार नहीं हुआ बरामद Bihar Election 2025: योगी आदित्यनाथ मुजफ्फरपुर में करेंगे जनसभा, पवन सिंह और शाहनवाज हुसैन का रोड शो भी आज Dularchand Yadav murder Case: दुलारचंद यादव को कुचलने वाली कार की तलाश जारी, अब अनंत सिंह से होगी पुछताछ; CID करेगी जांच बसपा प्रत्याशी चितरंजन कुमार को AIMIM ने दिया समर्थन, रोमांचक हुई वजीरगंज विधानसभा चुनाव Bihar Election 2025: चुनावी सभा में सम्राट चौधरी ने बताया ‘लालटेनिया’ का मतलब, लालू परिवार पर जमकर बरसे
1st Bihar Published by: 9 Updated Sat, 20 Jul 2019 05:33:16 PM IST
- फ़ोटो
DESK: दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. बीमार शीला दीक्षित ने दिल्ली के एस्कॉर्ट अस्पताल में अंतिम सांस ली. तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित का कांग्रेस से काफी करीबी का नाता रहा है. राजनीतिक तौर पर वो इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के काफी करीबीं थीं. बता दें कि शीला दीक्षित के ससुर उमा शंकर दीक्षित कांग्रेस के काफी कद्दावर नेता थे और इंदिरा गांधी के काफी करीबी थे. 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में जन्मी शीला दीक्षित ने 80 के दशक से अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. ससुर की शख्सियत के सहारे बनाया मुकाम शुरुआती दिनों में अपने ससुर उमा शंकर दीक्षित के नजदीक में अपनी राजनीतिक पारी शुरु करने वाली शीला दीक्षित बहुत जल्द ही कांग्रेस के वफादार नेताओं में शुमार होने लगी. साल 1969 में जब कांग्रेस ने इंदिरा गांधी को पार्टी से निकाल दिया था तो उमा शंकर दीक्षित ने इंदिरा गांधी का पूरा साथ दिया था. जब इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी हुई तो उमा शंकर दीक्षित को उनकी वफादारी का इनाम मिला और उनको देश का गृहमंत्री बनाया गया. उन दिनों इंदिरा गांधी के बड़े बेटे संजय गांधी कांग्रेस में युवा कार्यकर्ताओं को ज्यादा तरजीह देते थे. ऐसे में उनके लिए भी शीला दीक्षित एक बेहतर विकल्प बनकर उभरीं. गांधी परिवार के काफी करीब थीं शीला 80 के दशक में अपने पति की मौत के बाद शीला दीक्षित ने अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को बखूबी संभाला. 1984 के आम चुनावों में शीला दीक्षित यूपी के कन्नौज से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची. गांधी परिवार से उनकी कितनी नजदीकियां थी इसको बस इस बात से भी जाना जा सकता है कि जब वो अपनी मां इंदिरा गांधी की मौत की खबर सुनकर दिल्ली जा रहे थे तो उनके साथ प्रणब मुखर्जी के अलावा राजीव गांधी ही थे. बताया जाता है कि राजीव गांधी को पीएम बनाने की रणनीति शीला दीक्षित ने ही बनायी थी.