राज्यपाल रमेश बैस से मिले हेमंत सोरेन, चुनाव आयोग की सिफारिश की मांगी कॉपी

राज्यपाल रमेश बैस से मिले हेमंत सोरेन, चुनाव आयोग की सिफारिश की मांगी कॉपी

RANCHI: पिछले तीन हफ्तों से झारखंड में जारी राजनीतिक अनिश्चितता के माहौल को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरूवार दोपहर को राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की। सीएम हेमंत सोरेन ने गर्वनर को दो पेज का एक ज्ञापन सौंपा। निर्वाचन आयोग के रिपोर्ट की कॉपी देने और जल्द से जल्द संशय की स्थिति को खत्म करने का अनुरोध किया।


अपने ज्ञापन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यपाल रमेश बैस को लिखा कि पिछले तीन हफ्ते से जारी राज्य में चल रहे असामान्य, अनापेक्षित परिस्थितियों के कारण आपके सामने उपस्थित होने के लिए बाध्य होना पड़ा है। फरवरी 2022 से ही बीजेपी ने ऐसी भूमिका रची है जिसमें कहा गया है कि मेरे द्वारा पत्थर खनन पट्टा लिये जाने के आधार पर मेरी विधानसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी। बीजेपी ने इस संबंध में आपके सामने शिकायत भी दर्ज कराई थी। वही सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ये कहा है कि खनन पट्टा लिये जाने के मामले में जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 9 ए के प्रावधान के अंतर्गत अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।


भारतीय संविधान के प्रावधान के अनुसार निर्वाचन आयोग ने भी अपना मंतव्य राजभवन को भेज दिया है। वहीं बीजेपी नेताओं के सार्वजनिक बयानों से ऐसा लगता है कि निर्वाचन आयोग ने अपना मंतव्य बीजेपी को भेज दिया है। 25 अगस्त को राजभवन के सूत्रों और बीजेपी नेताओं के हवाले से मीडिया में इस तरह की खबरे चलाई गई जिसमें ये कहा गया कि मेरी विधानसभा सदस्यता को अयोग्य ठहरा दिया गया है। 


सीएम ने आगे अपने ज्ञापन में लिखा है कि मीडिया में बीजेपी नेताओं की ओर से ऐसे बयान दिये जा रहे है जिससे राज्य में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गइ्र्र है जो राज्यहीत और जनहीत में नहीं है। बीजेपी इस भ्रम की स्थिति का इस्तेमाल कर राज्य में दलबदल के अस्त्र से अनैतिक रूप से सत्ता हासिल करना चाहती है जो सफल नहीं होगी क्योकि 5 सितंबर को विधानसभा में यूपीए की सरकार ने दो तिहाई मत से बहुमत हासिल कर लिया है। 


सीएम ने आगे गर्वनर से अनुरोध किया है कि राज्य में संवैधानिक प्रमुख होने के नाते संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करें। उन्होने आगे अनुरोध करते हुए गर्वनर से निर्वाचन आयोग के मंतव्य की एक कॉपी उपलब्ध कराने और जल्द से जल्द इस मंतव्य का फैसला बताने का अनुरोध किया है जिससे राज्य में जारी राजनीतिक अस्थिरता खत्म हो सके।


हेमंत सोरेन ने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर पिछले दो हफ्तों से कई फैसले लिये है। सबसे पहले तो उन्होने 30 अगस्त को यूपीए के सारे विधायकों को रायपुर भेज दिया, फिर 5 सितंबर को उन विधायकों को वापस रांची लाकर विधानसभा में विश्वासमत पास कराकर बहुमत साबित किया। 


पिछले कई महीनों से लंबित कई भर्ती प्रक्रिया को शुरू करने का फैसला भी मुख्यमंत्री ने इस दौरान लिया। सीएम ने सबसे बड़ा फैसला बुधवार की कैबिनेट में किया जिसमें उन्होने 1932 के खातियान को लागू करने और आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला लिया। डोमिसाल और आरक्षण का मुद्दा कई सालों ने राज्य में लटका हुआ था लेकिन हेमंत सोरेन ने उसपर फैसला लेकर एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है।