DESK:- गुरूवार को राष्ट्रपति चुनाव को लेकर वोटों की गिनती हुई। काउंटिंग से पहले ही यह माना जा रहा था कि एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत तय है। मुर्मू ने जीत की औपचारिकता तीसरे राउंड में ही तय कर ली, उन्हे तीसरे राउंड में ही पचास फीसदी से ज्यादा वोट मिल गए थे। द्रौपदी मुर्मू को जीतने वोट मिले वो चौकाने वाले थे उन्हे तय वोटों से ज्यादा वोट मिले। इसका कारण साफ था राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जमकर क्रॉस वोटिंग हुई। ये क्रास वोटिंग एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में पड़े।
एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में 17 सांसदों और 104 विधायकों ने क्रास वोटिंग की। बिहार के 6 विधायकों और झारखंड के 10 विधायकों ने मुर्मू को पार्टी लाइन से हटकर अपना वोट दिया। सबसे ज्यादा क्रास वोटिंग असम में 22 विधायकों ने क्रास वोटिंग की। मध्यप्रदेश में 18, गुजरात में 10 ,महाराष्ट्र में 16, मेघालय में 7, छत्तीसगढ़ में 6, गोवा में 4, हिमाचल में 2, अरूणाचल-हरियाणा में 1-1 विधायकों ने क्रास वोटिंग की।
इतने बड़े पैमाने पर हुई क्रास वोटिंग ने विपक्षी एकता की हवा निकाल दी है। एनडीए उम्मीदवार को झारखंड में जेएमएम, महाराष्ट्र में शिवसेना, ओडिसा में बीजद का पहले से ही समर्थन मिला हुए था जो कि प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ राजनीति कर रही है। इसके बाद इतने बड़ी संख्या में हुई क्रास वोटिंग ने एनडीए को मजबूती और विपक्षी एकता को कमजोर किया है।
चुनाव से पहले विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने अंतरात्मा की आवाज पर वोट देकर लोकतंत्र को बचाने की अपील की थी, एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में हुई क्रास वोटिंग को लेकर एनडीए के नेता यशवंत सिन्हा के इसी बयान पर तंज कसते हुए कह रहे है कि सांसदों और विधायकों ने अंतरात्मा की आवाज पर एनडीए का साथ दिया है।
गुरूवार को ही ममता बनर्जी की पार्टी ने उपराष्ट्रपति चुनाव में किसी को वोट नहीं देने की घोषणा कर विपक्षी एकता को झटका दे दिया था उसके बाद क्रास वोटिंग की खबर ने विपक्षी एकता पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।