MUZAFFARPUR : मुजफ्फरपुर के चांदनी चौक से एनएच-27 पर कुछ किलोमीटर आगे बढ़ते ही भूमिहारों को गांव आता है-कपरपुरा। फर्स्ट बिहार की टीम वहां के लोगों का चुनावी मिजाज जानने की कोशिश में लग जाती है। कैमरे को देखकर कई लोग वहां इकठ्ठा हो जाते हैं। भीड़ से राकेश नाम का युवक चीखते हुए कहता है कि चला दीजिये, नहीं देंगे वीणा देवी को वोट! यहां सब लालटेन छाप है। बगल में खड़े एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति उस युवक को शांत कराते हुए कहता है कि हम सब को मोदी से बैर नहीं है लेकिन वीणा देवी को वोट देने से बढ़िया है, नदी में वोट बहा देना। बगल में खड़ा एक दूसरा युवक बोल पड़ता है, “हम सब के समीर कुमार से लेकर आशुतोष शाही तक के मर्डर याद हई। कोनो हाल में हेलीकॉप्टर छाप पर वोट न देबई। ”
जिला भले ही मुजफ्फरपुर हो लेकिन यह वैशाली लोकसभा क्षेत्र का नजारा है। वैशाली लोकसभा क्षेत्र के 6 में से 5 विधानसभा क्षेत्र मुजफ्फरपुर जिले में आता है। मुजफ्फरपुर के कांटी, बरूराज, पारू, साहेबहंज और मीनापुर विधानसभा वैशाली लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। वैशाली में मोदी के नाम पर जीत हासिल करने की आस लगाने वाले लोजपा (रामविलास) की उम्मीदवार वीणा देवी को भूमिहारों के गांव का यह मिजाज हैरान कर सकता है। भूमिहार बिहार में भाजपा का सबसे प्रमुख वोट बैंक माना जाता रहा है। लेकिन इस बार वैशाली का नजारा ही कुछ अलग है।
फर्स्ट बिहार की टीम ने कांटी से लेकर बरूराज और पारू के एक दर्जन से ज्यादा भूमिहार के गांवों का दौरा किया। इन सभी गांवों का नजारा लगभग एक जैसा था। दूसरे समाज के लोग भी मान रहे हैं कि भूमिहारों का वोट एनडीए से जुदा हो चुका है। कांटी विधानसभा क्षेत्र के फुलकाहां गांव के पास फर्स्ट बिहार की टीम ने लोगों से बात की। यहां अलग-अलग जातियों के लोग थे और उनकी राय भी अलग-अलग ही थी। वहां मौजूद मोहन पासवान कहते हैं, “भूमिहार सब वीणा देवी के वोट न देतई हई।” खुद मोहन पासवान अनिश्चिय की स्मेंथिति में दिखते हैं। कहते हैं कि “हमहूं सब त सोचिए रहल छी कि केकरा वोट देबे के हई। वीणा देवी कैंडिडेट ठीक न हई। कोनो काम न कलई ह। एको गो गरीब से भेंट न करई छई।”
राजद का गेम काम कर गया?
वैशाली लोकसभा क्षेत्र में भूमिहारों का मिजाज देखकर यह लगा कि प्रत्याशी के चुनाव में लालू-तेजस्वी की सोशल इंजीनियरिंग काम कर गयी है। दरअसल, इस सीट पर राजद दशकों से राजपूत उम्मीदवार खड़ा करता आया है। राजद के कद्दावर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कई दफे वैशाली लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। लेकिन राजद ने इस बार पहले से चली आ रही परंपरा को तोड़कर भूमिहार जाति से आने वाले मुन्ना शुक्ला को अपना उम्मीदवार बनाया है।
यादव, भूमिहार, मुसलमान समीकरण
पारू विधानसभा क्षेत्र में लगा कि इस बार यहां कुछ नया समीकरण बन रहा है। मुंगरहिया गांव में राजकिशोर यादव मिलते हैं। राजकिशोर यादव कहते हैं कि सब वोट मुन्ना शुक्ला को पड़ेगा। फर्स्ट बिहार की टीम ने सवाल पूछा `क्या यादव जाति का वोट भूमिहार को पड़ेगा`? तपाक से जवाब आया `पूरा।` वहीं खड़े मनोहर यादव क्षेत्र का समीकरण समझाने लगते हैं, `आपको नहीं मालूम है कि वैशाली लोकसभा में राजपूतों से ज्यादा भूमिहारों का वोट है।` राजपूत के वोट सवा लाख है, भूमिहार का पौने दो लाख। इस बार हम सब एक हो गये हैं। कोई सवाल नहीं है वीणा देवी के जीतने का।
समीर कुमार और आशुतोष शाही हत्याकांड की चर्चा क्यों?
वैशाली लोकसभा क्षेत्र के कई भूमिहारों गांवों में समीर कुमार और आशुतोष शाही हत्याकांड की चर्चा भी सुनने को मिली। दरअसल समीर कुमार मुजफ्फरपुर शहर के मेयर हुआ करते थे। वर्ष 2018 में उन्हें गोलियों से भून दिया गया था। वहीं, आशुतोष शाही मुजफ्फरपुर के उभरते कारोबारी थे। पिछले साल आशुतोष शाही का भी मर्डर हो गया। कांटी के नरसंडा के पास मिले भूमिहार जाति के सुनील ने कहा कि हम लोगों को दोनों का मर्डर याद है। किसके इशारे पर मर्डर हुआ, यह सबको मालूम है। इस बार सबका बदला चुकाने की बारी है।
वीणा देवी की राह कठिन
वैशाली लोकसभा क्षेत्र में राजपूत जाति के वोटर अनमने तरीके से ही सही वीणा देवी का समर्थन करते दिखे। उनकी नाराजगी इस बात पर है कि वीणा देवी और उनके पति दिनेश सिंह चुनाव जीतने के बाद राजमहल में बैठ जाते हैं। कांटी विधानसभा क्षेत्र के राजपूत बहुल गांव जीयन के अखिलेश सिंह ने कहा कि दिनेश बाबू के यहां जाइयेगा तो एक गो कुर्सी पर बइठल रहेंगे औऱ दोसरा पर लात रखे रहेंगे। बैठने के लिए भी कोई नहीं पूछता है। फिर भी हमलोग मोदी के नाम पर वोट दे देंगे।
लेकिन पूरे इलाके में मोदी समर्थकों में कोई आक्रमकता नहीं दिख रही है। वे वीणा देवी और उनके पति के रवैये से नाराज दिखे। फर्स्ट बिहार ने 50 से ज्यादा लोगों से बात की। 90 परसेंट लोगों ने वीणा देवी से नाराजगी जतायी। हालांकि उनमें से कई ने ये कहा कि नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट दे देंगे। वहीं, दूसरी ओर राजद के वोटर आक्रमकता के साथ मुन्ना शुक्ला के पक्ष में खड़े नजर आये। जाहिर है यह नजारा एनडीए को हैरान-परेशान करने वाला है। अगर वोटिंग के दिन तक यही नजारा रहा तो फिर वीणा देवी के लिए दूसरी दफे संसद पहुंचना मुश्किल ही नहीं बल्कि बेहद मुश्किल होगा।