रेलवे के दावे की खुल गयी पोल; भूखे-प्यासे ही कोटा से बरौनी पहुंचे छात्र, मम्मी-पापा को देख रो पड़े बच्चे

रेलवे के दावे की खुल गयी पोल; भूखे-प्यासे ही कोटा से बरौनी पहुंचे छात्र, मम्मी-पापा को देख रो पड़े बच्चे

BEGUSARAI:राजनीतिक उठापटक के बाद आखिर कोटा में पढ़ रहे बेगूसराय समेत बिहार के अन्य जिलों के बच्चों की घर वापसी शुरू हो गई। कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों ने राहत की सांस ली है। कोरोना के कारण लॉकडाउन लागू होने के बाद, कोटा में मेस बंद होने और बच्चों के पैसे खत्म हो जाने के बीच कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या के साथ बच्चों में घर वापसी शुरू हो गयी है। लेकिन घर लौटने वाले बच्चों को रास्ते में खासी फजीहत का सामना करना पड़ा । ज्यादातर बच्चों ने भूखे-प्यासे ही इतना लंबा सफर तय किया। वहीं रेलवे के तमाम दावों की भी पोल खुल गयी।


बेगूसराय समेत, खगड़िया, लखीसराय, शेखपुरा, जमुई, मुंगेर, भागलपुर एवं बांका के छात्र-छात्राओं को लेकर ट्रेन सोमवार की सुबह बरौनी जंक्शन पहुंची। यहां कड़े प्रशासनिक बंदोबस्त के बीच बेगूसराय के सभी बच्चों की  प्रखंड स्तर जांच पड़ताल कर उसे 14 दिन के होम क्वारेन्टाइन में भेज दिया गया है।‌ अगले चौदह दिनों तक लगातार स्वास्थ्य निगरानी की जाएगी। इधर बरौनी आए अन्य जिलों के बच्चों को संबंधित जिला के लिए भेज दिया गया है।


सोमवार को अहले सुबह बरौनी जंक्शन पहुंचे मौसम, चांदनी, रश्मि, मुकेश, अमित समेत अन्य छात्र-छात्राओं का कहना है कि बिहार सरकार का इरादा हम बच्चों को वापस लाने का नहीं था। सरकार हमेशा कहती रही कि वहां संपन्न परिवार के बच्चे पढ़ने जाते हैं, इसलिए वहां कुछ नहीं दिक्कत होगी। लेकिन मेस बंद हो जाने, कोरोना संक्रमित मरीज बढ़ने के कारण पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था। तनाव के कारण नींद नहीं आने से डिप्रेशन के शिकार होने लगे थे। बच्चे घर पहुंचे तो उनकी आंखों में आंसू आ गये।


बच्चों का कहना है कि वहां काफी परेशानी हो रही थी। सरकार ने कुछ नहीं किया, सिर्फ कहानी कहती रही। दो महीने से पढ़ाई ठप, कोचिंग वाले भी मनमानी कर रहे थे। रास्ते में कोई व्यवस्था नहीं, दो-दो किलोमीटर समान लेकर पैदल चलना पड़ा। छात्रों का कहना है कि रास्ते में ट्रेन में खाने पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी।यहां बरौनी उतरे तो प्रशासन द्वारा नाश्ता-पानी दिया गया। इधर, अभिभावकों ने बच्चों को अपने पास देखकर राहत की सांस ली है। हालांकि, उनके चेहरे पर खुशी के साथ चिंता भी थी कि परीक्षा की तैयारी कैसे हो सकेगी।







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