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1st Bihar Published by: Updated Sun, 19 Dec 2021 02:07:24 PM IST
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ROHTAS: बिहार में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था का दावा सरकार करती है लेकिन इसकी जमीनी हकीकत क्या है यह सासाराम सदर अस्पताल से आई इस तस्वीर को देखकर ही समझा जा सकता है। जहां मोबाइल का फ्लैश जलाकर डॉक्टर ट्रॉमा सेंटर में मरीज का इलाज करते नजर आ रहे हैं। अस्पताल में बिजली गुल थी जिसके कारण टॉर्च की रोशनी में मरीज का इलाज किया गया। मरीज के परिजनों ने अस्पताल की इस लच्चर व्यवस्था को अपने मोबाइल में कैद कर लिया। जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
सोशल मीडिया पर वायरल यह तस्वीर रोहतास के सबसे बड़े हॉस्पिटल सासाराम सदर अस्पताल की है। जहां ट्रामा सेंटर में टॉर्च की रोशनी में मरीज का इलाज करते डॉक्टर नजर आ रहे हैं। सदर अस्पताल की पोल खोलती यह तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। शनिवार की रात मरीज के इलाज के दौरान अचानक बिजली चली गयी। जिसके बाद मोबाइल का फ्लैश जलाकर करसेरुआ से आई रिंकू कुमारी का इलाज डॉक्टरों ने मोबाइल का फ्लैश जलाकर टॉर्च की रोशनी में किया।
ऐसा नहीं है कि अस्पताल में जेनरेटर की सुविधा नहीं है। अस्पताल में जेनरेटर है लेकिन उसे चलाने वाला अक्सर लापता रहता है। जिसके कारण बिजली कटने के बाद समय पर जेनरेटर स्टार्ट नहीं होता। मरीज का इलाज करने वाले चिकित्सक ने कहा कि मरीज को देखने वे जैसे ही आए बिजली गुल हो गयी। ऑपरेटर ने जेनरेटर तुरंत स्टार्ट नहीं किया। इसी वजह से मोबाइल टॉर्च की रोशनी में मरीज को देखना पड़ा। हालांकि कुछ देर बाद जेनरेटर को स्टार्ट किया गया जिसके बाद अस्पताल में फिर से बिजली आ गयी। इसमें डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन की कोई गलती नहीं है।
मरीज के परिजन ने बताया कि रिंकू कुमारी की तबीयत अचानक बिगड़ गयी थी जिसे लेकर वे सदर अस्पताल पहुंचे थे। जब डॉक्टर उसे देख रहे थे तभी चारों ओर अंधेरा छा गया। जिसके बाद मोबाइल का फ्लैश जलाकर मरीज का इलाज किया गया। इस दौरान डॉक्टर के साथ-साथ मरीज के परिजनों ने भी अपने-अपने मोबाइल का फ्लैश ऑन कर लिया। 15 मिनट से अधिक समय तक बिजली कटी रही टॉर्च की रोशनी में ही रिंकू का इलाज डॉक्टर ने किया।
इस संबंध में जब सासाराम सदर अस्पताल के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ के.एन. तिवारी से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। सदर अस्पताल में जेनरेटर की व्यवस्था है। यदि ऐसा हुआ भी है तो जेनरेटर स्टार्ट करने में दो-चार मिनट लग ही जाते हैं। इलाज के दौरान लाइट चली गयी होगी जिसके कारण मोबाइल का टॉर्च जलाना पड़ा होगा। हालांकि मरीज के परिजनों का कहना है कि 15 मिनट से अधिक समय तक बिजली अस्पताल में कटी रही और टॉर्च की रोशनी में मरीज का इलाज होता रहा। परिजनों ने इसका वीडियो भी बनाया है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।